Answer for अर्थिंग क्या है ?

आपने ध्यान दिया होगा कि अधिकांश विद्युतीय उपकरणों में उपयोग की जाने वाली मेन्स लीड में तीन तार होते हैं। इनमें से एक तार का रंग लाल, दूसरे तार का रंग काला तथा तीसरे तार का रंग हरा होता लाल रंग की तार फेस से तथा काले रंग की तार को न्युट्रल से जोड़ना चाहिये। हरे रंग की तार अर्थिंग के लिये होती है। इस हरे रंग की तार को मेन लीड में लगे प्लग के मोटी पिन से जोड़ा जाता है। इस पिन को अर्थिग पिन भी कहा जाता है। इस हरे तार के दूसरे सिरे को विद्युतीय उपकरण के धातु के आवरण से जोड़ा जाता है।
इसका कारण यह है कि कभी-कभी बाह्य आवरण में फेस आ जाता है। उससे किसी भी प्रकार की हानि हो सकती है। इस हानि से बचने के लिये आवरण को अर्थ करना जरूरी हो जाता है। इस अर्थ की तार को सामान्यत: जमीन में गहरे तक गढ्ढा खोदकर बनायी जाती है। ऐसा करने से विद्युतीय उपकरण के आवरण में आने वाला फेस सीधे अर्थ में चला जाता है।
सामान्यत: अर्थ का तार ऐसे उपकरणों में लगाना जरूरी होता है, जिन विद्युत उपकरणों में करन्ट लीक होने की संभावनाएं अधिक होती है। ऐसे उपकरणों के साथ श्री प्लग पिन का उपयोग किया जाता है। ऐसे उपकरणों के लिये उपयोग किया जाने वाला सॉकिट भी सामान्य सॉकट की अपेक्षा बड़ा होता क्योंकि ऐसे उपकरणों के द्वारा अधिक करन्ट के बहाव के कारण उष्मा भी अधिक उत्पन्न होती है।
यदि इन उपकरणों के लिये छोटे सॉकट का उपयोग किया जायेगा, तो अधिक करन्ट प्रवाह के कारण छोटे सॉकट गर्म होकर जल जाएगें या फिर पिघल जाएगें। वैसे तो बिजली घरों में तारों को अच्छी तरह से अर्थ किया जाता है तथा प्रत्येक दूसरे या तीसरे खंभे को भी अर्थ किया जाता है और साथ ही इस अर्थ की तार को घरों में सप्लाई के साथ दी जाती है, लेकिन फिर भी घरों में या कारखानों में अर्थिंग बनाना सुरक्षा के दृष्टिकोण से अच्छा होता है।

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