Answer for अष्ट शीर्ष प्रणाली किसे कहते है

अष्ट शीर्ष प्रणाली से ही शरीर रचना शास्त्र का प्रारम्भ होता है। जिस प्रकार संसार के मानचित्र में अलग-अलग राष्ट्र, व जनपद दिखाए जाते हैं, ताकि उनका भौगोलिक ज्ञान ठीक प्रकार से लोगों को हो सकें, इसी प्रकार कटाई सिलाई के पिता ‘महाशय वैम्पन’ने शरीर पर सात कल्पित रेखाएं खींची और कटाई सिलाई करने व सीखने वालों के लिए शरीर का सम्पूर्ण ज्ञान शरीर के आठों भागों में विभाजित कर दिया। इसी को टेलरिंग में अष्ट शीर्ष प्रणाली के नाम से जाना जाता है। इस कला में 5 फुट 4 इंच का व्यक्ति सामान्य कद का माना जाता है। उसी को आठ भागों में विभक्त मान कर एक भाग 8” का बनाया गया। यदि कोई शिक्षार्थी इन भागों का गहन अध्ययन करके यह जान ले कि किस वस्त्र का नाप कहाँ से और कैसे लिया जा सकता है, तो वह नाप लेने में और कपड़ा बनाने में गलती नहीं करेगा।

आठ भाग
1. सिर से ठोड़ी (Hair to Chin) – शरीर पर धारण करने वाली सभी वस्त्रों का प्रवेश स्थान सिर ही है। हैट टोपी आदि के लिए सिर का ही नाप लेते हैं। गले का सही स्थान ठोड़ी के सामने ही है। ठोड़ी से 1″ नीचे कन्धे का नाप लिया जाता है। सिर शरीर का आठवां हिस्सा माना गया है। ठोड़ी पहला काल्पनिक चिन्ह है।

2. ठोड़ी से छाती तक (Chin to Nipple) – ऊपर के भाग में पहने जाने वाले सभी वस्त्र छाती के नाप से बनते हैं। यह नाप छाती के मध्य बने निपल प्वाइंट से बगलों को छूते हुए लिया जाता है। यह दूसरी काल्पनिक किन्तु अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रेखा है।

3. छाती से नाभि तक (Nipple to Navel) – नाभि के प्वाइंट तक कन्धे से कमर का नाप लिया जाता है। इसके अतिरिक्त वस्त्रों में कमर का आकार देने हेतु कमर का नाप लेना भी आवश्यक होता है। कन्धे से कमर का नाप स्त्रियों में 2 भाग -2″ (5 cm) तथा 1″ पुरूषों में 2 भाग, +: लिया जाता है।

4. नाभि से जांघ तक (Navel to Pubic organ) – यह भाग नीचे के भाग में पहने जाने वाले वस्त्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि नीचे के भाग में पहने जाने वाले सभी वस्त्र हिप के नाप से कटते हैं। और हिप का नाप यहीं से लिया जाता है। यह शरीर का सबसे मोटा, भारी भाग होता है। जितना छाती का नाप महत्त्व रखता है उतना ही हिप का। इंचीटेप की सहायता से उभरे हुए भाग पर इंचीटेप रखते हुए तथा बीच में दो उंगलियाँ रखते हुए यह नाप लेते है।

5. जांघ से मध्य पैर तक (Pubic organ to mid of thigh) -कच्छे को लम्बाई तथा मोहरी का नाप इसी स्थान से लेते हैं। देखें चित्र में 5वां भाग। कमीज की लम्बाई 4 Head, बुशर्ट की लम्बाई 4 Head -2″ ली जाती है। आस्तीन की लम्बाई कन्धे से उँगली तक ली जाती है, जोकि 3 Head मानी जाती है।

6. मध्य पैर से घुटने तक (Mid of thigh to Small below knee) – घुटने से नीचे व पिण्डली के ऊपर का भाग Small below knee कहलाता है। यहीं तक अर्थात् 5 Head + 2″ अचकन की लम्बाई, 5 Head शेरवानी की लम्बाई ली जाती है। इसके अतिरिक्त जीन्स व ब्रिचेज़ के लिए घुटने का नाप लिया जाता है।

7. पिण्डली से पैर के अंगूठे तक (Small below knee to Lower Leg) – मनुष्य को पंजों के बल खड़ा मान कर ही आठ हिस्से किए गए हैं, वरना पूरे आठ बराबर के हिस्से नहीं किए जा सकते थे। पिण्डली से 1″ नीचे तथा एड़ी के निशान का बीच का भाग लोअर लैग कहलाता है। चूड़ीदार पाजामें में पिण्डली का नाप लिया जाता है। जीन का नाप 4 भाग (Head) के बराबर, ड्रैसिंग गाऊन, ओवर कोट जनाना व मर्दाना, बरसाती कोट के नाप भी 6 भाग + 2″ लिए जाते हैं।

8. पिण्डली से पैर के अंगूठे तक (Lower leg to ball of foot) – नीचे के भाग में पहने जाने वाले वस्त्र जैसे पैंट, पाजामा, सलवार, पेटीकोट आदि की लम्बाई नाभि से लेकर अंगूठे तक अर्थात् 5 भाग +2″ लेते हैं। इसके अतिरिक्त नाईटी, हाऊस कोट, संध्याकालीन पोशाक की लम्बाई भी अंगूठे तक अर्थात् 7 भाग (Head) ली जाती है।

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