Answer for आपातकालीन प्रतिक्रियाएँ क्या होती है

कार्यशालाओं में विभिन्न प्रकार के प्रक्रम चलते रहते हैं, अतः समय-समय पर ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण कार्य में व्यवधान पैदा हो सकता है और कोई दुर्घटना भी घट सकती है। ऐसी अवस्था में प्रशिक्षार्थी को तुरन्त ही प्रतिक्रियात्मक कदम उठाने पड़ते हैं। इन अवस्थाओं के जनक कारण निम्नवत् हो सकते
(i) शक्ति विफलता (Power Failure) – कार्यशाला में विद्युत शक्ति विफल हो जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसी स्थिति में प्रशिक्षार्थी की प्रतिक्रिया निम्नवत् होनी चाहिए
कार्यशालाओं में विभिन्न प्रकार के प्रक्रम चलते रहते हैं, अतः समय-समय पर ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण कार्य में व्यवधान पैदा हो सकता है और कोई दुर्घटना भी घट सकती है। ऐसी अवस्था में प्रशिक्षार्थी को तुरन्त ही प्रतिक्रियात्मक कदम उठाने पड़ते हैं। इन अवस्थाओं के जनक कारण निम्नवत् हो सकते
(i) शक्ति विफलता (Power Failure) – कार्यशाला में विद्युत शक्ति विफल हो जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसी स्थिति में प्रशिक्षार्थी की प्रतिक्रिया निम्नवत् होनी चाहिए
• मेन-स्विच ऑफ कर देना चाहिए।
• इस आपातकालीन स्थिति का कारण जानने का प्रयास करना चाहिए; सम्भव है कि मेन-फ्युज जल गया हो।
• कारण के निवारण के उपरान्त ही मेन स्विच ‘ऑन’ करना चाहिए।
• इस प्रतिकूल स्थिति में धीरज बनाए रखें।
(ii) आग पकड़ना (Fire Catching)- यदि कार्यशाला में आग लग गई हो तो प्रशिक्षार्थी की प्रतिक्रिया निम्नवत् होनी चाहिए:
• आग लगने के कारण को ढूँढने का प्रयास करना चाहिए जिससे कि उचित अग्निशमन विधि अपनायी जा सके।
• अपने उच्च अधिकारियों (अनुदेशक, कार्यदेशक, प्रधानाचार्य) को सूचित करना चाहिए और सम्भव हो तो फायर ब्रिगेड को सूचित करना चाहिए।
• अपनी कार्यशाला एवं उसके आस-पास उपलब्ध अग्निशमन यंत्रों एवं सामग्री का उपयोग कर आग बुझाने का प्रयास करना चाहिए।
• ध्यान रखें कि विद्युत केबिल्स में लगी आग के शमन के लिए जल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(iii) प्रणाली विफलता (System Failure) – यदि कार्यशाला की उत्पादन प्रणाली में कोई व्यवधान उत्पन्न हो गया हो तो प्रशिक्षार्थी की प्रतिक्रिया निम्नवत् होनी चाहिए:
• कारण को जानने का प्रयास करना और अपने कार्यदेशक को सूचित करना चाहिए।
• प्रणाली से संबद्ध सभी मशीनों को तत्काल बंद कर देना चाहिए।
• प्रणाली से संबद्ध व्यवस्था की जाँच कर दोष के निवारण का प्रयास करना चाहिए।
• धीरज बनाए रखना चाहिए और अन्य प्रशिक्षार्थियों को भी विचलित नहीं होने देने चाहिए। यदि कोई प्रशिक्षार्थी दुर्घटना के कारण चोटिल हो गया हो तो उसे प्राथमिक उपचार देना चाहिए।

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