Answer for ड्रेपिंग की क्या क्रिया-विधि होती है
ड्रेपिंग करने के लिए डिज़ाइनर को बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है! किसी भी गारमेंट को ड्रेप करने के लिए कई बार डिज़ाइनर को बहुत से तरीकों को संशोधित भी करना पड़ता है। प्रायः लचकदार (flexible) कपड़ों से ही हमेशा अच्छी ड्रेपिंग हो सकती है। जैसे – शिफॉन, साटन तथा सिल्क। इसी प्रकार के अन्य फैब्रिक को भी इस कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है। कई बार तो डिज़ाइनर फैब्रिक्स को लटकाकर देख लेते हैं कि इसकी कैसी फॉल गिरती है। यह परीक्षण (trial) में अच्छा आ सकता है या नहीं। क्योंकि ड्रेपिंग मोड़ बड़े अलग-अलग तरीकों के भी होते हैं। इसमें एक Drape meter होता है जिसके द्वारा डिज़ाइनर फैब्रिक की जांच कर लेते हैं अर्थात् वे छूकर पहचान करते हैं कि दूसरे कपड़े की Stiffness या Thickness को भी जांच लेते हैं कि Draping में यह Fabric कैसा रहेगा। Drape-meter के द्वारा यह पक्का निश्चय हो जाता है कि यह कपड़ा ड्रेप के योग्य है या नहीं। इस मीटर में 0 से 100 अंक लिखे होते हैं जिनके द्वारा क्वालिटी का पता डिजाइनर लगा ही लेता है। किन्तु फिर भी साटन और मलमल ड्रेपिंग के लिये उपयुक्त है जब कि ट्विल या हौज़री के वस्त्र इस योग्य नहीं माने जाते हैं। उपर्लिखित सभी सिद्धान्तों, नियमों व तरीकों और तकनीकों को जानने के उपरान्त यही ठीक माना जाता है कि पैटर्न बनाने के पूर्व ड्रेपिंग अवश्य की जाए ताकि वस्त्र सिलने के उपरान्त सुन्दर फिटिंग वाला व शरीर पर पहना हुआ वस्त्र सुन्दर लगे। इस सबमें अच्छा परिणाम प्राप्त करने के लिए यह निश्चित रूप से होना चाहिए कि स्केच सुन्दर साफ व ठीक (accurate) बने और उसके Upper body और lower body को अलग-अलग रंगो से दिखाएँ ताकि ड्रेपिंग भी अलग-अलग की जा सके। संक्षेप में कहने का तात्पर्य यही है कि कोई भी कार्य करने से पूर्व उसकी पूरी रूपरेखा (Contour) निश्चित होनी चाहिए तभी कार्य सुन्दर, शीघ्र तथा समय पर हो सकेगा अन्यथा कार्य करते समय अनेकों बाधाएँ आएंगी जिसका असर काम पर होगा। अतः उन सब बाधाओं से बचने के लिए काम की पूरी योजना (Planning) तैयार करना जरूरी है।