Answer for ड्रेपिंग की क्या विधियां होती है

सबसे पहले एक डिज़ाइनर ने ही ड्रेपिंग शुरु की थी। उसने गारमेंट के डिज़ाइन के अनुसार एक मॉडल पर बेसिक रूप से ड्रेप कर के देखा था। यद्यपि ड्रेपिंग करने से पूर्व वह ड्रैस मशीन द्वारा टेलर ने सिल भी दी थी। किन्तु उसी में जो भी कमी थी वह मॉडल को पहना कर देख लेने से उसकी कमियां बाद में निकाली थीं। जैसे Excess material on armhole in the backside 941 Loose fitting; इन दोनों Defects को दूर करने के बाद से डम्मी पर ड्रेपिंग की शुरुआत हुई।इसके अतिरिक्त ड्रेपिंग तकनीक में डिज़ाइनर, फैब्रिक, पिन तथा अन्य मैटीरियल को लेकर ड्रेपिंग शुरु करता है। उस फैब्रिक को परिधान के अनुसार ऐसे ड्रेप कर देते हैं कि वह तैयार परिधान ही लगे। कभी भी real fabric को ड्रेप नहीं किया जाता है। उसके स्थान पर मलमल या सिन्थैटिक फैब्रिक को या जो सस्ता सा होता है। उसको वस्त्र के आकार में ड्रेप करते हैं क्योंकि Real fabric महंगा होता है और डिज़ाइन के अनुसार ड्रेप करने से कपड़े में कट लग जाते हैं, कहीं कहीं Damage भी हो जाता है अथवा खिसक भी जाता है। अत: Real fabric को अच्छी दशा में रखने के लिए ऐसा करना अच्छा रहता है। ” डिज़ाइनर ठीक से पूरी तरह ड्रेप कर देता है – मॉडल के कहे अनुसार अथवा स्केच के अनुसार, तब फैब्रिक पर फाइनल निशान लगाता जाता है – कि उचित परिधान को काटने के तथा सिलने के लिए। तब वह फैब्रिक के टुकड़े उस पर से हटा लिए जाते हैं। इसके उपरान्त वे कटे हुए भागों को उठा कर ट्रेस पेपर पर रखकर निशान लगाते हैं ताकि पैटर्न बनाया जा सके। अब उसका प्रयोग गारमेंट को सिलने के लिए गाइडलाइनें भी तैयार की जाती हैं। इस प्रकार से डिज़ाइनर अपना पूरा काम ठीक प्रकार से आसानी से कर सकता है और Real fabric पर पूरी तरह निशान आदि आ जाते हैं इससे Tailor को भी मदद मिलती है।

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