Answer for नेटवर्क की परफॉरमेंश कों कैसे बढ़ाया जाता है

– कम्प्यूटर नेटवर्क की कार्य-क्षमता या परफॉरमेंश को बढ़ाने के लिये सबसे पहले आपको यह समझना जरूरी है कि आपका किस तरह का है और उसमें किन उपकरणों तथा किन-किन . तकनीकों को प्रयोग किया गया है।
 
– नेटवर्क जितना सरल और सीधा हो वह उतना ही बेहतर होता है। नेटवर्क यदि वायर और वायरलेस दोनों तकनीकों को प्रयोग कर रहा है तो सबसे पहले केबलों के कनेक्शनों का टाइट करें। कई बार जिन कनेक्टरों से केबल को मॉडेम या राउटर से जोड़ते हैं वह ढीले रह जाते जाते हैं। ऐसे में क्रिपिंग टूल का प्रयोग करके कनेक्टर को केबल पर टाइट करें और यदि ये टाइट नहीं हो रहे हैं तो नये कनेक्टर का प्रयोग करें।
 
नेटवर्क में प्रयोग की जा रही केबल को बीच में मुड़ने न दें और न ही इसे किसी पर लपेट कर रखें। यह केबल जितनी ज्यादा सीधी रहेगी नेटवर्क बिना व्यवधान के आसानी से चलता रहेगा।
 
नेटवर्क में प्रयोग किये जा रहे नेटवर्क इंटरफेस कार्ड की गति दूसरे कम्प्यूटर में लगे नेटवर्क कार्ड के समान होनी चाहिये।
 
नेटवर्क में प्रयोग किये जा रहे उपकरणों की क्षमता के अनुसार की डिवाइसों को नेटवर्क से जोड़ें। वायरलेस नेटवर्क में प्रयोग किये जाने वाले एक्सेस प्वाइंट की क्षमता की जानकारी उसके साथ आये मैन्युअल से हासिल करें और इसी के अनुसार डिवाइसों को नेटवर्क से कनेक्ट करें।
 
नेटवर्क में जुड़े उपकरणों या सिस्टमों के आईपी एड्रेस सही तरह से एंटर करें।
 
→ नेटवर्क में कोई बाहरी व्यक्ति बाधा न डाल सके इसके लिये फायरवाल का प्रयोग करें।
 
डीएच सेटअप में फायरवाल ट्रस्टेड (भरोसेमंद) और अनट्रस्टेड (अविश्वसनीय) नेटवर्कों के बीच होती है। इसके दो इंटरफेस होते हैं। ट्रस्टेड के लिए इंटर्नल फेस और अनट्रस्टेड नेटवर्क के लिए एक्सटर्नल अर्थात बाह्य फेस। ये इंटरफेस एक रूट पर एक ही मशीन या पोर्टों के लिए नेटवर्क कार्ड भी हो सकते हैं।
 
– दो नेटवर्कों के बीच सभी पैकेट इस फायरवाल से ही होकर जाने चाहिए। इसलिए अनट्रस्टेड नेटवर्क की ओर से आने वाला पैकेट सबसे पहले एक्सटर्नल इंटरफेस पर आएगा। इसके बाद फायरवाल इसकी पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार . जांच करेगी।
 
– डीएमजेड सेटअप का उपयोग तब किया जाता है जब आपके पास प्राइवेट नेटवर्क हो। इसे इंटरनेट से बचा कर रखा जाना चाहिए। लेकिन इंटरनेट के जरिए आप लोगों को वेब और ईमेल जैसी सेवाएं भी देना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में एसेस कंट्रोल नियमों से मशीन को सुरक्षित रखते हुए वेब, मेल और न्यूज सर्वरों को मुक्त रखना चाहिए।
 
– जिस क्षेत्र में पब्लिक सर्वर होते हैं उसे डिमिलिटराइज्ड जोन कहते हैं। यह क्षेत्र दो फायरवालों से घिरा होता है। एक फायरवाल F1 होती है जिसकी मदद से लोग पब्लिक सर्वरों से जुड़ सके। लेकिन दूसरी फायरवाल F2 के नियम कड़े हैं। अगर कोई फायरवाल F1 में घुस जाती है और मशीनों से जुड़ कर सेवाओं का फायदा लेने की कोशिश करती है, तो उसे F2 फायरवाल रोक लेगी।
 
दो नेटवर्क प्राइवेट और पब्लिक नेटवर्क के बीच इंटरफेस गेटवे यानी मुख्यद्वार की तरह होता है। डेटा पैकेटों के लिए इस गेटवे के कोई नियम नहीं होते हैं ज्यादातर इंटरनेट गेटवे आपके प्राइवेट नेटवर्क पर मशीन को एक्सटर्नल आईपी देने के लिए एनएटी (नेटवर्क एड्रेस ट्रांसलेशन) का उपयोग करते हैं।
 
– जब आप इंटरनेट से जुड़े होते हैं, तो मान कर चलें कि बाहरी हमलों के लिए आपका कंप्यूटर खुला हुआ है। ऑनलाइन पर ढेरों ऐसी अनावश्यक चीजें होती हैं, जो आपके कंप्यूटर में घुसने में सफल हो सकती हैं और सिस्टम ठप कर सकती हैं।
 
इससे भी ज्यादा घातक हमला डीडीओएस का होता है। इसे डिस्ट्रीब्यूटेड ऑफ सर्विसेज कहा जाता है। इस प्रकार के हमले में बड़ी संख्या में जुड़े कंप्यूटरों को सर्वर जाम करने के लिए निर्देश दिया जाता है। अगर ये कंप्यूटर निर्दोष होते हैं और इन्हें बैकडोर प्रोग्रामों से नियंत्रित किया जाता है।

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