Answer for बद्ध-पदमासन कैसे करे

बद्ध-पदमासन कैसे करे
दोनों टांगों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जायें। अब हाथों की सहायता से दायीं टांग को घुटने से मोड़कर दायें पैर को बायीं जांघ पर रखं दें। दायें पैर की एड़ी (चित्र देखें नीचे) बायीं जांघ के मूल से लगी रहेगी और दायें पैर का अंगूठा बायीं तरफ निकला रहना चाहिए।
अब बायें पांव को हाथ के सहारे मोड़कर दायीं जांघ पर रख दें। बायें पांव की एड़ी दायीं जांघ के मूल में लगी रहेगी और बायें पांव का अंगूठा दायीं बगल में रहना चाहिए। अब दायें हाथ को पीठ की ओर मोड़कर पीठ के बायीं ओर ले जाओ। दायें पांव के अंगूठे को हाथ से पकड़ लो (जैसे कि चित्र में दिखाया गया है) और पांव के अंगूठे को बायें हाथ से पकड़ लो। इसमें कंधे और शरीर का सारा भाग सीधा तना हुआ रहना चाहिए।
इस आसन की यही पूर्ण अवस्था है। इस आसन का नियम से अभ्यास करने से मेरुदंड की अस्थियां सीधी और निर्दोष हो जाती हैं। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि जब तक मेरुदंड (रीढ़) में सीधापन न आ जाये इस आसन की पूर्णता नहीं हो सकती। __ बाजू, हाथ, रीढ़ और पीठ की मांसपेशियां, पेडू, टांगों और जांघों के हरेक कोश में जोर, तनाव और ऐंठन लाना इस आसन का कार्य है। इसलिए सारे अंग रोग रहित, दोष रहित और स्वस्थ रहते हैं। सेहत सुन्दर और सुडौल बनती है और सारे रोग दूर हो जाते हैं। इससे शरीर लचकीला और सुन्दर बनता है। औरतों और मर्दो दोनों के लिए यह आसन लाभदायक है।

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