Answer for बैटन-पट्टी वायरिंग क्या होती है ?

इस प्रकार की वायरिंग, घरेलू वायरिंग के लिये की जाती है, क्योंकि यह बहुत कम खर्चीली तथा आसानी से होने वाली वायरिंग विधि है। वायरिंग की इस विधि में सामान्यतः सागौन लकड़ी की लंबी-लंबी सीधी पट्टियाँ (इन्हें बैटन कहा लिन्क क्लिप जाता है) का उपयोग किया जाता है। इन पट्टियों की मोटाई | ( ० ० ० ० सामान्यत: 12 से 15MM होती है। बैटन पट्टियों पर 15-15 से.मी.। की दुरी पर 12 मि.मी. के कीलों से लिंक क्लिप लगाये जाते हैं। इस तैयार किये गये बैटन को दीवार पर लगी गिट्टियों पर स्क़ की सहायता से कस दिया जाता है।
अब इन क्लिपों में तारे कस दी जाती है। इस वायरिंग सिस्टम में सी.टी.एस. या टी.आर.एस. (टफ रबर शीथ) तारें उपयोग में लाई जाती है, इसलिये इस प्रकार के वायरिंग को कभी-कभी सी.टी.एस./टी.आर.एस. वायरिंग के नाम से भी जाना जाता है।
आजकल इसी प्रकार की वायरिंग में PVC तारों और PVC के ही बैटन का भी उपयोग किया जाने लगा है। वायरिंग की इस विधि के अंतर्गत तारों को दीवार के अन्दर से ले जाने के लिये कन्ड्युट या पी.वी.सी. पाईपों का उपयोग किया जाता है। | बैटन का चुनाव करते समय यह ध्यान में रखना चाहिये कि इस बैटन पर से कितनी तारें ले जायी जानी है। यदि तारों की संख्या अधिक होगी तो बैटन भी अधिक चौड़ाई की चाहिये होगी, साथ ही इन पर उपयोग किये जाने वाले क्लिपों का साईज भी बढ़ जायेगा। बैटन पट्टी की साईज और उन पर लगने वाले तारों की संख्या को नीचे दी गई सारणी में बताया गया है।

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