Answer for भुजाएँ व पैर क्या होते है

जैसा कि ‘Extremities’ शब्द से ही स्पष्ट है – ‘छोर’ या ‘सिरा’ अर्थात् हमारे शरीर के भी चार सिरे हैं यानि दो हाथ और दो पैर – जोकि हमारे प्रत्येक कार्य में सहायक हैं। हाथ व पैर लम्बे होने के कारण इनकी बनावट भी हर स्थान से अलग है। अतः वस्त्र बनाते समय इनके महत्त्वपूर्ण अंगों पर उसी प्रकार ध्यान दिया जाएगा जैसे कि धड़ के महत्त्वपूर्ण अंगों पर। वे निम्न भाग हैं –
1. कलाई (Wrist) – पूरी बाजू के वस्त्रों पर फिटिंग देने के उद्देश्य से कलाई का नाप तथा बाजू की लम्बाई लेने के लिए कन्धे की हड्डी से कलाई तक का ही नाप लिया जाता है।

2. कोहनी (Elbow) – पूरी बाजू का वस्त्र काटते व सिलते समय कोहनी की हरकत को ध्यान में रखकर ही बाजू की फिटिंग दी जाती है, ताकि कोहनी की गति में वस्त्र के कारण कोई दिक्कत न होने पाए।

3. जाँघ (Thigh) – कच्छे की लम्बाई व मोहरी का नाप यहाँ से लेते समय यहाँ की मांसपेशियों का भी निरीक्षण करना होता है, ताकि इस स्थान पर अधिक कसे वस्त्र न बनाए जाएँ।

4. घुटना (Knee cap) – घुटने की हरकत बहुत अधिक होती है, .. और एक ही ओर को होती है। इसका नाप ब्रिचेज़ व चूड़ीदार पाजामें के लिए लिया जाता है। जनानी कमीज़ की लम्बाई घुटनेतक ही रखी जाती है।

5. स्मॉल (Small) – पिंडली के ऊपर व घुटने से नीचे का पिछला भाग स्मॉल कहलाता है। अचकन, शेरवानी की लम्बाई यहीं तक नापते हैं। आधुनिक फैशन के अन्तर्गत गोल घेर की नीची फ्रॉकनुमा, ड्रेस यहीं तक चल रही हैं। सम्भ्रान्त घराने की महिलाएँ पार्टी आदि में आरकेन्ज़ा तथा असली रेशम की ड्रेस यहीं तक पहनती हैं। इसी को आजकल अनारकली ड्रैस कहते हैं।

6. पिण्डली (Calf)- चूड़ीदार बनाते समय पिण्डली का नाप लेते हैं। ताकि पिण्डली पर वह कसे नहीं। इसके अतिरिक्त अचकन,ओवरकोट आदि की लम्बाई भी यहाँ तक ली जाती है।

7. एड़ी (Ankle) – किसी भी नीचे भाग में पहने जाने वाले वस्त्रों की मोहरी एड़ी का ध्यान रखते हुए ही बनाई जाती है। उपर्लिखित शरीर के तीनों विभाजित भाग, उनमें स्थित अंग प्रत्यंगों की गतियों को आधार भूत मान कर जो वस्त्र का निर्माण करता है, वही टेलर सबको प्रिय होता है। किन्तु इसी के साथ ही साथ शरीर की वृद्धि, बढ़ोत्तरी कब और कैसे, किन-किन अवस्थाओं में होती है, यह भी शिक्षार्थी को जानना ही चाहिए।

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