Answer for वस्त्रों का मूल्यांकन किन बातो पर निर्भर करता है
1. कपड़े का पूर्वानुमान : परिधान के लिए डिज़ाइन के साइज का ध्यान रखते हुए पूर्वानुमान लगाना ही बुद्धिमानी है ताकि वस्त्र काटते समय कमी न रहे।
2. धारीदार, चैक अथवा पाइल फैब्रिक को अनुमान से अधिक लें क्योंकि लाइनें व चैक मिलाने में कपड़ा अधिक लगता है तथा पाइल को एक रुख से ही कटिंग करना पड़ता है। उसकी दिशा उल्टी करने पर शेड में अन्तर पड़ जाता है।
3. नाप लेते-लेते शरीर का निरीक्षण परमावश्यक है।
4. नाप ठीक तरीके से लिया जाए। लम्बाई के नाप 3″ वाली साइड से तथा गोलाई के ” वाली साइड से लें।
5. ग्राहक का दिया हुआ कपड़ा अवश्यक नापें। यदि कम हो तो ___ कोशिश न करें। 6. यदि डिज़ाइन विशेष है तो पैटर्न अवश्य बनाएं।
7. एबनॉर्मल (Abnormal) आकृति का दोष नाम के साथ नोट करें।
8. Inlays and Turning का ध्यान रखें। सिलाई लगाते समय उतनी ही सिलाईयां लगाएं जितना इनलेज़ रखा था।
9. ट्राई की तारीख पर वस्त्र तैयार हो ताकि उसके दोष देख कर यदि ठीक करने वाले हों तो ठीक करें।
10. वस्त्र कटिंग से पूर्व देखें कि यदि लिंक होना है तो श्रिंक अवश्य करें। अन्यथा धुलते ही वस्त्र छोटा हो जाएगा।
11. यदि कोई छुट-पुट दोष हो तो प्रैस से निकालने का प्रयत्न करें।
12. सिलाई करते समय मशीन का बखिया चैक करके सिलें बखिया सधा हुआ व सुन्दर हो।
13. फैब्रिक के अनुसार ही ट्रिमिंग का प्रयोग करें। नाप लेते समय जो डिज़ाइन ग्राहक द्वारा बताया गया था वह बना है या नहीं, यह ध्यान
14. यदि पतली दुबली ग्राहक है तो उसका डिज़ाइन झालर सहित या कोई फूली-फूली हो तो ट्रिमिंग का प्रयोग करें और यदि मोटी महिला हो तो उनको सिम्पल डिज़ाइन के लिए suggest करें।
15. बैलेंस चिह्नों (Balance marks) का ध्यान रखें उनको बिना मिलाए. सिलाइयां न लगाएं।
16. इसके उपरान्त सभी बातों को ध्यानपूर्वक विचार करके ही ले आऊट करें या सीधा ही काटना है तो कटिंग करें। कटिंग करने के उपरान्त परिधान के सभी पार्ट्स (Parts) को सिलसिलेवार जोड़ने का क्रम शुरू करें। बेप्रमाणबद्ध (Abnormal) व्यक्तियों के वस्त्रों की बहुत ध्यान पूर्वक ड्राफ्टिंग, कटिंग व सिलाई होनी चाहिए। संतुलन चिह्नों (Balance marks) को ठीक प्रकार से मिलाएं। डार्ट्स, प्लीट्स आदि चिह्नों पर सिलाई ठीक से लगाएं ताकि परिधान पर फिनिशिंग अच्छी आए। फिनिशिंग के लिए धागों की कटिंग ठीक प्रकार से करें। खींच कर धागे न तोड़ें।
इन सब उचित निर्देषित सिद्धान्तों का पालन करने पर जो वस्त्र बना कर पहनाया जाएगा, वह पूर्ण किया हुआ अच्छी फिटिंग वाला परिधान बनेगा। पहनने वाला भी खुश होगा और बनाने वाले को भी प्रसन्नता होगी। इन विशेषताओं को ध्यान में रखना प्रत्येक कारीगर के लिए आवश्यक है। ताकि अच्छी फिटिंग तथा अच्छी फिनिशिंग का वस्त्र ही सबको मिले। अत: उपलिखित बातों का ध्यान रखते हुए सुन्दर व well fitted वस्त्र पूर्णतः सबकी पसन्द का बनता है। तभी वस्त्र की सुन्दरता का उचित मूल्यांकन होना सम्भव होता है।