Answer for Origin of Fashion क्या होता है

फैशन की उत्पत्ति के विषय में जानने के लिए यूरोप के फैशन की जानकारी सर्वप्रथम ली जाती है। यद्यपि यह फैशन सब स्थानों पर ही होता है, प्रचलित रहता है किन्तु यूरोपीय देशों का नाम फैशन में अधिक आता है। भारतीय पोशाकों को प्राचीन पारम्परिक पोशाकों के रूप में जाना जाता है जबकि यूरोप के देशों की पोशाकें आज भी कई रूप में अदली-बदली जाती रहती हैं और आज तक उसी प्रकार से प्रचलन में हैं। अत: फैशन की उत्पत्ति का इतिहास जानने के लिए वहीं के इतिहास के पृष्ठ पलटने की ज़रूरत पड़ती है।

European Fashion : यूरोप में 14वीं शताब्दी में फैशन व इन्टीरियर डेकोरेशन (fashion designing and interior decoration) का दौर शुरू माना जाता है। उस काल में फैशन के नए स्टाइलों (styles) का प्रयोग गुड़ियों पर किया जाता था। और प्रचार स्वरूप बाजार में अनेक तरीके से वस्त्र पहनी हुई गुड़ियाँ बिका करती थीं। या उपहार आदि देने में ये गुड़ियां प्रयोग की जाती थीं। धीरे-धीरे इस तरीके में परिवर्तन हुआ। दुनिया की पहली फैशन पत्रिका 1586 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट नामक शहर से प्रकाशित हुई थी। इस पत्रिका के प्रकाशन के फलस्वरूप गुड़ियों पर किया जाने वाला फैशन अब पत्रिका के पृष्ठों में समा गया और फैशन को अब पत्रिका के रूप में आम जनता में प्रचारित कर दिया गया। Godey’s Lady’s Book नाम की एक पत्रिका 1830 में अमेरिका में शुरू की गई थी। यह पत्रिका कई वर्षों तक प्रसिद्ध रही। 19वीं शताब्दी के मध्य में पैरिस शहर फैशन की दुनिया में उभर कर सबके सामने आया। वहां पर महिलाओं की पोशाकें इतनी सुन्दर व आकर्षक बनती थीं कि सबको बहुत पसन्द आईं। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दुनिया में कई नामी डिज़ाइनर अलग-अलग देशों में बहुत मशहूर हुए। . 1960 में लंदन में फैशन के क्षेत्र में बहुत से परिवर्तन होने से एक फैशन क्रांति सी हुई। 1970 से 1980 में फैशन की दुनिया में पारम्परिक फैशन से हट कर एक नया बहाव (trend) आया जिसने फैशन के क्षेत्र में ready to wear अर्थात “तैयार पहनने लायक वस्त्र” कपड़ों की मांग इतनी अधिक बढ़ा दी कि मध्य वर्ग का व्यक्ति भी फैशन के brands को देख कर खरीदने का अभ्यस्त हो गया। नया बदलाव (trend) आने के बावजूद भी कुछ लोग अपनी प्राचीन पारम्परिक पोशाकों को धरोहर के रूप में अपनाते थे, पसन्द करते थे। वे प्राचीन तथा नवीन दोनों का सम्मिश्रण करके पहनते थे। 1990 के दशक के बाद से फैशन में वस्त्र उद्योग का बहुतायत उत्पादन अर्थात mass production होने लगा, जिसको सभी बड़े-बड़े देशों ने बड़े प्रेम से उपभोक्ता की पसन्द के आधार पर अपनाया और तब से आज तक फैशन की जो लहर चल रही है उसमें प्राचीनता व नवीनता के साथ-साथ देश-देश की पोशाकों के स्टाइलों (styles) का सम्मिश्रण ही तो है। इसी प्रकार से फैशन के द्वारा संस्कृतियों का भी आदान-प्रदान शुरू हो चुका है।

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