रिजर क्या होता है और ये कितने प्रकार का होता है ?
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टिलर, हैरो द्वारा मिट्टी बारीक बनाने के बाद इसके द्वारा आलू आदि के बीज बोने के लिए नाली (trench) बनाई जाती है। इसके द्वारा ही नाली बनाकर ईंख की बिजाई की जाती है। यह नरम मिट्टी को दोनों ओर को पलटता है। माउण्टेड रिजर में तीन से पाँच फालें होती हैं। एक फाल वाला ट्रेल्ड रिजर भी बनाया जा सकता है। इसके द्वारा खेत में डोल (मेड) व सिंचाई के लिए नाली भी बनाई जा सकती है। रिजर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
(i) ट्रेल्ड रिजर
(ii) माउण्टेड रिजर
लैवलर Leveller
ऊँची भूमि को समतल करने के कार्य में प्रयोग किया जाता है। इसके लिए पहले हैरो अथवा टिलर से जुताई करके खेत को भुर-भुरा बना लेते हैं। यह ट्रैक्टर के पीछे ही थ्री प्वॉइण्ट पर लगाया जाता है। परन्तु चेन टाइप ट्रैक्टरों में यह आगे भी लगाया जाता है। इसके द्वारा पहाड़ी तोड़ कर सड़क बनाने में तथा बर्फ हटाने का काम भी लिया जाता है। इसमें जगह कम होने या पहाड़ में ऊपर से नीचे को मलवा ढकेलने के लिए इसके ब्लेड को भिन्न-भिन्न कोणों (Angle) पर भी फिक्स किया जा सकता है। इसे एंगिल डोगर का नाम भी दिया जाता है। बहुत से ट्रैक्टरों में विशेष उपकरण लगा कर भी यह कार्य लिया जाता है। इसे मांझा या प्लेनर भी कहते हैं। यह माइल्ड स्टील का बना होता है।
पोटेटो प्लाण्टर Potato Planter
आलू, किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मुख्य फसल है। इसे खेत में दो प्रकार से बोया जाता है।
1. मैन्युअली (मजदूरी पर)
2. मशीन से। इस मशीन से भी दो प्रकार से कार्य लिया जाता है।
(i) ट्रैक्टर के पीछे प्लाण्टर लगाकर मनुष्यों द्वारा बीज गिराकर।
(ii) ट्रैक्टर के पीछे ऑटोमेटिक तरीके से (पोटेटो प्लान्टर द्वारा)।