कपास की क्या – क्या विशेषताएं है
कपास एक प्रकार का कपड़ा है जो छोटे, पतले रेशों से बना होता है। जब यह गीला होता है, तो ये रेशे बहुत मजबूत हो जाते हैं और बहुत अधिक टूट-फूट को झेल सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेशे बहुत सारे छोटे-छोटे टुकड़ों से बने होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे कपड़े के समग्र आकार और मजबूती को बहुत कुछ धारण कर सकते हैं।
नतीजतन, सूती कपड़े का उपयोग अक्सर उन कपड़ों के लिए किया जाता है जो कठोर और सख्त होते हैं, जैसे काम के कपड़े या जींस। हालांकि, जब कपड़े को कंघी किया जाता है, तो जो लंबे, पतले रेशे निकलते हैं, उनका उपयोग उच्चतम गुणवत्ता वाले कपड़े बनाने के लिए किया जाता है। ये फाइबर 16 माइक्रोन जितने पतले हो सकते हैं, जिससे वे अविश्वसनीय रूप से नाजुक और उत्पादन के लिए महंगे हो जाते हैं।
कपास की क्या – क्या विशेषताएं है
1. सैल्यूलोज़ निर्मित रेशे (Fibers made of Cellulose) :कपास के रेशे बड़ी मात्रा में सेलूलोज़ से बने होते हैं, इसलिए पानी की मात्रा अधिक होती है। इसका मतलब है कि बैक्टीरिया और गंदगी से काफी बचाव होता है, क्योंकि रेशे आपस में चिपक जाते हैं।
2. अणुवीक्षण यंत्र में कपास की रचना का रूप (Microscopic Appearance of Cotton) :जब आप इस उपकरण में एक सूती धागा रखते हैं, तो जो बल उत्पन्न होता है वह एक फटे हुए रिबन की तरह दिखता है। सूती धागे में एक नली दिखाई देती है, जिसमें रस नामक द्रव जमा रहता है। जब रस सूख जाता है, तो उपकरण सूती धागे में ऐंठन पैदा करता है, जिसे कपड़ा विज्ञान में कनवल्शन कहा जाता है। कनवल्शन एक इंच में 200 से 400 तक होती है और इस अवस्था में सूत का धागा ऐसा प्रतीत होता है मानो बल का रिबन हो।
3. प्रत्यास्थता (Elasticity) :माइक्रोस्कोप के नीचे देखे जाने पर कपास के रेशों में उनके विभाजित होने के कारण लोच की कमी होती है। शरीर के आकार और आकार के अनुसार यह फिटिंग का कपड़ा इसलिए तैयार किया जाता है क्योंकि यह धोने के बाद नहीं बढ़ता बल्कि इतनी बार खत्म हो जाता है कि धोने के बाद सिकुड़ जाता है। इसलिए, यह कपड़ा कभी भी खराब नहीं होता है और युवा होने पर उसी आकार में नहीं आता है। यही कारण है कि पूरे सूती कपड़े पहनने पर भंगुरता उत्पन्न होती है।
4. वस्त्र की मजबूती (Strength of Fabrics) : सूती कपड़े छोटे, मजबूत रेशों से बनाए जाते हैं। गीले होने पर ये रेशे और भी मजबूत हो जाते हैं और यही कारण है कि सूती कपड़े आमतौर पर अन्य प्रकार के कपड़ों की तुलना में अधिक खुरदरे होते हैं। हालांकि, कपड़े को कंघी करने पर जो लंबे, मजबूत रेशे मिलते हैं, उनका उपयोग सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले कपड़े बनाने के लिए किया जाता है। ये फाइबर व्यास में 16 या 20 माइक्रोन जितने बड़े हो सकते हैं।
5. रंग एवं चमक (Colour and Luster) : मर्सरीकरण सूती रेशों के खुरदुरेपन को दूर करके सूती कपड़े को चिकना बनाने की एक प्रक्रिया है। यह कपड़े को पेंट या अन्य रसायनों की पतली परत से सजाकर किया जाता है। कपास के खरीदार मर्सरीकृत कपड़ा पसंद करते हैं क्योंकि इसमें सफेद या हल्के रंग का फाइबर होता है।
6. खिंचाव का गुण : क्योंकि कपास आकार में स्थिर होती है, जब इसे बुना जाता है तो धागों पर तनाव होता है। इससे समान लंबाई और चौड़ाई में खिंचाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप पहली धुलाई में कपड़ों की लंबाई और चौड़ाई में अंतर आ जाता है। हालांकि, कुछ धुलाई के बाद कपड़ों के आकार में कोई बदलाव नहीं आता है।
7. ताप क्षमता (Heat conductivity) :ऊन एक प्राकृतिक रेशा है और इसमें गर्मी सहन करने की बहुत शक्ति होती है। इसलिए गर्मियों में इसका इस्तेमाल सबसे अच्छा होता है। इसी वजह से ऊनी कपड़े छूने में ठंडे लगते हैं। इसके अलावा, आज ऊन को कपास के साथ मिलाने का चलन है, जिससे गर्मी का एहसास होता है। एक ओर, ऊन का उपयोग कुछ कपड़ों में गर्मी प्रदान करने के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए, फलालैन के कपड़े। इन तंतुओं को उनकी उच्च ताप सहन क्षमता के कारण गर्म लोहे से बहुत गर्म दबाया जाता है। लेकिन अगर तापमान 300 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाए तो कपड़े झुलस जाएंगे। 475 डिग्री फारेनहाइट पर कपड़े जल जाएंगे।
8.वस्त्रों पर रसायनों की प्रतिक्रिया :सूती कपड़े एसिड और अन्य मजबूत समाधानों से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, और क्षारीय पदार्थों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, अगर आपको सूती कपड़ों से दाग हटाने की जरूरत है, तो पतला घोल का उपयोग करना सबसे अच्छा है। कपड़े को साफ करने के लिए आपको उसे कई बार साफ पानी से धोना चाहिए। सोडियम हाइड्रॉक्साइड, जिसका उपयोग कपास को मर्सराइज़ करने के लिए किया जाता है, उसे चमकदार और चिकना भी बनाता है।
9. फफूंदी का प्रभाव : जब आपके कपड़ों में फफूंदी लग जाती है, तो इसका कारण यह है कि उन्हें ठीक से नहीं सुखाया गया है। यदि आप नहीं चाहते कि ऐसा हो, तो आपको अपने कपड़ों को धूप में सुखाने के लिए रख देना चाहिए और फिर उन्हें किसी साफ, सूखी जगह पर स्टोर कर देना चाहिए। इस तरह, आप दुर्गंध, गंदे निशान, और यहाँ तक कि अपने कपड़ों पर फफूंदी लगने से भी बच जाएँगे!
10.सफाई एवं धुलाई : इस कमीज का कपड़ा बहुत ही छोटे-छोटे रेशों से बना होता है, इसलिए यह जल्दी गंदा हो जाता है। हालांकि इसे साफ करना मुश्किल नहीं है। आप इसे साफ करने के लिए रगड़ना, पीटना या उबालना जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। और अगर शर्ट बहुत ज्यादा गंदी हो जाए तो भी आप उसे साफ करने के लिए सस्ते या महंगे साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
FAQ
कपास के तन्तु की स्वाभाविक ऐंठन को वस्त्र विज्ञान में …….. कहा जाता है।
(A) Sap
(b) कन्वल्शन
(c) बल वाला फीता
(d) उक्त में कोई नहीं
उत्तर. कन्वल्शन
छोटे रेशों के प्रायः …….. वस्त्र बनते हैं।
(A) सजावटी
(b) चिकने
(c) खुरदरे
(D) कृत्रिम
उत्तर. खुरदरे
सूती कपड़े ……… फारेनहाइट पर जल जाते हैं।
(A) 300°
(b) 350°
(c) 400°
(d) 475°
उत्तर. 475°
छोटे रेशों से वस्त्र …….. बनते हैं।
(A) कमजोर
(b) चिकने
(c) मजबूत
(d) महंगे
उत्तर. मजबूत
लिनन के पौधे में शाखाएं फूटते ही …….. बेकार हो जाता है।
(A) पौधा
(b) शाखा
(c) रेशा
(d) कपड़ा
उत्तर. रेशा
लिनन के पौधे से रेशे अलग-अलग करने की कौन सी विधि नहीं है?
(A) ओस में गलाना
(b) कच्चे पौधे को काट लेना
(c) पानी में गलाना
(d) लकड़ी के पात्र में गलाना
उत्तर. कच्चे पौधे को काट लेना
लम्बे रेशों से निर्मित लिनन की सतह ……. होती है।
(A) खुरदरी
(b) गंदी
(c) चिकनी व चमकदार
(d) प्रत्यास्थ (Elastic)
उत्तर. चिकनी व चमकदार
पशुओं के बाल उतार कर उनको सटाकर वस्त्र बनाने की पद्धति को …….. कहते हैं।
(A) वीविंग
(b) फेल्टिंग
(c) निटिंग
(d) प्रिन्टिंग
उत्तर. फेल्टिंग