फिटर थ्योरी वनलाइनर महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Fitter Theory One liner Important Question Answer – आईटीआई में फिटर ट्रेड पॉपुलर ट्रेडो में से एक है . इसलिए विद्यार्थियों को फिटर थ्योरी से संबंधित पूरी जानकारी होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि अगर आप किसी भी नौकरी के लिए इंटरव्यू या एग्जाम देने जाते हैं तो आपसे वहां पर फिटर ट्रेड से संबंधित ही काफी महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके जवाब शायद आपको ना पता हो इसलिए आज इस पोस्ट में आपको फिटर से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर एक लाइन में दिए हैं ताकि आपको आसानी से याद हो सके. यह प्रश्न पहले भी फिटर ट्रेड से संबंधित एग्जाम और परीक्षा में पूछे जा चुके हैं.
1. ट्राई स्क्वायर एक प्रकार का चैकिंग व मार्किंग टूल है जिसका मुख्य कार्य किसी जॉब को 90° के कोण में चैक करने के लिए किया जाता है।
2. रीमर के कटिंग वाले भाग की हार्डनेस हाई स्पीड स्टील रीमर के लिए 62 से 62 HRC तथा हार्ड कार्बन स्टील रीमर के लिए 6 से 64 HRC होनी चाहिए।
3. चूड़ी के सबसे ऊपरी भाग को कैस्ट कहते हैं।
4. 1 मीटर = 39.37 इंच = 1.094 गज होता है। स्क्राइवर का प्रयोग मार्किंग करते समय लाइनें खींचने के लिए किया जाता है।
5. रेखीय माप के लिए वर्नियर कैलिपर्स का प्रयोग किया जाता है।
6. शीट की मोटाई चैक करने के लिए वायर गेज का प्रयोग होता है।
7. ड्रिल ग्राइडिंग गेज का कोण 121° होता है।
8. स्पिलिट डाई के अन्दर तीन स्क्रू लगा होता है।
9. क्लीयरेंस ऐंगल का प्रयोग ऐंगल लिप को क्लीयरेंस देने के लिए बनाया जाता है जो कि कार्य के अनुसार 7° से 150° तक रखा जाता है। य 2 रॉप थ्योरी OP THEORY)
10. पंच प्रायः हाई कार्बन स्टील से बनाये जाते हैं।
11. मीडियम टैप में 4 या 5 चूड़ियाँ ग्राइंड होती है।
12. किसी माइक्रोमीटर की प्रारंभिक रीडिंग को जीरो रीडिंग कहते हैं।
13. ब्रिटिश मान संस्था की स्थापना 1855 ई. में हुई थी।
14. यूनिफार्म स्टीप टेपर कम्पाउंड रेस्ट विधि से काटा जाता है।
15. प्रिंक पंच का कोण 30°, डॉट पंच का कोण 60° तथा सेन्टर पंच का कोण 90° होता है।
16. स्नैपर (रिंच) का प्रयोग प्रायः नट व वोल्ट को कसने या खोलने के लिए किया जाता है।
17. कैलिपर्स प्रायः हाई कार्बन स्टील या माइल्ड स्टील का बना होता
18. चीजल (छैली) एक कटिंग टूल है, जिसका प्रयोग ऐसी धातु को काटने के लिए किया जाता है जिसे रेती या हेक्सा के द्वारा आसानी से नहीं काटा जा सकता है।
19. नई फाईल को सबसे पहले मुलायम धात् पर प्रयोग किया जाता है।
20. प्रत्येक चक्कर में ड्रिल धातु को काटता हुआ जितनी गहराई में जॉब के अन्दर प्रवेश करता है वह उसकी फीड कहलाती है।
21. जॉब का कोण चैक करने के लिए केवल गेज का प्रयोग होता है।
22. ‘बी’ ब्लॉक का प्रयोग गोल जॉब को सहारा देने के लिए किया जाता है।
23. फाईल (रेती) एक प्रकार का कटिंग टूल (tools) है जिसका प्रयोग जॉब से अनावश्यक धातुओं को हटाने के लिए किया जाता है।
24. हैण्ड हैमर के पैन तथा फेस के बीच के भाग को चीक कहते हैं।
25. 1 गज = 3 फूट = 0.914 मी. होता है।
26. इंस्पेक्शन गेज की परिशुद्धता 0.001 मिमी होती है।
27. डायगॉनल फिनिश का चिह्न X है।
28. ड्रिल चक्र में प्रायः तीन सुराख होते हैं।
29. फाईल की हार्डनेस सामान्यतः 60-64 HRC रखी जाती है।
30. फाईल ब्लेड हार्ड कार्बन स्टील और साधारण कार्बन स्टली के बने होते हैं।
31. कास्ट आयरन में ड्रिलिंग करते समय किसी भी कुलेंट की आवश्यकता नहीं होती है।
32. फिटर कई तरह के होते हैं – बैच फिटर, एसेम्बली फिटर तथा इरेक्शन फिटर।
33. ट्रेगुलर स्क्रेपर में तीन कटिंग ऐज होते हैं।
34. फिक्सड डाई के अंदर चार होल होते हैं।
35. बैच फिटर ऐसा कारीगर होता है जो अपने काम का लगभग 75% काम हैंड टूल्स तथा 25% काम मशीनों के द्वारा करते हैं।
36. मास्टर गेज की परिशुद्धता 0.0001 मिमी होती है।
37. सिंगल कट में 60 से 85° तक के कोण पर टीथ कटे होते हैं।
38. खराब चुड़ियों को सही करने के लिए डाई नट का प्रयोग होता है
39. ड्रील का प्रयोग सामान्यतः किसी धातु में सुराख करने के लिए किया जाता है।
40. हेक्साइंग करते समय हेक्सा की औसतन चाल 40° से 50 स्ट्रॉक प्रति मिनट होनी चाहिए।
41. लैपिंग के लिए 0.01 मिमी एलाउंस रखा जाता है।
42. स्क्रेपर एक कटिंग टूल है, जिसका प्रयोग सरफेस से हाई स्पॉट्स को हटाने के लिए किया जाता है।
43. 22 मिमी. तक के साइज के टैप में प्रायः तीन फ्लूट होते हैं और 22 से 52 मिमि तक टैप में चार फ्लूट होते हैं।
44. स्क्रैपर प्रायः टूल स्टील से बनाए जाते हैं।
45. रिफरेंस गेज को मास्टर या कंट्रोल गेज कहते हैं।
46. टैप्ड होल की परिशुद्धता चेक करने के लिए प्लग थ्रेड गेज का प्रयोग होता है।
47. साधारण सोल्डर का ग्लनांक 205°C होता है।
48. इंडियन स्टैण्डर्ड के अनुसार होल की उच्चतम विचलन का संकेत चिह्न ES है।
49. चीजल के कटिंग ऐज का हार्डनेस 53 से 59 HRC होनी चाहिए।
50. स्क्राइबर द्वारा लगाई गई लाईन को कार्य करते समय पक्का रखने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला टूल ‘पंच’ कहलाता है।
51. स्पैनर दो मुँह वाले होते हैं।
52. कास्ट आयरन का गलनांक 1150° से 1200° तक होता है।
53. माइक्रोमीटर स्क्रू थ्रेड की लीड और पिच के सिद्धांत पर बनाया गया है।
54. फरनेस के तापमान को मापने के लिए पायरोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
55. टैपर टैप में लगभग 6 चुड़ियाँ ग्राइंड होती है।
56. फाईल की स्ट्राकों में प्रति मिनट संख्या औसतन 40° से 80° होनी चाहिए।
57. पेंचकस प्राय: कार्बन स्टील के बनाये जाते हैं
58. चीजल प्रायः हाई कार्बन स्टील से बनाई जाती है।
59. श्रिंक रूल का प्रयोग मोल्डिंग शाप में किया जाता है।
60. पंच के प्वाइंट की हार्डनैस 55 से 59 HRC होता है।
61. सरफेस प्लेट प्रायः वर्गाकार एवं आयताकार होती है जो प्रायः तीन ग्रीड में पाई जाती है।
62. लम्ब रूप में फिनिश के लिए चिह्न 1 है।
63. भारतीय स्टैण्डर्ड (B.I.S) के अनुसार समानान्तर ले (Lay) के प्रतीक ‘=’ है।
64. ड्रिल की चाल को चक्कर/मिनट में मापा जाता है।
65. हाई लिमिट और लो लिमिट के अन्तर को टॉलरेंस कहते हैं।
66. लैथ बैड की धातु कास्ट स्टील की होती है।
67. नम्बर ड्रिल का नम्बर 1-80 होता है।
68. प्लायर वह औजार है, जो छोटे-छोटे जॉब या धातुओं को पकड़ने, काटने या मोड़ने के काम आता है।
69. एक कुशल फिटर को मार्किंग, फाइलिंग, हेक्साइंग चिपिंग, स्क्रपिंग, ड्रिलिंग, रीमिंग, वेल्डिंग एवं ग्राइडिंग, ब्रेजिंग, फोजिंग, रिवेटिंग, शीट मैटलिंग तथा लेथ कार्य में निपुणता आवश्यक होता है।
70. लुब्रिकेंट की बहाव की माप को विस्कोसिटी कहते हैं।
71. रीमर के लिए ड्रिल साइज की गणना का सूत्र है: रीमर ड्रिल साइज = रीमर साइज (अण्डर साइज + ओवर साइज)
72. फाईलिंग के लिए एलाउस प्राय: 0.025 मिमि. से 0.5 मिमी. के बीच रखा जाता है।
73. जीचल का कटिंग ऐंगल 40° होता है।
74. इलेक्ट्रोप्लेटिंग परमानेंट एंटी कोरोसिव ट्रीटमेंट है।
75. माइक्रोमीटर के आविष्कारक जिम पॉमर थे।
76. स्क्रपिंग के द्वारा 0.003 से 0.1 मिमी. की परिशुद्धता में सतह को साफ किया जाता है।
77. डाई प्रायः कास्ट स्टील (हाई कार्बन स्टील) की बनी होती है।
78. गेल्वनाइजिंग सेमी परमानेंट एंटी-कोरोसिव ट्रीटमेंट है।
79. स्लैज हैमर का वजन 4 पौंड से 20 पौंड तक होता है।
80. ‘A’ड्रिल का साइज 0.234″ होता है, जबकि ‘Z’ का साइज 0.413″ होता है।
81. डबल कट फिनिशिंग के लिए पहला कट 30° तक होता है।
82. कैलिपर्स एक अप्रत्यक्ष मापी औजार है जिसका प्रयोग स्टील रूल की सहायता से किसी जॉब की लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और व्यास आदि की माप के लिए किया जाता है।
83. किसी गोल रॉड के सिरे का केन्द्र जेनी केलिपर, सरफेस गेज, सेंटर हैड तथा बैल पंच द्वारा निकाला जाता है।
84. ड्रिल प्रायः हार्ड कार्बन स्टील या स्पीड स्टील से बनाए जाते हैं। कटिंग ऐंगल ड्रिल का प्वाइंट एंगल होता है जो कार्य के अनुसार 60° से 150° तक रखा जाता है।
85. हेक्सा प्रायः हार्ड कार्बन स्टील, लो एलॉय स्टील या हाई स्पीड स्टील से बनाए जाते हैं।
86. चीजल की बॉडी प्रायः षट्भुज आकार की होती है।
87. हैमर का भार चीजल की अपेक्षा दोगुना होनी चाहिए।
88. माईक्रोमीटर एक सूक्ष्ममापी उपकरण है जिससे 0.001″ या 0.01 मिमी. तक की सूक्ष्मता की माप ली जा सकती है।
89. फाईल का ओवर कट दाँते 90° और अप कट दाँते 75-80° के कोण पर बने होते हैं।
90. फाईल ब्लेड में 28 से 32 टीथ प्रति इंच होते हैं।
91. हाई स्पीड स्टील के टूल की हार्डनैस प्राय: 60 HRC होती है।
92. प्लायर मुख्यतः ढलवाँ इस्पात से बनाया जाता है।
93. साधारण कार्यों के लिए कटिंग ऐंगल का प्वाइंट 118° रखा जाता है।
94. किसी असेम्बली या मशीन के जब सभी पार्टी बन जाते हैं तो उन्हें चैक करने के बाद दूसरे प्रकार के कारीगरों के पास भेज दिया जाता है, जिन्हें फिटर कहते हैं।
95. ‘की’ सीट रूल का प्रयोग किसी शाफ्ट पर चाबी घाट की मार्किंग के लिए किया जाता है।
96. टैप प्रायः हार्ड कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं।
97. कोर्स ब्लेड में 14 से 18 टीथ प्रति इंच होते हैं।
98. रीमर एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग किए हुए ड्रिल होल को फिनिश करने के लिए और उसका साइज बढ़ाने के लिए किया जाता है।
99. वर्कशॉप गेज की परिशुद्धता 0.01 मिमी होती है।
100. हैमर प्रायः हाई कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं।
101. फाईल पर दो संलग्न दाँतों के बीच की दूरी पिच कहलाती है
102. घड़ीसाज स्विच फाइल का प्रयोग करते हैं।
103. लेटर ड्रिल अक्षरों में पाये जाते हैं जो कि A से Z (छब्बीस) तक होते हैं।
104. डाई भी एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग बाहरी चूड़ियाँ काटने के लिए होता है।
105. हेक्सा एक ऐसा औजार है जिसका प्रयोग वर्कशाप धातुओं को काटने के लिए किया जाता हैं।
106. यदि ड्रिल का स्पीड (R.P.M.) ज्ञात हो तो ड्रिल का व्यास बढ़ने से कटिंग स्पीड भी बढ़ती है।
107. टैप एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसके द्वारा अन्दरूनी चूड़ियाँ काटी जाती है।
108. जिस औजार की सहायता से पेंच को कसा या ढीला किया जाता है उसे पेंचकस कहते हैं।
109. एक माइक्रोन का मान 0.001 मिमी. होता है
110. ट्रेमेल का प्रयोग बड़े साइज के वृत्त व चाप की मार्किंग के लिए किया जाता है।
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Iti fitter ke कोहाचन