Answer for इंटरनेट और सर्वर किसे कहते है

– इंटरनेट की सम्पूर्ण संरचना क्लाइंट-सर्वर मॉडल पर आधारित होती है। इसमें उच्च स्तर के रूट नेम सर्वर, डीएनएस सर्वर और राउटर्स, इंटरनेट पर ट्रैफिक का निर्देशन करते हैं।
इंटरनेट से जुड़े ऐसे लाखों सर्वर होते हैं जो पूरे विश्व में लगातार चल रहे हैं। वर्तमान समय के इंटरनेट सर्वर निम्न सेवायें प्रदान करते हैं

• वर्ल्ड वाइड वेब
– डोमेन नेम सिस्टम
– ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक मेल
– FTP फाइल स्थानान्तरण
– इंटरनेट रिले चैट
– ध्वनि संचार
– स्ट्रीमिंग ऑडियो और वीडियो
– ऑनलाइन गेमिंग

– जब भी कोई एक इंटरनेट यूजर किसी एक कार्य को अंजाम देता है तो इसके लिये एक या एक से अधिक सर्वर प्रयोग होते हैं और ये आपस में सम्पर्क करके कार्य को पूरा करते हैं। इस प्रक्रिया में अनेक इंटरनेट तकनीकें इंटर सर्वर के स्तर पर संचालित होती हैं। अन्य सर्विसेज से सम्बन्धित सर्वरों का उपयोग नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर फाइल शेयरिंग और स्काइप जैसे कार्य।

कोई भी कम्प्यूटर या उपकरण जो एप्लीकेशन या सेवा प्रदान करते हैं उन्हें सर्वर कह सकते हैं। किसी ऑफिस में नेटवर्क सर्वर की पहचान करना आसान होता है लेकिन आम जिंदगी में नहीं।

– उदाहरण के लिये एक DSL/केबल मॉडम राउटर भी एक सर्वर के ही समान होता है क्योंकि यह एक ऐसा कम्प्यूटर प्रदान करता है जिसमें एप्लीकेशन सेवायें होती हैं। जैसे कि IP एड्रेस एसाइनमेंट (DHCP के द्वारा), NAT और फॉयरवाल जो कम्प्यूटर की बाहरी खतरों से रक्षा करने में मदद करता है। इसी तरह से आईट्यून्स सॉफ्टवेयर एक म्यूजिक सर्वर को कार्यान्वित करता है जो कम्प्यूटरों में म्यूजिकी स्ट्रीमिंग करता है। कई घरेलू यूजरों द्वारा शेयर करने के लिये फोल्डरों और प्रिंटरों का निर्माण किया जाता है।

– क्लाइंट/सर्वर वास्तव में एक नेटवर्क एप्लीकेशन आचिंटेक्टर है। जिसमें क्लाइंट/सर्वर से अलग रहता है। इसमें क्लाइंट कम्प्यूटर सर्वर कम्प्यूटर को किसी खास कार्य करने के लिए रिक्वेस्ट करता है।

– इस आचिंटेक्टर के अंतर्गत प्रत्येक नेटवर्क में जो कम्प्यूटर जुड़ा होगा वह या तो क्लाइंट होगा या फिर सर्वर । जब हम सर्वर की बात करते हैं तो इसके अंतर्गत जो प्रॉपर्टीज़ होती हैं वह निम्नलिखित हैं

– यह वास्तव में सेवक की मुद्रा में या सेवक की तरह से कार्य करता है। – यह रिक्वेस्ट अथवा प्रार्थना की प्रतीक्षा करता है।

– रिक्वेस्ट होने की अवस्था में यह जवाब देता है।
• जबकि क्लाइंट कम्प्यूटर इसके विपरीत होता है। इसकी विशेषताएं निम्न हैं
• यह मालिक की तरह से व्यवहार करता है।
– सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है।
– जब तक जवाब नहीं आ जाता तब तक प्रतीक्षा करता है।

– इस P2P नेटवर्क को ग्रिड कम्प्यूटिंग भी कहते हैं। इसके अंतर्गत आने वाले नोड एक ही समय में क्लाइंट और सर्वर दोनों की भूमिका अदा करते हैं। इस नेटवर्क की सबसे बड़ी उपयोगिता है इसकी बैंड विर्थ। इसके अंतर्गत हमें क्लाइंट और सर्वर दोनों की बैंड विर्थ प्रयोग करने की सुविधा प्राप्त होती है।

Back to top button