Answer for इग्नीशन स्ट्रोक क्या होता है ?

जब सम्पीडन स्ट्रोक में पिस्टन बी.डी.सी. (BDC) से टी.डी.सी. (TDC) पर पहुँचने वाला होता है, तभी : सिलेण्डर हैड में लगे इंजेक्टर द्वारा डीजल का महीन स्प्रे सम्पीडित वायु में किया जाता है, जिससे तापमान एवं दाब सम्पीडन स्ट्रोक में बढ़ जाता है। डीजल के स्प्रे के कारण दहन कक्ष में विस्फोट होता है। इस कारण इंजन के दहन कक्ष में गैसें फैलने लगती हैं और ये गैसें पिस्टन को नीचे की ओर धक्का देने लगती हैं अर्थात् पिस्टन टी.डी.सी. (TDC) से बी.डी.सी. (BDC) की ओर जाने लगता है, जिससे पिस्टन से सम्बद्ध कनेक्टिग रॉड, फ्रैंक शाफ्ट तथा फ्लाईव्हील को घूमने की शक्ति प्रदान करती है। इस शक्ति को फ्लाईव्हील अन्य स्ट्रोकों के लिए संचित कर लेता है।

एग्जॉस्ट स्ट्रोक (Exhaust Stroke)
यह पिस्टन का अन्तिम स्ट्रोक होता है। इसमें पिस्टन बी.डी.सी. (BDC) से टी.डी.सी. (TDC) की ओर चलता है, जिससे पिस्टन दहन गैसों को ऊपर की ओर धक्का देता है। इस कारण सिलेण्डर हैड में उपस्थित एग्जॉस्ट वाल्व खुल जाता है और गैसें सिलेण्डर से बाहर निकल जाती हैं। पिस्टन के ऊपर जाने से निष्क्रिय गैसें एग्जॉस्ट वाल्व एवं साइलेन्सर के रास्ते बाहर (वायुमण्डल में) निकल जाती हैं।

दो स्ट्रोक इंजन Two Stroke Engine
इन इंजनों में प्राय: इंजन चलाने के चक्र के चारों स्ट्रोक (सक्शन, सम्पीडन, पावर तथा एग्जॉस्ट) पिस्टन के दो ही स्ट्रोकों में पूरे हो जाते हैं। इस प्रकार के इंजनों में ईंधन दहन का समय कम होता है, जबकि प्रति हॉर्स पावर ईंधन खपत अधिक होती है। ये इंजन सामान्यतया पेट्रोल तथा डीजल ईंधनों के प्रयोग द्वारा चालित किए जाते हैं।

दो स्ट्रोक पेट्रोल इंजन Two Stroke Petrol Engine
इस प्रकार के इंजनों में ईंधन के रूप में पेट्रोल का प्रयोग किया जाता है तथा इनका ऐसे अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है, जहाँ कि सरलता (simplicity) एवं मितव्ययी (low cost) वाले प्राइम मूवर (prime mover) की आवश्यकता होती है; जैसे-स्कूटर, मोटरसाइकिल आदि। दो स्ट्रोक पेट्रोल इंजनों में एक कार्यकारी चक्र (working cycle) पिस्टन के दो ही स्ट्रोक में पूर्ण हो जाता है अर्थात् बैंक शाफ्ट के प्रत्येक चक्कर में इंजन को शक्ति प्राप्त होती है। यह शक्ति इंजन फ्रैंक केस में वायु एवं पेट्रोल के मिश्रण के दहन के फलस्वरूप प्राप्त होती है। ये इंजन ऑटो चक्र पर आधारित होते हैं।

स्ट्रोक डीजल इंजन Two Stroke Diesel Engine
इस प्रकार के इंजनों में ईंधन के रूप में डीजल का प्रयोग किया जाता है तथा इन इंजनों का प्रयोग सामान्यतया शिप प्रोपल्सन (ship propulsion) में किया जाता है। ये इंजन लोअर गवर्ड स्पीड (lowergovernedspeed) होने के कारण अधिक लचीले नहीं होते हैं; जैसे—जहाजीय इंजन। सिद्धान्त (Principle) दो स्ट्रोक आधारित डीजल इंजन, डीजल चक्र (diesel cycle) पर आधारित होते हैं। इनमें डीजल वाष्प एवं सम्पीडित वायु (compressed air) के दहन के फलस्वरूप शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार के इंजन में एक कार्यकारी चक्र पिस्टन के दो स्ट्रोकों में पूर्ण हो जाता है अर्थात् इंजन के चारों स्ट्रोक (सक्शन, सम्पीडन, इग्नीशन एवं एग्जॉस्ट) पिस्टन के दो ही स्ट्रोक में पूर्ण हो जाते हैं। दो स्ट्रोक डीजल . इंजन में भी दो स्ट्रोक पेट्रोल इंजन की भाँति ही फ्रैंक शाफ्ट के प्रत्येक चक्र में शक्ति प्राप्त होती है।

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