Answer for ऊष्मा उपचार प्रक्रम क्या होता है ?

धातुओं पर अक्सर लगातार ऐसे अभियान्त्रिकीय प्रक्रम किए जाते हैं, जिनसे उनके अणुओं के बीच स्थापित अन्तर-आणविक बल (intra-molecular force) का सामंजस्य (balance) बिगड़ जाता है, तब उसकी पुनः स्थापना के लिए ऊष्मा उपचार (heat treatment) प्रक्रिया की जाती है। यह ट्रैक्टरों के लिए इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि उनके लिए सामान्य से अधिक सामर्थवान् धातुओं की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ट्रैक्टरों का उपयोग निरन्तर तथा सामान्य से विषम स्थितियों में किया जाता है। इस्पात या अन्य धातुओं में ऊष्मा उपचार द्वारा कुछ आवश्यक विशेष गुण पैदा किए जाते हैं, जिससे उन पर मशीनी प्रक्रियाएँ आसानी से की जा सकें या उनका जीवनकाल बढ़ाया जा सके। वास्तव में, “ऊष्मा उपचार एक प्रक्रम है जिसमें धातुओं को ठोस अवस्था में ही गर्म/ठण्डा करके उनके अन्दर वांछित गुणों का विकास किया जाता है।” शुद्ध आयरन या रॉट आयरन एक मुलायम (soft) तथा डक्टाइल (ductile) धातु है जिस पर ठण्डा/गर्म करने जैसी प्रक्रियाओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता, परन्तु जब इसमें कार्बन की 0.5% से अधिक मात्रा मिलाई जाती है, तो एक विशेष तापक्रम तक गर्म करने के पश्चात् तेजी से ठण्डा करने से इसमें कठोरता (hardness) आ जाती है। यह कठोरता क्यों आती है? इसके सिद्धान्त को समझाने के लिए आयरन की आन्तरिक संरचना (internal structure) का ज्ञान होना आवश्यक है।

ऊष्मा उपचार सम्बन्धी प्रक्रियाएँ Process Related to Heat Treatment
सभी प्रकार की ऊष्मा उपचार प्रक्रियाओं में तथा विशेष रूप से इस्पात में ऑस्टेनाइट (austenite) का परिवर्तन तथा वियोजन होता है। इसमें ठण्डा होने की दर एक विशेष स्थान रखती है। इसी से ऑस्टेनाइट, पिअरलाइट तथा मॉर्टेनसाइट में परिवर्तित होता है। ऊष्मा उपचार कुछ ही अलॉय धातुओं का हो सकता है, जिनमें विभिन्न अवस्थाओं में एक तत्त्व दूसरे में ठोस अवस्था में घुलनशील (soluble) हो; जैसे-इस्पात में कार्बन आयरन घुल (dissolve) जाता है तथा एल्युमीनियम में ब्रोन्ज घुल जाता है। जब स्टील को एक विशेष तापमान से अधिक ताप पर गर्म किया जाता है तथा एक विशेष दर से ठण्डा किया जाता है, तो ठण्डा करने की दर के अनुसार उसकी आन्तरिक संरचना में परिवर्तन आता है। यदि ठण्डा करने की दर कम होती है, तो पिअरलाइट स्ट्रक्चर बनता है जोकि मुलायम (soft) होता है, परन्तु यदि ठण्डा होने की दर अधिक होती है तो मानसाइट (martensite) स्ट्रक्चर बनता है जोकि बहुत कठोर (hard) हाता है।

अनीलिंग Annealing
सभी धातुओं में कोल्ड वर्किंग (cold working) के कारण या कास्टिंग के समय पर तेजी से ठण्डा होने के कारण उसकी आन्तरिक संरचना में आए विरूपण (distorted structure) के कारण कठोरता (hardness) आ जाती है, जिसके कारण उन पर आगे प्रक्रिया करना सम्भव नहीं हो पाता। ऐसी अवस्था में कठोर धातुओं को एक ऐसे तापमान (temperature) तक गर्म किया जाता है, जो उनके अन्दर आए संरचनात्मक विरूपण या आन्तरिक प्रतिबल (internal stresses) को समाप्त कर सके। इनमें प्रयुक्त प्रक्रियाएँ अग्रलिखित हैं

Back to top button