Answer for कॉन्सेप्ट ऑफ फायरवाल क्या होते है

– फायरवाल, साफ्टवेयर या हार्डवेयर आधारित एक ऐसी डिवाइस होती है जो दो नेटवर्कों के बीच नेटवर्क ट्रैफिक के प्रवाह को नियंत्रित कर सकती है। इन दो नेटवर्कों में एक नेटवर्क आपका प्राइवेट हो सकता है और दूसरे इंटरनेट जैसा कोई भी सार्वजनिक नेटवर्क।

– फायरवाल आपके नेटवर्क को उन तत्वों या कहें कि हैकर्स से बचाती है जो नेटवर्क को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा किस प्रकार के आंकड़ों या सूचनाओं का प्रवाह होना है, इस पर नियंत्रण रखती है।

फायरवाल दो प्रकार की होती है। एक- एप्लिकेशन फिल्टरिंग और दूसरी – पैकेट फिल्टरिंग।

– यदि आपके पास दो या दो से ज्यादा नेटवर्क हैं और आप इन पर पूरा नियंत्रण रखना चाहते हैं तब भी आपको फायरवाल की मदद लेनी पड़ेगी। यदि आपके पास डब्ल्यूएएन (वाइड एरिया नेटवर्क) है, जो इंटरनेट को एक रीढ़ की तरह उपयोग करता है, तब भी आपको अपने नेटवर्क की रक्षा के लिए फायरवाल का इस्तेमाल करना होगा।

– अगर आप घर पर एक डेस्कटॉप कंप्यूटर से इंटरनेट सर्फ करते हैं तो आपको फायरवाल के प्रयोग की जरूरत पड़ सकती है। आप आईसीक्यू जैसे इंटरनेट एप्लिकेशनों (अनुप्रयोगों) का उपयोग करते हैं और यदि इन एप्लिकेशन में कुछ कमियां हैं, तो कोई भी बाहरी व्यक्ति आपके कंप्यूटर तक पहुंच कर गोपनीय डेटाओं को चुरा सकता है और आपका काफी ज्यादा नुकसान कर सकता है।

– यदि आप किसी अनजान या गुमनाम व्यक्ति की फाइलें ले रहे हैं, या चैट कर रहे हैं तो हो सकता है अनजाने में आप कोई ऐसी फाइल ले लें जो लगातार एक पोर्ट पर काम करे और इसके माध्यम से संदेश भेजने वाला आपके कंप्यूटर से संपर्क स्थापित कर सकता है और उसे अपनी मर्जी से चला सकता है। इसलिए होम कंप्यूटरों के लिए नॉर्टोन पर्सनल फायरवाल ब्लैकआइस, जोन अलार्म, वायरस एमडी और कंसील पीसी फायरवाल जैसे साफ्टवेयर उपलब्ध हैं।

एप्लिकेशन-प्रॉक्सी फायरवाल का उपयोग प्रॉक्सी सर्वरों में किया जाता है। यदि आप किसी बाहरी नेटवर्क से जुड़ना चाह . रहे हैं तो आपको प्रॉक्सी सर्वर के जरिए जुड़ना चाहिए। कुछ निश्चित नियमों के आधार पर ही प्रॉक्सी फायरवाल आपको जुड़ने की अनुमति देगी, वरना रोक दिया जाएगा। ये नियम उपयोक्ता के लॉग-इन नेम, सोर्स, मशीन के आईपी पतों आदि के आधार पर बनते हैं। उदाहरण के लिए आप MP3 और वीडियो फाइलों को रोक सकते हैं।

→ पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल पैकेट हेडर में सूचनाओं पर आधारित डेटाओं को नियंत्रित करती है। इसे आप यूं भी समझ सकते हैं, जब डेटा नेटवर्क पर ट्रांसमिट होते हैं तो ये छोटे-छोटे पैकेटों (समूहों) के रूप में बंट जाते हैं। इनमें हर पैकेट का एक हेडर होता है और मूल डेटा का हिस्सा जिसे कंटेंट कहते हैं, इस हेडर में स्रोत, स्थान, पोर्ट और क्रम में लगे पैकेटों की संख्या का ब्यौरा होता है।

→ एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल, प्रॉक्सी सर्वरों में लगाई जाती है, जबकि पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल आम तौर पर रूटों (मार्ग) में लगाई जाती है।

एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल एप्लिकेशन लेयर (अनुप्रयोग की सतह) पर काम करती है, जबकि पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल नेटवर्क लेयर (नेटवर्क की सतह) पर काम करती है। इस प्रकार एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल एप्लिकेशन विशिष्ट डेटाओं को रोक सकती है, जबकि पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल नहीं रोक सकती।

एप्लिकेशन प्रॉक्सी फायरवाल भरोसेमंद (ट्रस्टेड) और गैरभरोसेमंद (अनट्रस्टेड) नेटवर्कों के बीच होती है और इनके बीच किसी भी तरह के सीधे कनेक्शन की इजाजत नहीं देती। जबकि इस प्रकार के सीधे संबंध की इजाजत पैकेट फिल्टरिंग फायरवाल ही देती है।

– फायरवाल से वायरस का पता नहीं चलता है। फायरवाल तो सिर्फ हेडर इंफॉर्मेशन या फाइल को ही देखती है। वायरस का पता लगाने के लिए, सभी डेटा पैकेटों को मूल फाइल में होना चाहिए और फिर फाइल की जांच की जानी चाहिए। तभी पता लगेगा कि इसमें वायरस है या नहीं। एक बेसिक फायरवाल फाइल डेटा के भीतर वायरस की जांच नहीं करती।

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