Answer for क्लच रिलीज बियरिंग के कितने प्रकार होते है ?

क्लच रिलीज बियरिंग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
(i) ग्रेफाइट टाइप
(ii) थ्रस्ट बॉल बियरिंग टाइप क्लच रिलीज बियरिंग की ओवरहालिंग के समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
(i) चित्र में आपको एक रिलीज बियरिंग को चैक करते हुए दिखाया गया है। इसे दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे की ओर गोल घुमाएँ। घिसा होने पर इसकी प्ले पता लग जायेगी। अगर थ्रस्ट टाइप में ग्रीस कम हो गई, तो इसे ग्रीस के डिब्बे में डालें और डिब्बे को उबलते पानी में रखें। जब ग्रीस पिघल जाये तो डिब्बे को बाहर निकालकर ठण्डा होने दें। ऐसा करने से पिघली हुई ग्रीस बियरिंग में अच्छी तरह से भर जायेगी।
(ii) रिलीज बियरिंग रिटेनर में किसी प्रकार की घिसावट नहीं होनी चाहिए और उसके अन्दर बनी हुई उल्टी चूड़ियाँ भी ठीक होनी चाहिए। यह उल्टी चूड़ियाँ इसलिए बनाई जाती हैं कि गियर बॉक्स का तेल क्लच शाफ्ट से बाहर लॉक हो, तो यह उल्टी चूड़ियाँ उसे वापस गियर बॉक्स में डाल दे। अन्यथा यह क्लच हाउसिंग में चला जायेगा।
(iii) क्लच रिलीज फॉर्क बुश में किसी प्रकार की प्ले नहीं होनी चाहिये। घिस जाने पर इन्हें बदल दें।
(iv) क्लच रिलीज फॉर्क को चैक करें कि यह घिसा हुआ या मुड़ा हुआ तो नहीं है। यदि है, तो ठीक करें।
(v) क्लच पैडल बुश की प्ले चैक करें ज्यादा होने पर इसे बदलें।
(vi) क्लच पैडल की प्ले निर्माता के अनुसार रखें।

क्लच की कार्य प्रणाली Working System of Clutch
जब इंजन चलता है तथा क्लच एंगेज रहता है, उस समय क्लच प्लेट, प्रेशर प्लेट के द्वारा क्लच स्प्रिंग की सहायता से फ्लाईव्हील से चिपकी रहती है। फ्लाईव्हील के घूमने से यह क्लच प्लेट भी घूमती है तथा क्लच शाफ्ट पर बने खाँचों (spline) पर चढ़ी होने के कारण क्लच शाफ्ट को भी घुमाने लगती है। इस प्रकार इंजन द्वारा विकसित शक्ति गियर बॉक्स तक पहुँचती है। जब आवश्यकता पड़ने पर क्लच डिसएंगेज करना होता है अर्थात् इंजन तथा गियर बॉक्स का सम्बन्ध तोड़ना होता है, तो क्लच पैडल को दबाया जाता है। इससे क्लच ऑपरेटिंग शाफ्ट, क्लच फॉर्क को फॉर्क बॉल के फलक्रम की सहायता से आगे की ओर खिसकाती है। क्लच फॉर्क आगे बढ़कर क्लच रिलीज बियरिंग को आगे की ओर खिसकाकर क्लच रिलीज लीवर को दबाती है। इससे तराजू की डण्डी के समान क्रिया होती है अर्थात् क्लच लीवर का एक सिरा तो बियरिंग द्वारा दबता है, परन्तु दूसरा सिरा पीछे की ओर होता है। क्लच लीवर का यह सिरा प्रेशर प्लेट को, जोकि क्लच प्लेट को दबाए रहती है, पीछे की ओर खिसकाती है। इस प्रकार क्लच प्लेट पर से दबाव हट जाता है तथा वह स्वतन्त्र हो जाती है। इस समय फ्लाईव्हील द्वारा उसका घूमना बन्द हो जाता है। इस प्रकार इंजन की शक्ति भी गियर बॉक्स में जानी बन्द हो जाती है तथा इंजन से गियर बॉक्स का सम्बन्ध टूट जाता है। ऐसी स्थिति में गियर बदलना आसान हो जाता है, क्योंकि इंजन की चाल का प्रभाव गियरों पर नहीं रहता है। जब क्लच पैडल पर से दबाव हटता है, तो क्लच स्प्रिंग के दबाव से प्रेशर प्लेट पुन: क्लच प्लेट को फ्लाईव्हील के बीच दबा लेती है। इस प्रकार क्लच प्लेट फिर घूमने लगती है तथा क्लच शाफ्ट के द्वारा इंजन की शक्ति गियर बॉक्स तक जाने लगती है। इंजन तथा गियर बॉक्स का सम्बन्ध जुड़ जाता है।

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