Answer for चुम्बकीय कण या पोर्टेबल योक परीक्षण क्या होता है ?

किसी चुम्बकीय क्षेत्र में जब कोई धातु का टुकड़ा रखा जाता है और यदि वह दरारों या ब्लो होल्स युक्त होता है, तो उन दोषों के दोनों किनारों पर चुम्बकीय ध्रुव (magnetic poles) बन जाते हैं। इस कारण चुम्बकीय बल रेखाओं के पथ में रुकावट पैदा होती है। इस प्रकार बारीक कणों की लाइन दरार को और कुछ कणों के एक स्थान पर इकट्ठा होना सतह के नीचे के स्लैग इन्क्लूजन या गैस पॉकेट को दर्शाता है। ऐसे दोषों को चुम्बकीय कण परीक्षण विधि द्वारा आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। इस विधि द्वारा सतह के पास के दोषों को प्रामाणिकता के साथ ज्ञात किया जा सकता है, जबकि अधिक गहराई के दोषों को सफलतापूर्वक ज्ञात किया जा सकना इसकी सीमा है, कार्यखण्ड की सतह समतल बनायी जाती है और उसको चुम्बकीय किया जाता है। उस पर मैग्नेटिक कणों को फैला दिया जाता है। तत्पश्चात् इन मैग्नेटिक कणों की व्यवस्था देखकर आसानी से दोषों का सत्यापन हो जाता है। कार्यखण्ड को साधारणत: विद्युत (electricity) द्वारा अस्थायी चुम्बकीय बनाया जाता है।

पराश्रव्य परीक्षण Ultrasonic Testing
अल्ट्रासोनिक तरंगें पीजोइलेक्ट्रिक प्रभाव के द्वारा विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदल कर उत्पन्न की जाती हैं। इसके लिए क्वार्ट्ज क्रिस्टल प्रयोग किया जाता है। जब उच्च आवृत्ति वैकल्पिक धारा (high frequency alternating current) क्रिस्टल के दोनों सिरों पर लगाई जाती है, तो क्रिस्टल पहले आधे चक्र (cycle) में फैलता है और शेष आधे चक्र (cycle) में सिकुड़ता है। इस प्रकार बने मैकेनिकल वाइब्रेशन (vibration) ध्वनि तरंग उत्पन्न करते हैं। इस परीक्षण में प्रक्रम में संयोजन की सतह को समतल किया जाता है और फिर अल्ट्रासोनिक तरंगें एक प्रोब के द्वारा कार्यखण्ड में प्रवेश कराई जाती हैं। इस प्रक्रिया में दो प्रोब (prob) प्रयोग किए जाते हैं। एक तरंगें भेजने के लिए तथा दूसरा वापस आई तरंगों को ग्रहण करने के लिए। तरंगें भेजने से पहले एक ऑयल फिल्म जाँच की जाने वाली सतह और प्रोब के बीच लगा दी जाती है जिससे प्रोब और सतह का अच्छा सम्बन्ध स्थापित होता है। कैथोड-रे-ऑसिलोस्कोप (CRO) के द्वारा बाहर जाने वाली और लौटकर आने वाली और तरंगों के समय अन्तराल को नोट कर लिया जाता है। जब ट्रांसमीटर प्रोब के द्वारा भेजी तरंगें कार्यखण्ड की ऊपरी सतह से टकराती हैं जो CRO की स्क्रीन पर एक शार्प पीक (peak) बनाती हैं। यदि कार्यखण्ड ठीक है, तो यह कार्यखण्ड के आधार से परावर्तित होकर CRO पर थोड़े से छोटे पीक द्वारा दिखती हैं, परन्तु यदि कार्यखण्ड के मध्य में कोई दोष है, तो दोष से परावर्तित होकर CRO पर स्क्रीन इको पीक (echo peak) दर्शाती हैं। दोष की गहराई (CRO) पर दिखाई जा रही स्क्वायर तरंगों के रूप में समय-दूरी स्केल की सहायता से निकाली जा सकती है।

रेडियोग्राफिक परीक्षण Radiographic Testing
रेडियोग्राफी में एक्स किरणें (X-rays) और गामा किरणें (v-rays) प्रयोग की जाती हैं। इन किरणों में प्रकाश अवरोधी पदार्थों से गुजर जाने की शक्ति होती है, परन्तु आन्तरिक दोषयुक्त कम सघन माध्यम के द्वारा अवशोषित हो जाती हैं और फोटोग्राफिक फिल्म पर स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। इन किरणों को एक्स-रे ट्यूब या कोबाल्ट 60 जैसे रेडियोधर्मिता वाले पदार्थों के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। इन किरणों की तरंगदैर्ध्य (wavelength) कम होती है। एक्स किरणों की तरंगदैर्ध्य (wavelength) फिलामेण्ट को दिए गए विभव (voltage) की विलोमानुपाती और तीक्ष्णता (intensity) उसमें बहने वाली धारा (current) के समानुपाती होती है।

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