Answer for ट्रैक्टर स्टार्टिंग कितने प्रकार के होते है ?

ऊर्ध्वाधर डीजल इंजन का सम्पीडन अधिक होने के कारण इनको स्टार्ट करने के लिए अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है या कोई अन्य साधन अपनाया जाता है, जिससे ये स्टार्ट हो सकें, स्टार्टिंग के लिए जो उपाय किए जाते हैं, वे निम्न प्रकार हैं

सेल्फ स्टार्टिंग सिस्टम Self Starting System
ट्रैक्टरों, मोटरों, डोजरों में इसका अधिक प्रयोग होता है। इसमें स्टोरेज बैटरी से स्विच द्वारा सेल्फ स्टार्टर को घुमाया जाता है, जिससे इंजन स्टार्ट हो जाता है, तत्पश्चात् स्विच ऑफ कर दिया जाता है, क्योंकि सभी स्विचों की वायरिंग व्यवस्था इसी के द्वारा होती है।

सेल्फ डी-सम्पीडन सहित With Self De-compression
अभी तक कुछ ही ट्रैक्टरों में; जैसे- एस्कोर्ट, जीटर में ही प्रयोग किया गया है, इसमें टेपिड कवर में एक लीवर से इनलेट वाल्व को दबाया जाता है।

ड्यूल इंजन स्टार्टिंग सिस्टम Dual Engine Starting System
यह सिस्टम अधिकतर हैवी-बुलडोजर्स, टैंकों आदि में प्रयोग किया जाता है। इस सिस्टम में सेल्फ स्टार्टर के स्थान पर ऊपर एक छोटा सिंगल सिलेण्डर पेट्रोल इंजन प्रयोग किया जाता है। मेन इंजन को स्टार्ट करने के लिए, छोटे इंजन को स्टार्ट करके क्लच द्वारा बड़े इंजन से जोड़ दिया जाता है। बड़ा इंजन स्टार्ट होने पर फ्लाईव्हील से छोटे इंजन का सम्बन्ध हटाकर बन्द कर देते हैं।

एयर स्टार्टिंग सिस्टम Air Starting System
डोजर, टैंक एवं बड़ी फैक्ट्रियों में छ: सिलेण्डर से आठ सिलेण्डर इंजन जिनमें 4″ से बड़े पिस्टन प्रयोग किए जाते हैं। डोजर एवं टैंक अधिकतर सेना के उपयोग में आते हैं जहाँ पर बैटरी टूट जाए या करण्ट न रहे तो क्या होगा, इसका समाधान यह सिस्टम है। इसमें ड्राइवर सीट के पीछे एक एयर-टैंक (हवा की टंकी) रहता है, जिसमें मेन-इंजन के साथ लगे एयर सम्पीडक से हवा एकत्रित की जाती है। स्टार्टिंग के लिए एयर टैंक से एक पाइप द्वारा हवा प्रेशर से अतिरिक्त पाइप द्वारा अतिरिक्त वाल्व से पिस्टन पर छोड़ी जाती है। यह हवा खुले वाल्व से होती हुई पिस्टन पर दबाव डालती है। इस हवा से पिस्टन का पावर-स्ट्रॉक पूरा होता है, जिससे इंजन स्टार्ट हो जाता है। हवा बन्द कर देते हैं व इस हवा से फ्लाईव्हील को भी घुमाया जा सकता है। इसमें फ्लाईव्हील पर कटोरी-नुमा या सीधी फिन्स लगाई जाती है (यह सिस्टम स्टीम इंजनों में बिजली बनाने हेतु डायनमो को चलाने के लिए प्रयोग किया जाता था। इसमें हवा के स्थान पर भाप लगातार छोड़ी जाती थी)।

Back to top button