Answer for नापों में क्या पारस्परिक सम्बन्ध होता है

जिस प्रकार हमारा समाज सम्बन्धों पर आधारित है, उसी प्रकार टेलरिंग कला भी आपसी सम्बन्धों पर ही आधारित है। अर्थात् एक अंग का दूसरे अंग से सम्बन्ध है। जिस प्रकार हमारे देखने, सुनने, खाने, हाथ हिलाने की क्रियाएं आपस में सम्बन्धित हैं, उसी प्रकार शरीर के नापों में भी सम्बन्ध है, जिसके आधार पर हम कोई कार्य कर सकते हैं।

पारस्परिक सम्बन्ध

1. ऊँचाई व चौड़ाई के सम्बन्ध : यह एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है कि किसी व्यक्ति की लम्बाई के बराबर ही उसकी चौड़ाई होती है। चौड़ाई से तात्पर्य उसके एक हाथ की उंगली से दूसरे हाथ की उंगली तक वही नाप होगा, जो उसकी लम्बाई का होगा। जिसकी लम्बाई व चौड़ाई समान नहीं होगी, उसके तीरे गले एवं छाती के नापों में समानता नहीं होगी। ऐसे शरीर अनुपातिक नहीं होते है, अर्थात् टेलरिंग में वे disproportionate कहलाते हैं।

2. कन्धे व छाती में सम्बन्ध : छाती के अनुसार सदा कन्धों का नाप होता है। 28″ छाती (71 सेमी.) से लेकर 38″ (97 सेमी.) छाती पुरुषों का तीरा 1/2 छाती होता है। 38″ (97 सेमी.) से ऊपर 1/2 छाती – 1″ होता है। क्योंकि जैसे-जैसे छाती बढ़ती है तीर नहीं बढ़ता हैं ऐसे विशेष नापों में हमारे निश्चित पैमाने नहीं चलते हैं। 21″ अर्थात् 54 सेमी. से अधिक तीरा कभी नहीं होता है। स्त्रियों में तीरा 1/3 छाती +2″ होता है। वैसे फैशन के अनुसार ढीला वस्त्र बनाने में तीरा ढीला ही रखा जाता है।

3. गले व छाती में सम्बन्ध : छाती का नाप का ज्ञान होने पर गला निकाला जा सकता है। क्योंकि मर्दो का गला 1/3 छा० + 3″ = 15″ लिया जाता है। तैयार कमीज में से नापने के लिए बटन की जड़ से काज की नोक तक का नाप लिया जाता है। जबकि स्त्रियों में 1/3 छा. + 21/2” = 141/2 लेते हैं।

जब शरीर के सामान्य नाप नहीं होते है तो असामान्य नाप कहलाते हैं। चाहे उनका आपसी अन्तर सामान्य नापों वाला ही क्यों न हो।

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