Answer for पीर-टू-पीर नेटवर्किंग कीड़े कहते है

सर्वर स्टेटलेस (Stateless) और Stateful अवस्थाओं में कार्य करते हैं। जब सर्वर स्टेटलेस अवस्था में कार्य करता है तो रिक्वेस्ट के दौरान कोई भी सूचना नहीं रखता है। जबकि स्टेटफुल सर्वर रिक्वेस्ट के दौरान ही सूचनाओं को याद रखता है। क्लाइंट सर्वर के अलावा एक और प्रकार के आचिंटेक्टर का प्रयोग किया जाता है। इसे पीर-टू-पीर आचिंटेक्टर कहते हैं। इसके अंतर्गत क्लाइंट और सर्वर एक जैसी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं।
– उपरोक्त वर्णित दोनों तरह के आचिंटेक्टरों का प्रयोग अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग तरह से अलग-अलग कार्यों में किया जाता है।
– पीर-टू-पीर नेटवर्क को आम बोलचाल की भाषा में P2P कहते हैं। इस तरह के नेटवर्कों को ज्यादातर ऑडियो, वीडियो और डिजिटल फॉर्मेट के डेटा को शेयर करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
– इस P2P नेटवर्क को ग्रिड कम्प्यूटिंग भी कहते हैं। इसके अंतर्गत आने वाले नोड एक ही समय में क्लाइंट और सर्वर दोनों की भूमिका अदा करते हैं।
– इस नेटवर्क की सबसे बड़ी उपयोगिता है इसकी बैंड विर्थ । इसके अंतर्गत हमें क्लाइंट और सर्वर दोनों की बैंड विर्थ प्रयोग करने की सुविधा प्राप्त होती है।

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