Answer for फैशनेबल वस्त्र कौन से होते है

सभ्यता के विकास के साथ ही साथ वस्त्रों के फैशन में भी आश्चर्यजनक परिवर्तन व उन्नति हुई। यह परिवर्तन या फैशन 400 B.C. (before Christ) से माना जाता है। उस युग में प्राचीनतम वस्त्र विज्ञान की धारा में एक परिवर्तन हुआ जिसे मध्यकालीन युग के फैशन में एक नई शुरूआत मानी जाती है। उस काल में स्त्री, पुरुष दोनों ही डबल ट्यूनिक ड्रैस (double tunic dress), शमीज (under tunic chamise) जिसकी लम्बी बाजु तथा हाई नैक होता था, पहना करते थे। ऊनी ओवर ट्यूनिक (woolen overtunic) भी होती थी, जिसकी बाजुएं ढीली होती थी, जिसका प्रयोग सर्दियों में किया जाता था। 12वीं सदी में एक खास तरह की fine fabric पूर्वी देशों से आई थी, उससे यूरोप में बहुत उच्चस्तर, elegant पोशाकें (dresses) बनाई जाने लगीं। इस समय में भिन्न-भिन्न प्रकार से बेसिक garments को काट-छांट कर एक नए फैशनेबल स्टाइल के वस्त्र बनाए जाने लगे। इस समय तक long tunic को कोट (coat) कहा जाने लगा

था जिसे शमीज के ऊपर स्त्री पुरुष दोनों ही पहनते थे। इस कोट के ऊपर एक fur-coat भी पहना जाता था जो बिना बाजू का बड़े आर्महोल का बनता था। 13वीं सदी में कपड़ों की उचित फिटिंग पर : विशेष ध्यान दिया जाने लगा। जिसमें सिलाई (tailoring) का योगदान अधिक होने लगा था। अब ड्रैसिस (dresses) में बटनों का भी प्रयोग होने लगा था जिससे वस्त्रों की सजावट ऐसे होती थी कि मानों आभूषण धारण किए हुए हों। इस काल में शमीज के ऊपर बैल्ट वाला फिट कोट और घुटने तक की स्कर्ट्स (skirts) का रिवाज शुरू हो गया था। 1350 ई. में पहली बार ओवर कोट में कॉलर लगाया गया था।
महिलाओं के लिए शमीज के ऊपर एक गाऊन का प्रचलन हुआ, जिसकी ‘V’ shape की नैक थी और कमर को टाइट करने के लिए इलास्टिक के समान चौड़ी बैल्ट लगाई जाती थी। जैसा कि चित्र में स्पष्ट है। इस पोशाक की hanging sleeves होती थीं और प्रायः ये ड्रैस नुकीली नोक वाले जूतों के साथ पहनी जाती थी। धीरे-धीरे समय के हिसाब से फैशन बदलता रहा। 15वीं शताब्दी में पुरुषों के कपड़े चौड़े-चौड़े, square शोल्डर वाले तथा पफ स्लीव वाले बनने लगे थे। औरतों के square नैक गाऊन, आगे की ओर चोली का भाग लेस से युक्त तथा प्लीटिड स्कर्ट के रूप में बनाए जाते थे। आगे से स्कर्ट का भाग खुला रखते थे ताकि नीचे पहना हुआ सजावटी सुन्दर पेटीकोट दिखाई देता रहे। प्रायः आभिजात्य वर्ग के लोगों में यह फैशन चलता था।
17वीं शताब्दी में फैशन का रूप और भी बदला। आदमी अधिकतर ब्रीचिस के रूप मे पैंट पहना करते थे। जो घुटने से नीचे तक होती थीं और अपनी लम्बाई तक आने पर मोहरी को पतली सी बैल्ट से कस दिया जाता था। इसके साथ ऊंचे वाले जूते तथा चौड़ी गिरती हुई लेस या लिनन के कॉलर व कफ वाली ड्रैस. ड्रेप शेप में होती थी। औरतों के costumes में बाजुएं पारदर्शी होती थीं तथा गले गहरे (deep neck) बनाए जाते थे। Bodice की फिनिशिंग बड़े चौड़े कॉलर से की जाती थी जो कि गोल होते थे तथा पिछले भाग को स्पर्श करते थे। उनकी स्कर्ट्स (skirts) फ्लेयर्ड (flaired) तथा प्लीटिड तथा झालर वाली होती थीं। उसी में रिब्बन, पंखों के काम के द्वारा सजावट की जाती थी।
18वीं शताब्दी में फ्रांस संसार का costume centre बन कर उभर कर दुनिया के सामने आया। इस समय तक सिर पर विग के रूप में सजावट करने का तथा कढ़ाई करने का काम भी शुरू हो गया था। जिससे कि महिलाओं के वस्त्रों की सजावट को नया रूप मिला। इस समय औरतें अपने अन्दर के कपड़ों में pointed bodice तथा टाइट (tight) लेस वाले वस्त्र, गर्दन पर तिकोने स्कार्फ और कोहनी तक बाजुएं, जो कि झालर वाली होती थीं, का प्रयोग करती थीं। 20वीं सदी में औरतों की टांगों का खुला प्रदर्शन फैशन में आ गया था। इस समय मैचिंग का बहुत फैशन हो गया था। जूते व कपड़ों के रंग एक जैसे लिए जाने लगे थे।
नाइट गाऊन ने पायजामा व टॉप का फैशन बदल दिया था। पुरुषों में sports wear का शौक शुरू हो गया था। Open neck shirts तथा trousers में कफ तथा crease का भी फैशन आ गया था। 21वीं सदी जो कि आज चल रही है, इस समय मिनी स्कर्ट्स, घुटने तक की स्कर्ट्स के साथ स्टॉकिंग का रिवाज है। टॉप भी frilly बनने लगे हैं। उन पर लेस का भी प्रयोग किया जाता है। पुरुषों में पैंट्स, जीन्स, हाफ पैंट का चलन है, साथ में टी शर्ट या स्लीवलैस टी शर्ट का फैशन है। ट्राउज़र के साथ कॉलर वाले शर्ट ऑफिसों में पुरुषों का खास पहनावा है। सर्दियों में सूट का भी फैशन है। इस प्रकार सदियों पर सदियां बीतती रहीं और फैशन बदलते रहे। समय तथा युग की मांग तथा अपनी सहूलियत के अनुसार व्यक्ति वस्त्रों का चलन बदलता है। यह सदियों से ऐसे ही चली आ रही परम्परा है।

Back to top button