Answer for भारत की जलवायु कैसी है ?

शीतल स्थानों के जनजीवन को गर्माई की आवश्यकता होती थी, तो वहां पर गर्माई देने वाले गर्म व मोटे वस्त्र तथा गर्म स्थानों के जनजीवन को प्रभावित करने वाली गर्मी से बचने के लिए महीन व सूक्ष्म वस्त्र मलमल व अन्य बारीक वस्त्रों को धारण करने के लिए लोग लालयित होते हैं और वही हमारी परम्पराओं में शामिल हो गया। इस प्रकार लोग मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना पसन्द करते हैं और पसन्द के साथ ही अपनी हैसियत के मुताबिक भी वस्त्रों को अपनाते हैं।

प्रकृति से प्रेरणा : Textile design के सम्बन्ध में प्रकृति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। Textile design में अनेक प्रकार के वनस्पतिक डिजाइनों को लोगों की रुचि के अनुसार सजाने के लिए प्रेरणा प्रकृति से ही मिलती है।

सामाजिक परिवेश तथा जीवन : Textile design में बहुत से वस्त्रों की बुनाई में लाने के लिए बुनकरों को अथाह श्रम करना होता था। जिससे उनको विशेष महत्व दिया जाता था।

राजकीय व आभिजात्य वर्ग द्वारा संरक्षण व पोषण : बुनकरों को प्रोत्साहन देने का कार्य राजमहलों में बहुत होता था। जुलाहे अच्छे-अच्छे वस्त्र बुनकर राजा महाराजाओं व रनिवास में दिखाने जाते थे, जहां उनसे उनको अच्छी आय व इनाम भी मिलते थे और अधिक अच्छा काम करने की प्रेरणा भी मिलती थी। इसी प्रोत्साहन के बूते पर अनेकों कामगारों के परिवारों का पालन पोषण राजमहलों द्वारा हुआ करता था। इस प्रकार बहुत से कारीगरों को तथा बनकरों को पारितोषिक व प्रोत्साहन भी मिलता था। इस प्रकार आपने देखा कि वस्त्र उद्योग का धीरे-धीरे प्रान्तों, शहरों में कैसे-कैसे विकास होता गया। वस्त्रों का नाम उनके शहरों या कामगारों के नाम पर ही पड़ गया। जैसे सिन्ध में बने सन्दालिन या कालीकट में बने केलिको।

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