Answer for मैग्नीफाइड वर्नियर कैलीपर किसे कहते है ?

वर्नियर कैलीपर के मेन स्केल पर तथा वर्नियर स्केल पर लगे हुए निशान बहुत पास-पास होते हैं। नंगी आँखों से यह जान पाना कठिन हो जाता है कि वर्नियर स्केल का कौन-सा निशान मेन स्केल के किस निशान से ठीक-ठीक मिलता है। वर्नियर स्केल के ऊपर ही एक मैग्नीफाइंग लेन्स फिट कर दिया जाता है जो निशानों को बढ़ाकर दर्शाता है। इससे निशानों को मिला पाना आसान हो जाता है।

डायल कैलीपर Dial Caliper
साधारण वर्नियर कैलीपर से माप लेने के लिए वर्नियर स्केल को पढ़कर उसे अल्पतम माप से गुणा करके माप निकालनी पड़ती है। इसमें त्रुटि होने की सम्भावना होती है। इसमें वर्नियर स्केल के स्थान पर डायल गेज लगा होता है जोकि 100 भागों में बँटा होता है। इसके केन्द्र पर लगी सुई इसके एक मिमी चलने पर 100 डिवीजन घूम जाती है। यदि यह सुई एक डिवीजन चलती है, तो कैलीपर 0.01 मिमी की दूरी तय करता है। अत: इस कैलीपर की अल्पतम माप 0.01 मिमी होती है। माप लेने से पहले जबड़ों को मिलाते हैं तथा डायल गेज के डायल को घुमाकर सुई को डायल के शून्य से मिला लेते हैं। अब जबड़ों को खोलकर उनमें जॉब को पकड़ते हैं तथा मेन स्केल तथा डायल की रीडिंग लेकर जोड़ लेते हैं।

डिजिटल कैलीपर Digital Caliper
यद्यपि डायल गेज कैलीपर से रीडिंग लेना बहुत आसान है, परन्तु डिजिटल कैलीपर उससे भी अधिक आसानी से रीडिंग देने में सक्षम है। इसमें वर्नियर स्केल के स्थान पर स्क्रीन होती है। जैसे-जैसे हम वर्नियर कैलीपर को खोलते हैं स्क्रीन पर कैलीपर के बीच की दूरी प्रदर्शित (display) होती रहती है। यह दशमलव के दो अंकों तक मिमी में दूरी को दर्शाता है; जैसे-20.09 मिमी या 13.76 मिमी आदि।
वर्नियर गियर टूथ कैलीपर Vernier Gear Tooth Caliper
किसी भी स्पर गियर (spur gear) के दाँतों (tooth) की बनावट कितनी सही है, यह जाँच करने के लिए वर्नियर गियर टूथ कैलीपर प्रयोग में लाया जाता है। इसके द्वारा प्रमुख रूप से दो माप ली जाती हैं
(i) गियर का कॉर्डल अडॅडम (Chordal Addendum of Gear) तथा
(ii) गियर की कॉर्डल थिकनैस (Chordal Thickness of Gear)।
यदि किसी गियर की डायमीटरल पिच (diametral pitch) तथा दाँतों की संख्या का सही ज्ञान होता है तो निम्न फॉर्मूलों के द्वारा उसका कॉर्डल अडॅडम तथा कॉर्डल थिकनैस का पता लगाया जा सकता है तथा वर्नियर गियर टूथ कैलीपर के द्वारा गियर की जाँच व माप की जा सकती है।
Chordal addendum + Addendum यहाँ पर PD (Pitch Diameter)
=2 DP जहाँ NT = Number of teeth DP
= diametral pitch तथा addendum
= 1 होता है। Chordal thickness = PD sin
सर्वप्रथम कैलीपर के ऊपरी स्केल को कॉर्डल अडॅडम के बराबर सैट कर लिया जाता है, जिससे कैलीपर के दोनों जबड़े पिच सर्किल को छू सकें। इसी पिच सर्किल पर दाँते की मोटाई (thickness of the teeth) मापी जाती है।

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