Answer for मॉडेम की क्या तकनीकें होती है

तकनीकी दृष्टि से मोडेम तीन प्रकार के होते हैं। ये प्रकार निम्न हैं

1. Asynchronous मोडेम
2. Synchronous मोडेम
3. Auto Synchronous मोडेम

सामान्य तौर पर हम अपने पर्सनल कम्प्यूटर के साथ जिस मोडेम का प्रयोग करते हैं वह Asynchronous मोडेम कहलाते हैं। मेनफ्रेम कम्प्यूटरों में जिस मोडेम का प्रयोग किया जाता है वह Synchronous मोडम कहलाते हैं। इनकी न्यूनतम गति 2400 बिट पर सेकेंड होती है। Auto Synchronous मोडेम मेन-फ्रेम कम्प्यूटरों में प्रयोग होने वाले मोडेम की भांति ही होते हैं। इनकी विशेषता यह होती है कि हम इनके द्वारा किसी भी PC को मेन-फ्रेम कम्प्यूटर से जोड़ सकते हैं।
मोडेम जिस सिगनल को टेलीफोन तार के द्वारा भेजता है उसको Amplitude Modulation कहते हैं। अधिकतर मोडेम सचनाओं के आदान – प्रदान के लिए दो कैरियर्स का प्रयोग करते हैं। लेकिन वर्तमान समय में और अधिक गति से प्राप्त करने के लिए मॉडेम दो से अधिक कैरियर्स का प्रयोग करते हैं। इस प्रक्रिया को मल्टीप्लाई कैरियर मोडेम कहते हैं। सामान्य मोडेम की गति 300 bps से बढ़ाकर 600 bps या इससे अधिक करने के लिए जिस तकनीक का प्रयोग किया जाता है वह FSK तकनीकी कहलाती है। इसका सम्पूर्ण नाम Frequency Shift Keying है।मोडेम द्वारा मॉड्यूलेशन तीन विधियों द्वारा किया जा सकता है

⇨ AM (Amplitude Modulation): इस तकनीक का प्रयोग करके मॉडेम रेडियो कैरियर वेब के जरिये सूचनाओं को ट्रांसमिट करते हैं। इसमें सिगनल का शक्ति या स्ट्रेंथ के लिये एम्पलीट्यूड शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह मॉडेम के द्वारा प्रयोग किया जाने वाला शुरुआती मॉड्यूलेशन मेथड है।

⇨ FM (Frequency Modulation): फ्रिक्वेंसी द्वारा इंफॉर्मेशन या सूचना को किसी अन्य स्थान पर भेजने के तरीके – को फ्रिक्वेंसी मॉड्यूलेशन कहते हैं। इसका प्रयोग रेडियो – ब्राडकास्टिंग में किया जाता है।

⇨ PM (Phase Modulation): जब हम किसी सूचना को – तरंगों के द्वारा भेजते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि वह समस्त तरंगे अपने गन्तव्य स्थान तक पहुंच जाएंगी। कभी-कभी ऐसा होता है कि बीच में कुछ तरंगें खराब हो जाती हैं परंतु Phase Modulation उन खराब तरंगों को छोड़कर शेष तरंगों को अपने गन्तव्य स्थान तक पहुंचा देता है।

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