Answer for मौलिक इलेक्ट्रॉनिक्स क्या होता  है ?

विगत में हम परमाणु की संरचना से अवगत हो चुके हैं जोकि विद्युत का आधार है। परमाणु की अन्तिम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के आधार पर ही पूरी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्भर करती है। अर्द्ध-चालक Semi-conductor चालक एवं विद्युतरोधी पदार्थों के अतिरिक्त कुछ पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिनकी रेजिस्टिविटी (resistivity) चालक पदार्थ एवं विद्युतरोधी पदार्थों के मध्य होती है, अर्थात् , जोकि न तो पूर्णत: चालक होते हैं और न ही पूर्णत: विद्युतरोधी होते हैं। ऐसे पदार्थों को ‘अर्द्ध-चालक’ (semi-conductor) कहते हैं, जैसे-सिलिकॉन, जर्मेनियम एवं सिलिनियम, जिनमें सिलिकॉन एवं जर्मेनियम का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में सर्वाधिक होता है। अर्द्ध-चालक पदार्थ में मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या विद्युतरोधी पदार्थों से अधिक किन्तु चालक पदार्थों से कम होती है। कमरे के तापमान पर सेमी-कण्डक्टर पदार्थ के इकाई आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या 1018 तथा इनकी रेजिस्टिविटी 10-2 से 1 ओह्म मीटर क्रम में होती है। सिलिकॉन की रेजिस्टिविटी 103 ओझ मीटर तथा जर्मेनियम की 0.65 ओझ मीटर होती है।

इन्टिन्सिक तथा एक्सट्रिन्सिक अर्द्ध-चालक Intrinsic and Extrinsic Semi-conductor
प्राकृतिक दशा में प्राप्त शुद्ध सिलिकॉन तथा जर्मेनियम ‘इन्ट्रिन्सिक अर्द्ध-चालक (सेमी-कण्डक्टर)’ कहलाते हैं। जब शुद्ध अर्द्ध-चालक (सेमी-कण्डक्टर) पदार्थ में कोई उचित पदार्थ अशुद्धि के रूप में मिलाया जाता है तब यह पदार्थ अशुद्धि मिलाए जाने के पश्चात ‘एक्सटिन्सिक अर्द्ध-चालक’ कहलाते हैं। अत: P-टाइप तथा N-टाइप अर्द्ध-चालक, एक्सट्रिन्सिक अर्द्ध-चालक कहलाते हैं। अर्द्ध-चालक (0°K) या (-273°C) परम शून्य ताप पर विद्युतरोधी कुचालक की तरह कार्य करता है एवं इसमें धारा का प्रवाह ताप पर निर्भर करता है। यदि ऐसी कण्डक्टर्स पदार्थ (सिलिकॉन या जर्मेनियम) के साथ आवर्त तालिका (periodic table) में पाँचवें या तीसरे ग्रुप के कुछ विशेष तत्त्व अल्प मात्रा में अशुद्धि के रूप में मिला दिए जाएँ तो अर्द्ध-चालकों में मुक्त इलेक्ट्रॉन तथा हॉल (holes). की संख्या अधिक हो जाती है। सेमी-कण्डक्टर्स के साथ सूक्ष्म मात्रा में अशुद्धि मिलाने की क्रिया डोपिंग (doping) कहलाती है तथा अशुद्धि युक्त सेमी-कण्डक्टर्स को एक्सट्रिन्सिक सेमी-कण्डक्टर्स (extrinsic semi-conductors) कहते हैं। सेमी-कण्डक्टर्स के साथ अशुद्धि मिलाने पर तापमान में वृद्धि किए बिना ही उसमें धारा के प्रवाह को बढ़ाया जा सकता है। सेमी कण्डक्टर्स में अशुद्धि के रूप में तृतीय ग्रुप के बोरोन, गेलियम, इण्डियम या एल्युमीनियम मिलाकर P-टाइप अर्द्ध-चालक तथा पाँचवें वर्ग (5th group) के एन्टीमनी, आर्सेनिक या फॉस्फोरस आदि मिलाकर N-टाइप अर्द्ध-चालक बनाएँ जाते हैं।

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