Answer for रंगाई कितने प्रकार की होती है

रंगाई के विभिन्न प्रकार हैं। अब उनके विषय में ज्ञान अर्जित करना भी ज़रूरी है।

(i) क्रॉस डाईंग (Cross dyeing) : दो प्रकार के मिश्रित धागों से बने वस्त्रों को इस विधि में रंगा जाता है। कई बार इसी कारण एक धागे पर गहरा और दूसरे पर हल्का रंग चढ़ता है। कई बार एक धागा बिलकुल रंगविहीन रह जाता है। कई बार शेड जैसा लगता है। वास्तव में रेशे व रंग दोनों का सामंजस्य नहीं हो पाता है। अत: वस्त्र या तो बहुरंगी (multicoloured) बन जाता है या एक बिलकुल अलग तरह का होकर सुन्दर बन जाता है। कई बार ऐसे वस्त्रों को दूसरी विधि से व दूसरे रंग में भी रंगने का प्रयास किया जाता है।

(ii) बांधकर रखना व रंगना (Tie and dye process) : बांधकर कपड़ों को रंगने की परम्परा बहुत प्राचीन है। यह काठियाबाड़ व राजस्थान की पारंपरिक पद्धति है। तजुर्बेकार अर्थात अनुभवी व्यक्ति तो बिना छापे ही डिज़ाइन को मन से बना कर बांधते हैं और सीखने वाले डिज़ाइन बना कर उसको धागों से बांधते हैं। ये बन्धन रंगों के अनुसार बांधा जाता है। इसमें फूल-पौधे, चिड़ियां, मछली आदि पशु पक्षी भी बांध कर रंगे जाते

(iii) बाटिक (Batik) : इस कला में कपड़े के ऊपर डिज़ाइन के मुताबिक मोम (wax) का लेप करते हैं और एक-एक रंग से रंगते हैं। मोम बार-बार लगाते हैं, बार-बार उतारते हैं क्योंकि कई रंगों से डिज़ाइन पूर्ण किया जाता है। डिज़ाइन पूरा होने पर मोम को गर्म पानी व ब्रुश से हटा कर साफ कर देते हैं। इस तरह मोम जहां-जहां से चटक जाता है वहां पर रंग कहीं हल्का कहीं गहरा, कहीं महीन मकड़ी का जाल कपड़ों पर अलग-अलग रंगों में बन जाता है। इस कला का उद्गम भारत में ही हुआ था।

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