Answer for रंगों के कितने रूप होते है

वस्त्रों की अच्छी परिसज्जा करने के दो स्पष्ट उदाहरण हैं –
(1) रंगना और
(2) छापना।
वस्त्रों को रंगना पहला काम है। उसके बाद छापने की क्रिया होती है। रंगने के लिए तीन अवस्थाएं होती
1. रेशों को रंगना
2. धागों को रंगना
3. बुने हुए वस्त्रों को रंगना।। इन तीनों अवस्थाओं में रेशों को रंगना सर्वोत्तम माना गया है। वह भी बिना बटे रेशे। उससे कम अच्छा है बटे हुए धागों को रंगना। उसमें भी कई बार बंटा हुआ होने से अन्दर तक रंग नहीं भिदता है। परिणामस्वरूप रंग बहुत अच्छा नहीं खिलता है। तीसरी अवस्था बुने हुए वस्त्र को रंगना। इसमें भी बंटे हुए धागों को रंगने के समान परेशानी आती है। सघन बुनाई वाले वस्त्रों को रंगना तो और भी कठिन होता है क्योंकि बुनाई की सघनता अन्दर तक रंग नहीं जाने देती है। और वह अस्थायी तथा कम टिकाऊ भी रहता है। अतः कच्चे धागों को ही रंगना चाहिए और घुमा कर उस धागे को अन्दर तक रंग गया या नहीं, यह भी चैक कर लेना चाहिए।

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