Answer for वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) किसे कहते है

यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें प्राइवेट नेटवर्क का विस्तार करके उसे पब्लिक नेटवर्क में तब्दील किया जा सकता है जैसे कि इंटरनेट । आइये समझें कि यह तकनीक क्या है और इसके क्या फायदे हैं

वीपीएन या वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यूजर को यह सुविधा देता है कि वह किसी भी शेयर्ड या पब्लिक नेटवर्क से डेटा को सेंड या रिसीव कर सके, यदि डिवाइसें आपस में कनेक्ट हों। इसमें सुरक्षा सम्बन्धी सभी सहूलियतें प्राइवेट नेटवर्क वाली ही उपलब्ध होती हैं।

– वीपीएन का निर्माण वर्चुअल प्वाइंट-टु-प्वाइंट कनेक्शन के द्वारा डेडीकेटेड कनेक्शनों, वर्चुअल टनलिंग प्रोटोकॉल्स और ट्रैफिक इनक्रिप्शन के संयोग से होता है।

वीपीएन तकनीक एक सामान्य इंटरनेट को वर्ल्ड वाइड एरिया के समकक्ष बना देती है।

– यदि इसे यूजर के दृष्टिकोण से देखा जाये तो इसमें एक्सटेंटेड नेटवर्क रिसोर्स को उसी तरह से एक्सेस किया जाता है जैसे कि वे प्राइवेट नेटवर्क में उपलब्ध हों।

– परम्परागत वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या वीपीएन चारित्रिक रूप से प्वाइंट-टु-प्वाइंट टोपोलॉजी पर निर्भर होते हैं और ये ब्रॉडकास्ट डोमेन से कनेक्ट नहीं होते हैं और न ही सपोर्ट करते हैं।

– अनेक संचार सॉफ्टवेयर, नेटवर्किंग सॉफ्टवेयर जो OSI लेयर 2 पर आधारित होते हैं तथा पैकैट ब्रॉडकास्ट करते हैं जैसेकि NetBIOS जिसका प्रयोग विंडोज़ नेटवर्किंग में होता है, वे भी पूरी तरह से न तो सपोर्ट करती हैं और न ही कार्य, लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) वीपीएन वैरियेंट (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क लैन सर्विस), लेयर 2 नेटवर्क टनलिंग प्रोटोकाल भी इस लिमिटेसन में आते हैं।

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क कमर्चारियों को पूरी तरह से सुरक्षित एक्सेस प्रदान करती हैं और वह भी उस समय जब वे कारपोरेट इंट्रानेट को बाहर ट्रैवल करते समय एक्सेस करते हैं।

– इसी तरह से वीपीएन (VPN) सिक्योर तरीके से किसी भी संस्था के ऑफिसों को ज्योग्राफिकली अलग-अलग कनेक्ट कर सकती है और एक जोड़ने वाले नेटवर्क का निर्माण करती है।

→ इस तकनीक का प्रयोग व्यक्तिगत इंटरनेट के प्रयोग में वायरलेस ट्रांजेक्शन को सिक्योर करने के लिये भी किया जाता है। इसके जरिये आप प्रॉक्सी सर्वर से कनेक्ट होकर अपनी पहचान और लोकेशन को प्रोटेक्ट कर सकते हैं।

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