Answer for वस्त्रों कों कैसे धोना चाहिए

जिस वस्तु का प्रयोग नित्य-प्रति होता है उसकी साफ-सफाई, धुलाई क्रियाएं भी उचित तरीकों से करनी नड़ती हैं। आधुनिक समय में इतने भिन्न-भिन्न प्रकार के तन्तुओं से कपड़ा निर्माण होता है, सभी की सफाई करने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है, क्योंकि कोई सूती है तो कोई रेशमी या कोई ऊनी अथव रासायनिक है। सभी को धोने की, सुखाने की पद्धति भी अलग-अल प्रयोग की जाती है। कोई सादा साबुन पानी से तो कोई हल्के ग पानी से, कोई इज़ी (Eezee) से तो कोई रीठों से धोए जाते हैं। किस को ब्रश से धोना है तो किसी को केवल साबुन के घोल में डुबोक रखना है तो किसी को निचोड़ना है तो किसी को लटकाकर सुखान है, किसी को बिछाकर सुखाना है। कोई लम्बाई में बढ़ जाता है । कोई चौड़ाई में बढ़ता है। परिणाम स्वरूप इन सब बातों के जानकारी हमें वस्त्र विज्ञान से ही मिलती है अन्यथा कपड़े खराब होने का डर होता है। किसी कपड़े को धूप में सुखाना है तो किस वस्त्र को छाया में, किसी को मांड लगाना है तो किसी को नील में डुबाना है। किस वस्त्र पर क्षारीय तत्व की, किस पर साबुन क प्रतिक्रिया होती है और किस पर नहीं। अतः यह सब कुछ ज्ञान देन वाला वस्त्र विज्ञान ही तो है।
सुनील दन्तयानी ने अपनी पुस्तक Fundamentals of Textile anc their Care #ferral fos “An infinite variety of fabrics are available today. In order to understand how different material must be laundered, one should know something of their origin, manufacture and properties and their reactions to the different processes of cleaning अर्थात असंख्य किस्मों के वस्त्र आजकल आ गए हैं। उनके धोने के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनकी उत्पत्ति, बनावट व विशेषताएं क्या हैं ताकि उन्हें ठीक प्रकार से धोया जा सके। अतः वस्त्रों से सम्बन्धित सभी प्रकार की पूर्ण जानकारियां प्राप्त करने के लिए वस्त्र विज्ञान की जानकारी सभी उपभोक्ताओं को लेनी चाहिए। तभी घरेलु स्तर पर, मार्किट के स्तर पर तथा वैज्ञानिक विधियों को आसानी से समझने के लिए तथा वस्त्र सम्बन्धी समस्याओं को हल करने की क्षमता हर कुशल उपभोक्ता में आ सकेगी।

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