Answer for वायरलेस नेटवर्क सिक्योरिटी क्या होता है

वायरलेस नेटवर्किंग मुख्य रूप से दो तरह की होती है। एक को Ad-Hoc या पीर-टू-पीर नेटवर्किंग कहा जाता है। इसे LAN के साथ प्रयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में प्रत्येक कम्प्यूटर एक वायरलेस इंटरफेस के द्वारा दूसरों से संपर्क करता है। इस तरह का वायरलेस नेटवर्क एक एक्सेस प्वाइंट भी प्रदान करता है।

– एक्सेस प्वाइंट को तकनीकी भाषा में HAP अर्थात डेडीकेटेड हार्डवेयर एक्सेस प्वाइंट कहते हैं। यह एक्सेस प्वाइंट बहुत ही शक्तिशाली वायरलेस सुविधाओं से लैस होते हैं। वायरलेस नेटवर्किंग की इस तकनीक में सॉफ्टवेयर एक्सेस प्वाइंट भी प्रयोग किए जाते हैं जो उस कम्प्यूटर पर रन करते हैं जिनमें वायरलेस नेटवर्क इंटरफेस कॉर्ड लगा होता है।

– आजकल बीकॉम सॉफ्ट इंटरगेट सूट नामक सॉफ्टवेयर को बेसिक सॉफ्टवेयर एक्सेस प्वाइंट के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसमें डायरेक्ट PPPOE सपोर्ट और विस्तार हो सकने वाली लचीली कॉन्फीगरेशन की सुविधा होती है। लेकिन यह 802.11 स्टैंडर्ड में निर्धारित की गई वायरलेस क्षमता जितने शक्तिशाली नहीं हैं।

– आप एड हॉक वायरलेस नेटवर्किंग के द्वारा लोकल एरिया नेटवर्क तथा TCP/IP नेटवर्किंग को प्रयोग कर सकते हैं। जहां तक सॉफ्टवेयर एक्सेस प्वाइंट का प्रश्न है इसके अंतर्गत वायरलेस से जुड़े हुए कम्प्यूटर एक सॉफ्टवेयर एक्सेस प्वाइंट भी प्रयोग करते हैं।

वायरलेस नेटवर्किंग में प्रयोग होने वाली यह दूसरी तकनीक है जिसमें रेडियों प्रिक्वेंसी का प्रयोग डेटा ट्रांसमिशन की तरह से किया जाता है। इसके जिस स्टैंडर्ड का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है वह है 802.11। इसका मानकी करण इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स अर्थात IEEE के द्वारा किया गया है।

वायरलेस नेटवर्किंग की रेंज़ उसके साथ प्रयोग किए गए उपकरणों की क्षमता पर आधारित होती है। यह क्षमता क्लाइंट कम्प्यूटर और एक्सेस प्वाइंट के मध्य की दूरी को निर्धारित करता है। वायरलेस उपकरणों के निर्माता इंडोर और आउटडोर क्षेत्रों के लिए अलग-अलग क्षमता वाले उपकरण बनाते हैं। आमतौर पर इनडोर रेंज के अंतर्गत 150 से लेकर 300 फिट की दूरी निहित होती है। आउटडोर के संदर्भ में यह दूरी एक हजार फिट तक हो सकती है। आपको एक बात फिर भी याद रखनी है कि यह दूरी वातावरण से भी प्रभावित होती है।

वायरलेस नेटवर्क वाले कम्प्यूटर एक्सेस प्वाइंट से कितनी संख्या में जुड़ सकते हैं यह भी पूरी तरह से निर्माता द्वारा बनाए गए उपकरण और उसकी क्षमता पर निर्भर है। कुछ हार्डवेयर एक्सेस प्वाइंट 10 की संख्या में वायरलेस कम्प्यूटर जोड़ सकते हैं और कुछ 100 वायरलेस कनेक्शन उपलब्ध करा सकते हैं। एक वायरलेस नेटवर्क में एक साथ कई एक्सेस प्वाइंट हो सकते हैं।

एक से ज्यादा एक्सेस प्वाइंट प्रयोग करने पर ज्यादा संख्या में वायरलेस कनेक्शन उपलब्ध होते हैं। लेकिन यह एक्सेस प्वाइंट काफी खर्चीले हो सकते हैं इसलिए इस खर्चे को कम करने के उद्देश्य से कम्प्यूटर वैज्ञानिकों ने एक्सटेंशन प्वाइंटों का विकास किया है। जिनके द्वारा हमें ज्यादा वायरलेस कनेक्शन उपलब्ध हो सके।

वायरलेस कम्प्यूटर रोमिंग तकनीक का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए यह एक एक्सेस प्वाइंट से दूसरे एक्सेस प्वाइट को रोम करते हैं। इसके अंतर्गत कनेक्शन धारा प्रवाह रो के लिए विशेष सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का प्रयोग किया जाता

– वर्तमान समय में वायरलेस नेटवर्क की लागत को कम करने के उद्देश्य से लगातार नई-नई तकनीकों का विकास हो रहा है और इसी के तहत LAN-to-LAN वायरलेस कम्युनीकेशन आजकल चलन में है। हास्पिटलों, औद्योगिक संस्थानों और स्कूल कैम्पस में यह तकनीक ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अंतर्गत दो एक्सेस प्वाइंट प्रयोग होते हैं और प्रत्येक एक्सेस प्वाइंट ब्रिज और रूटर की तरह से व्यवहार करके अपना लोकल एरिया नेटवर्क वायरलेस कनेक्शन के लिए उपलब्ध कराता है। वायरलेस कनेक्शन दोनों एक्सेस प्वाइंटों को एक दूसरे से कम्युनीकेट करने के लिए भी अनुमति प्रदान करता है। जिसकी वजह से दो लोकल एरिया नेटवर्क आपस में कम्यूनीकेट होते हैं।

एक हार्डवेयर एक्सेस प्वाइंट लोकल कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर एक्सेस प्वाइंट को वायरलेस कनेक्टीविटी उपलब्ध कराता है। जिसकी वजह से सॉफ्टवेयर एक्सेस प्वाइंट तार से जुड़े हुए दूसरे ईथरनेट नेटवर्क वाले कम्प्यूटर को तार से जुड़े हुए प्रथम नेटवर्क को एक्सेस करने की सुविधा प्रदान करता है।

→ यदि आप वायरलेस नेटवर्क के द्वारा इंढरनेट कनेक्शन को शेयर करना चाहें तो अब यह भी संभव है। इसके लिए केवल आपको एक इंटरनेट शेयरिंग हार्डवेयर डिवाइस तथा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की जरूरत होगी और एक लोकल एरिया नेटवर्क की। यदि आपका LAN वायरलेस है तो उपरोक्त वर्णित क्राइटेरिया ही प्रभावी होगा।

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