Answer for वीपीएन टाइप क्या होता है

शुरुआती डेटा नेटवर्क VPN स्टाइल के नेटवर्क, जोकि डायलअप मॉडेम या लीज्ड लाइनों के कनेक्शन को प्रयोग करते हुए फ्रेम रिले और एसिंक्रोनियस ट्रांसफर मोड वर्चुअल सर्किटों के द्वारा काम करते थे तथा टेलीकम्युनीकेशन कैरियर से ऑपरेट होते थे। ये नेटवर्क पूरी तरह से सही वीपीएन नही होते थे, क्योंकि ये पैसिव तरीके से डेटा सिक्योर करते हुए एक निश्चित लॉजिकल स्ट्रीम में डेटा ट्रांसमिट करते हैं।
– अब इन्हें वीपीएन (VPN) पर आधारित आईपी और आईपी मल्टी प्रोटोकॉल स्विचिंग (MPLS) नेटवर्क से रिप्लेस कर दिया गया है। इसका कारण यह है कि इनकी कीमत में भारी कमी आयी है और बैंडविड्थ में बढ़ोत्तरी हुई है। अब इनके साथ नयी तकनीकें जैसे कि डिजिटल सब्स-क्राइबर लाइन (DSL), ADSL और फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का प्रयोग होने लगा है।
– वीपीएन या तो रिमोट एक्सेस (इसमें कम्प्यूटर एक नेटवर्क से जुड़ा होता है) या फिर साइट-टु-साइट (जिसमें दो नेटवर्क जुड़े होते हैं) की तरह के होते हैं। यदि कारपोरेट सेटिंग की बात करें तो रिमोट एक्सेस वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्किंग कर्मचारियों को इस बात की अनुमति प्रदान करती है कि वे अपने घर से या ट्रैवलिंग करते समय कम्पनी का इंट्रानेट प्रयोग कर सकें।
वीपीएन का प्रयोग दो एक जैसे नटवर्कों को इंटरकनेक्ट करने में होता है जिसमें बीच का नेटवर्क उनके जैसा न हो। उदाहरण के लिये दो IPv6 नेटवर्कों को IPv4 नेटवर्क से जोड़ना। वीपीएन सिस्टम निम्न वर्गों में विभाजित होते हैं
– वे प्रोटोकॉल जो ट्रैफिक को टनल करते हैं।
टनल टर्मिनेशन प्वाइंट लोकेशन जैसेकि कस्टमर एज़ या नेटवर्क प्रोवाइडर एज़।
– उस स्थान पर जहां वे साइट-टु-साइट या नेटवर्क-टु-नेटवर्क कनेक्टिविटी ऑफर करते हैं।
• अलग-अलग स्तरों की सिक्योरिटी प्रोवाइड करान के लिये।
– ओएसआई लेयर जहां नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिये प्रजेन्ट करते हैं। जैसेकि लेयर-2 सर्किट और लेयर-3 नेटवर्क कनेक्टिविटी।
– वीपीएन पूरी तरह से ऑनलाइन कनेक्शन का निर्माण नहीं कर सकते हैं लेकिन ये प्राइवेसी और सिक्योरिटी में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। प्राइवेट सूचनाओं के डिस्क्लोजर से बचने के लिये वीपीएन केवल ऑथेन्टीकेट रिमोट एक्सेस को ही अनुमति देते हैं और इसके लिये टनलिंग प्रोटोकॉल तथा इनक्रिशन तकनीकों का प्रयोग करते हैं।
→ वीपीएन सिक्योरिटी मॉडल निम्न को प्रोवाइड कराते हैं
– इसमें सब-कुछ इतना ज्यादा कॉन्फीडेशियल होता है कि नेटवर्क ट्रैफिक को असानी से सूंघा जा सके या फिर एक्सेस किया जा सके तब भी अटैकर केवल इंक्रिप्टेड डेटा ही देख सकता है।
सेंडर ऑथेन्टीकेशन जो अनाधिकृत यूजरों के द्वारा वीपीएन को एक्सेस करने से रोकती है।
– मैसेज इंटीग्रिटी, डेटा ट्रांसमिशन के समय टेम्परिंग के किसी भी प्रयास को रोकने में सक्षम होती है। –
सिक्योर वीपीएन (VPN) प्रोटोकॉल में निम्न तकनीक समाहित होती है
• इंटरनेट प्रोटोकॉल सिक्योरिटी (IPSec)
• ट्रांसपोर्ट लेयर सिक्योरिटी (SSL/TLS)
– डेटाग्राम ट्रांसपोर्ट लेयर सिक्योरिटी (DTLS)
• माइक्रोसॉफ्ट प्वाइंट-टु-प्वाइंट इन्क्रिप्शन (MPPE)
– माइक्रोसॉफ्ट सिक्योर सॉकेट टनलिंग प्रोटोकॉल (SSTP)
– मल्टीपाथ वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (MPVPN)
– सिक्योर शेल वीपीएन (OpenSSH) – सिक्योर वीपीएन टनल्स के बनने से पहले ही टनल एंड प्वाइंट पहले ऑथेन्टीकेट करता है।
यूजर क्रियेटेड, रिमोट एक्सेस वीपीएन, पासवर्ड, बायोमेट्रिक, दो-फैक्टर ऑथेन्टीकेशन या अन्य क्रिप्टोग्राफी मैथड प्रयोग करते हैं।

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