Answer for वेब सर्वर से आप क्या समझते है

वेब सर्वर एक प्रकार का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर होता है जो इंटरनेट पर मौजूद वेब पेजों को यूजर्स तक पहुंचाता है। व्यवहारिक रूप में इसे दो भागों में बांटकर देखा जा सकता है: एक तो वह मशीन जिस पर वेब सर्वर सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया है और दूसरा वह सॉफ्टवेयर जो वेब सर्वर की तरह से काम करता है। यहां पर मशीन या कम्प्यूटर सिस्टम तो हार्डवेयर होते हैं और वेब सर्वर जोकि कि ऑपरेटिंग सिस्टम होता है वह सॉफ्टवेयर होते हैं।

– आमतौर पर इंटरनेट पर उपस्थित वेब पेजों को HTTP या हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल के द्वारा यूजर्स तक पहुंचाया जाता है।

आप किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम में वेब सर्वर का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके उसे इंटरनेट से जोड़कर यूजर उसे इंटरनेट पर वेब पेज प्रदान करने वाले वेब सर्वर में बदलाव कर सकते हैं।

→ यूजर जो भी वेब पेज इंटरनेट पर देखते हैं वे उनके कम्प्यूटर पर किसी न किसी वेब सर्वर के द्वारा ही पहुंचाये जाते हैं। यदि आप अपने कम्प्यूटर पर केवल सॉफ्टवेयर को स्थापित करें और उसे इंटरनेट से न जोड़े तो भी ये कम्प्यूटर लोकल नेटवर्क में वेब सर्वर की तरह से ही काम करेगा।

प्रत्येक वेब सर्वर अपने क्लाइंट से HTTP निर्देश लेता है और यह निर्देश वापस भी करता है। HTTP एक तरह का प्रोटोकॉल है, जिसका पूरा नाम है हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल । मुख्य वेब सर्वर जो निर्देश लौटाता है वे HTML अर्थात हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज में होते हैं लेकिन इसके अलावा वेब सर्वर डॉक्यूमेंट, चित्र, फोटो, वीडियो आदि भी भेज सकता है। यदि क्लाइंट ने किसी ऐसी चीज की मांग रखी जो वेब सर्वर के पास नहीं है तो ऐसे में वेब सर्वर अपने क्लाइंट को इरर मैसेज भेजता है।

– प्रत्येक वेब सर्वर अपने प्रत्येक क्लाइंट से सम्बन्धित जानकारी एक वेब लॉग में स्टोर रखता है, जिसमें क्लाइंट का आईपी पता और उसके द्वारा मांगी गयी जानकारी भी होती है। इस तरह का डेटा वेब सर्वर के मालिक या वेब मास्टर के लिये बहुत उपयोगी होते हैं।

– HTTP और लॉगिंग दोनों का किसी भी वेब सर्वर में होना बहुत ही जरूरी होता है। इन दोनों के अलावा भी वेब सर्वर में अनेक विशेषतायें होती हैं जो लगभग सभी वेब सर्वरों में पायीं जाती हैं। लेकिन इसके प्रयोग करने का तरीका प्रत्येक वेब सर्वर में अलग-अलग हो सकता है।

→ सिक्योर HTTP और HTTPS सामान्यत: कोई भी वेब सर्वर, क्लाइंट को अपनी पोर्ट 80 में कनेक्ट करने की अनुमति प्रदान करता है। वेब सर्वर में सिक्योरिटी के लिये ssl और tsl सपोर्ट होता है जो क्लाइंट को वेब सर्वर की पोर्ट 443 से कनेक्ट करता है।

प्रत्येक वेब सर्वर में एक और विशेषता होती है जिसे ऑथेन्टीकेशन के नाम से जाना जाता है। इसका प्रयोग करके आप अपने क्लाइंट को सत्यापित भी कर सकते हैं। इसका अर्थ है कि आप केवल उन्हीं क्लाइंट से निर्देश ले सकते हैं या उन्हें दे सकते हैं जिन्हें आपके किसी ऑथेन्टीकेशन विधि से सत्यापित कर लिया हो। जैसेकि यूजरनेम और पासवर्ड। आप चाहे तो अपने वेब सर्वर की स्लेक्टेड सामग्री को या सम्पूर्ण सामग्री के लिये ऐसा कर सकते हैं।

वर्तमान समय में प्रयोग किये जा रहे प्रत्येक वेब सर्वर में कम्प्रेशन नामक एक खास सुविधा होती है जिसका प्रयोग करके आप उन फाइलों को वेब सर्वर पर वे जा सकते हैं जो आकार या साइज़ में बड़ी होती हैं या ऐसी फाइलों को वेब सर्वर मंगा भी सकते हैं। फाइल का आकार बड़ा होने की अवस्था में बैंडविड्थ को बचाने के लिये वेब सर्वर उस फाइल को कम्प्रेस कर देता है और उसे छोटे आकार में बदल देता है।

– इंटरनेट के दिनों दिन बढ़ते चलन की वजह से इसके लिये रोज नयी-नयी तकनीकें विकसित की जा रही हैं जो इसके प्रयोग को और भी सरल बनाती हैं। ऐसी ही एक तकनीक का नाम है वर्चुअल होस्टिंग। आज के ज्यादातर वेब सर्वर इस तकनीक से लैस होते हैं और आपको वर्चुअल होस्टिंग की सुविधा प्रदान करते हैं।

– इस वर्चुअल होस्टिंग नामक तकनीक के द्वारा आप एक आईपी अर्थात इंटरनेट प्रोटोकॉल पते के द्वारा एक से ज्यादा वेब साइटों को वेब सर्वर पर स्थापित कर सकते हैं।

– अधिकतर वेब सर्वर स्टैटिक डेटा और डायनामिक डेटा, दोनों को भेजने में सक्षम होते हैं। स्टैटिक डेटा वह डेटा है जोकि पहले से ही निर्धारित होता है, जैसेकि किसी कम्पनी के बारे में जानकारी या कोई डॉक्यूमेंट।

डायनामिक डेटा वह डेटा होता है जो क्लाइंट के अनुसार, समय के अनुसार या फिर किसी और आधार पर बदलती रहती है। जैसे यदि मैं अपने शहर के समाचार देखना चाहूं तो मुझे केवल अपने शहर के ही समाचार दिखाई देंगे।

वर्तमान समय में वेब सर्वर के अनेक सॉफ्टवेयर मौजूद हैं। इनमें माइक्रोसॉफ्ट का आईएसएस, अपाचे, गूगल का जीएफई, नेटस्कैप इत्यादि। इनमें से कुछ कमर्शियल सॉफ्टवेयर हैं तो कुछ मुफ्त में उपलब्ध हैं।

जैसाकि आप पढ़ चुके हैं कि वेब सर्वर पर HTTP की भूमिका बहुत अहम है। एचटीटीपी वास्तव मे एक एप्लीकेशन प्रोटोकॉल होता है जो किसी वेव साइट के नाम के आगे प्रयोग किया जाता है और इससे ही वेबसाइट का URL खुलता है।

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