Answer for वैद्युतिक संयोजन क्या होता है ?

जब किसी विशेष मान के प्रतिरोध की आवश्यकता हो और उस मान का प्रतिरोध आंकिक मान में उपलब्ध न हो तो प्रतिरोधकों को श्रेणी अथवा समानान्तर में संयोजित करके आवश्यक प्रतिरोध मान प्राप्त किया जा सकता है।

श्रेणीक्रम में संयोजन Connection in Series
प्रतिरोधकों का वह संयोजन जिसमें विद्युत धारा प्रवाह का केवल एक ही मार्ग उपलब्ध हो, श्रेणी क्रम संयोजन कहलाता है। इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक का विभवान्तर पृथक्-पृथक् होता है और उनका योग कुल विभवान्तर (V) के तुल्य होता है अर्थात्
V, =VI + V2 +Vs+

ओह्म के नियम के अनुसार, किसी प्रतिरोधक के सिरों पर पैदा होने वाला विभवान्तर, उसमें से प्रवाहित हो रही विद्युत धारा तथा उसके प्रतिरोध मान के गुणनफल (IR) के तुल्य होता है। अत:
(: R =) NF
V, = IRI + IR2 + IR3 + … या
V= R + Ra + Rs +
R, = R + R + Rs+
इस प्रकार, परिपथ का कुल प्रतिरोध, विभिन्न प्रतिरोध मानों के योग के तुल्य होता है। यदि परिपथ में समान मान (R) वाले प्रतिरोधक संयोजित किए हों और उनकी संख्या n हो। उदाहरण 10.1 यदि 50 तथा 100 ओह्म प्रतिरोध मान वाले दो प्रतिरोधक श्रेणी क्रम में 220 V स्रोत के आर-पार जुड़े हों, तो ज्ञात कीजिए
(i) कुल प्रतिरोध,
(ii) परिपथ विद्युत धारा तथा
(iii) प्रत्येक प्रतिरोधक का विभवान्तर। हल ज्ञात है, प्र तिरोध, R1 = 50 2 प्रतिरोध, R2 = 1002 वोल्टेज, V = 2202
(i) कुल प्रतिरोध, R, = R1 + R2 = 50 + 100 = 150 2
(ii) परिपथ विद्युत धारा, v_220 =1.467A R, 150=1.467A
(iii) 50 ओह्म प्रतिरोधक का विभवान्तर, V=1xR = 1.467×50 = 73.35V – 100 ओह्म प्रतिरोधक का विभवान्तर, V = I x R> = 1467×100 = 146.7V

समानान्तर क्रम में संयोजन Connection in Parallel
प्रतिरोधकों का वह संयोजन जिसमें सभी प्रतिरोधक एक ही सप्लाई स्रोत के आर पार संयोजित हों, समानान्तर संयोजन कहलाता है। इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोधक में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का मान पृथक्-पृथक् होता है और उनका कुल योग परिपथ विद्युत धारा
(i) के तुल्य होता है अर्थात्
Ir= I1 + 12 + 13 + …. Vr a

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