Answer for साउंड कार्ड की क्या कार्यप्रणाली है

वर्तमान समय के कम्प्यूटर सिस्टम में प्रयोग होने वाले ज्यादातर साउंड कार्ड DAC अर्थात डिजिटल टु एनालॉग कनवर्टर नामक तकनीक को प्रयोग करते हैं। इसकी वजह से ये डिजिटल डेटा को एनामॉग फारमेट से रिकार्ड कर सकते हैं और उत्पन्न कर सकते हैं। इसमें आउटपुट सिगनल एक बाहरी डिवाइस हैडफोन या एम्प्लीफायर से सुनाई देता है जोकि एक TRS फोन कनेक्टर या RCA कनेक्टर से जोड़ा होता है।जो ज्यादा एडवांस साउंड कार्ड होते हैं वे एक से ज्यादा साउंड चिपों को प्रयोग करते हैं। जिसकी वजह से इनकी डेटा दर उंची रहती है और ये एक साथ अनेक फंक्शन कर सकने में सक्षम हो जाते हैं। ये कार्ड प्रोसेसर का बहुत कम समय प्रयोग करते हैं और साउंड को सिंथेसाइज करके म्यूजिक और साउंड इफेक्ट को रियम टाइम जेनरेट करते हैं।डिजिटल साउंड रिप्रजेन्टेशन का कार्य मल्टीचैनल DAC के द्वारा पूरा होता है। इसकी वजह से एक समय में डिजिटल सैम्पलिंग का कार्य सरलता से हो जाता है और आप रियल टाइम प्रभावों के साथ फिल्टरिंग का काम भी कर सकते हैं। ये कार्ड इतने सक्षम होते हैं कि साउंड में आयी किसी भी तरह की न्वाइज (शोर) या घरघराहट को रियल टाइम में समाप्त कर देते हैं। इनके द्वारा मिलने वाली मल्टीचैनल डिजिटल साउंड प्लेबैक सुविधा का प्रयोग करके म्यूजिक सिंथेसिस का कार्य भी किया जा सकता है। ज्यादातर साउंड कार्डों में सिगनल कैसेट, टेप या किसी अन्य साउंड सोर्स से इनपुट करने के लिये लाइन इन नामक एक कनेक्टर होता है। इस कनेक्टर में माइक्रोफोन की तुलना में उच्च विद्युत प्रवाह होता है जिसकी वजह से ज्यादा उच्च क्वालिटी का इनपुट प्राप्त होता है। इसी कारण साउंड कार्ड, साउंड सिगनल को डिजिटल फार्मेट में रूपांतरित कर पाते हैं। निम्न चित्र में इस प्रक्रिया को दर्शाया गया है
साउंड कार्ड का DMAC मेन मेमोरी में इनपुट किये सैम्पल को ट्रांसफर करता है। यहां पर पहले लोड एक रिकार्डिंग सॉफ्टवेयर इसे हार्ड डिस्क में राइट कर देता है। ये हार्ड डिस्क में एक फाइल के रूप में होते हैं और साउंड फोर्ज जैसे सॉफ्टवेयरों के द्वारा इस फाइल की एडीटिंग की जा सकती है और इस पर विशेष प्रभावों को लगाकर इसकी प्रोसेसिंग की जा सकती है। साउंड कार्ड के जरिये साउंड को इनपुट करने के लिये एक कॉमन तरीका भी सबसे ज्यादा प्रयोग होता है जिसे माइक्रोफोन कहते हैं। यह वास्तव में एक लो-लेवल इनपुट डिवाइस होती है। इसमें एक जैक का प्रयोग आवाज के इनपुट करने के लिये किया जाता है। इसका ज्यादातर प्रयोग VOIP अर्थात वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल में होता है। वर्तमान समय के कुछ सॉफ्टवेयर स्पीच रिकग्नीशन के लिये भी माइक्रोफोन का ही इस्तेमाल करते हैं। निम्न चित्र में आप मदरबोर्ड के माइक्रोफोन जैक को देख सकते हैं

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