Answer for सिंह आसन कैसे करे

सिंह आसन कैसे करे
दोनों घुटनों को झुकाकर ज़मीन पर टिका दें। उसके बाद दोनों हाथों को भी जांघों के नज़दीक रख लें और जुबान (जीभ) को बाहर की ओर लम्बी निकाल लें। (चित्र 11.24 ‘क’) या दोनों पैरों को नितंबों के इधर-उधर रखो और सिर को पीछे को करके जीभ को ज़्यादा से ज्यादा बाहर निकाल लें। ख’) यही सिंह आसन है। इस आसन के अभ्यास से दिल मज़बूत होता है। छाती में फैलाओ आने लगता है। पेट का मोटापन दूर होकर विकारों का दमन होता है। बाणी में मधुरता और चेहरे पर निखार आ जाता है। नज़र और पाचन शक्ति तेज़ होकर शरीर ताकतवर बन जाता है।

पश्चिमोत्तान आसन कैसे करे
दोनों टांगों को इकट्ठी फैला दें और टांगों को अच्छी तरह तान लें। आपके दोनों हाथ ज़मीन और बगल में रहने चाहिएं। यह पश्चिमोत्तान की पहली अवस्था है। अब दोनों टांगों को फैलाकर पांव का अंगूठा पकड़ने की कोशिश करो। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंगूठा पकड़ने की कोशिश में टांग ज़मीन से ऊपर न उठे और न घुटना ऊपर उठे या मुड़े। यह पश्चिमोत्तान की दूसरी अवस्था है। हाथ से अंगूठे को पकड़ लेने के बाद सांस को बाहर निकालकर कमर से सिर तक के सारे हिस्से को टांगें ऊपर धीरे-धीरे झुकाने का प्रयास करें। शरीर को यहां तक झुकाओ कि घुटना सिर से स्पर्श करे और नाक व घुटने का स्पर्श हो जाये। शरीर झुकाने के इस प्रयास में न तो टांगें ज़मीन से ऊपर उठे और न ही घुटना मुड़े और न ही ऊपर उठे। पश्चिमोत्तान की यह तीसरी अवस्था है। यह आसन मुश्किल है परन्तु बहुत ज़्यादा नहीं। कुछ दिनों में ही यह सिद्ध हो जाता है। यदि पहले दिन यह आसन न बन सके तो निराश नहीं होना चाहिए। प्रतिदिन नियमपूर्वक अभ्यास करने से कमर में लोच आ जायेगी और पूर्ण आसन बन जायेगा। पश्चिमोत्तान की चौथी अवस्था में दोनों पैरों को ज़मीन पर फैला दें और दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़ लें। कमर समेत पूरे शरीर को झुकाकर घुटने पर माथा टिका दें और शरीर घुमाओ व ऐंठन वाले आसन करने के बाद इस आसन से मन को बहुत शांति मिलती है और आनन्द की प्राप्ति होती है।

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