Answer for सिस्टम रिसोर्सेज किसे कहते है

कम्प्यूटिंग में प्रयोग किये जाने वाले मदरबोर्ड में अलग-अलग कार्यों के अनेक रिसोर्स होते हैं। लेकिन ये रिसोर्सेज़ हमेशा सीमित ही होते हैं। इसका कारण यह कि जैसे-जैसे सिस्टम शक्तिशाली बनता है वैसे-वैसे उससे काम भी ज्यादा लिया जाता है।
इसी कारण जब सिस्टम एक से ज्यादा काम करता है तो अक्सर वह हैंग हो जाता है या फिर रिसोर्स कांफिल्क्ट (Resource Conflicts) का मैसेज आता है। जब भी यह संकट खड़ा होता है तो कम्प्यूटर निम्न समस्याओं से ग्रस्त हो जाता है
⇨ सिस्टम से जुड़ी डिवाइस गलत डेटा ट्रांसफर करने लगती हैं।
⇨ सिस्टम थोड़ी-थोड़ी देर में काम करना बंद करने लगता है।
⇨ साउंड कार्ड से आवाज आनी बंद हो जाती या फिर खराब सी आवाज आने लगती है।
⇨ माउस या काम करना बंद कर देता है या फिर रूक-रुक कर काम करता है।
⇨ बिना किसी कारण के स्क्रीन पर जंक डेटा डिस्प्ले होने लगता
⇨ प्रिंटर द्वारा जंक डेटा प्रिंट होने लगता है।
⇨ आपका सिस्टम बार-बार सेफ मोड में ऑन होता है। कई बार उपरोक्त वर्णित समस्यायें डिवाइस कांन्फिल्क्ट के बजाय वासरस आने से भी आती है। लेकिन यदि ये समस्यायें वास्तव में रिसोर्सेज की कमी की वजह से हैं तो इसका एक बड़ा कारण यह होता है कि आपने मदरबोर्ड से कुछ ऐसे कार्यों को जोड़ा है जो पुरानी तकनीक के हैं।
उदाहरण के लिये जहां पर AGP या PCI कार्ड को लगाना चाहिये था वहां पर ISA कार्ड को लगा दिया है। इस तरह के कार्ड IRQ को शेयर नहीं कर पाते हैं और समस्यायें उत्पन्न करते हैं। अत: मदरबोर्ड से हमेशा लेटेस्ट तकनीक वाले कार्ड ही लगायें। इसी तरह से यदि आप किसी PS/2 डिवाइस को मदरबोर्ड से जोड़कर प्रयोग कर रहे हैं तो भी यह समस्या आ सकती है। उदाहरण के लिये आपके पास सिस्टम में USB पोर्ट खाली है और आप PS/2 पोर्ट से माउस को जोड़ रहे हैं तो भी यह समस्या आयेगी। ऐसे में सिस्टम BIOS में जायें और उन पोर्ट को डिसेबल कर दें जो प्रयोग नहीं की जा रही हैं।
सिस्टम बायोस को उन डिवाइसों के अनुसार कॉन्फीगर करें जिनका प्रयोग औपचारिक रूप से किया जा रहा हैं और जिन्हें सिस्टम ने प्लग एंड प्ले तकनीक से अपने आप कॉन्फीगर किया है। इसके अलावा आप मदरबोर्ड में जो कार्ड लगा रहे हैं उन्हें एक क्रम में एक-एक करके इंस्टॉल करें न कि एक साथ ही। कम्प्यूटर असेम्बल करने के बाद जब सिस्टम को पहली बार ऑन करें तो उसमें न्यूनतम कम्पोनेट जुड़े हों। जब ये सही ढंग से इंस्टॉल हो जायें तभी दूसरे कम्पोनेंट लगायें। उदाहरण के लिये सबसे पहले ग्राफिक कार्ड लगायें और सिस्टम को ऑन करें। जब ये सही ढंग से काम करने लगे तो हार्ड डिस्क या डीवाडी ड्राइव को लगायें।डिवाइसों को इंस्टॉल करते समय आप बीच-बीच में विंडोज़ के डिवाइस मैनेजर में जायें और रिसोर्स सेटिंग का प्रिंट आउट लें, जिससे पता चलता रहे कि कौन-कौन से रिसोर्स प्रयोग किये जा चुके हैं और कौन-कौन से खाली हैं। यदि आप अपने सिस्टम के मदरबोर्ड में कार्यों को लगाते हैं तो उन्हें निम्न क्रम में लगायें
⇨ सबसे पहले साउंड कार्ड को लगायें और इसके ड्राइवर इत्यादि को लोड करें।
⇨ दूसरे नंबर पर इंटरनेल या एक्सटर्नल मॉडेम को लगायें।
⇨ तीसरे नंबर पर नेटवर्क कार्ड जिसे लैन कार्ड भी कहते हैं उसे लगायें। इस कार्ड को तभी लगायें जब आपके सिस्टम के मदरबोर्ड में लैन पोर्ट न हो।
⇨ चौथे नंबर पर अतिरिक्त वीडियो डिवाइस जैसे कि MPEG डिकोडर या फिर 3D एक्सीलिरेटर जैसे कार्डों को इंस्टॉल करें। ⇨ पांचवे नंबर पर एक्सटर्नल हार्ड डिस्क या स्टोरेज डिवाइस के लिये एडेप्टर को लगायें।
⇨ छठे नंबर पर किसी अन्य डिवाइस को इंस्टॉल करें। वैसे तो आजकल विंडोज़ 7 और विंडोज़ 8 को ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, इनका डिवाइस मैनेजर इतना ज्यादा सक्षम होता है कि वह खुद ही उपरोक्त वर्णित समस्याओं का समाधान कर लेता है लेकिन कई बार डिवाइस मैनेजर भी इस काम में फेल हो जाता है ऐसे में यह कार्य मैन्युअली करना होगा। मैन्युअली काम करने के लिये मदरबोर्ड के साथ आये दस्तावेजो को पढ़े और जम्पर सेटिंग के द्वारा इस समस्या को सुलझायें। इसमें उन कार्डो का मैनुअल भी आपके लिये सहायक सिद्ध होगा जिन्हें मदरबोर्ड में इंस्टॉल किया जा रहा है।
⇨ कई बार दो एक जैसी डिवाइसों को मदरबोर्ड में लगाने से भी समस्या आ जाती है, ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि कहीं लैन कार्ड आपके मदरबोर्ड में हो और आप अलग से भी कार्ड के रूप में लगा रहें हो। ऐसे में मदरबोर्ड की जम्पर सेटिंग देखें और उससे मदरबोर्ड के लैन कार्ड को निष्क्रिय कर दें।
⇨ इसी तरह की समस्या तब भी आती है जब आपके मदरबोर्ड में डिस्प्ले पोर्ट की सुविधा होती है और आप अलग से उसकी PCI स्लॉट में भी एक डिस्प्ले कार्ड लगा रहे हैं। ऐसे में मदरबोर्ड की जम्पर सेटिंग के द्वारा उसकी अपनी डिस्ले पोर्ट को डिसैबल करें।
⇨ डिस्प्ले पोर्ट के अलावा साउंड पोर्ट की वजह से भी डिवाइस कॉन्फिलिक्ट की समस्या आती है। ऐसे में मदरबोर्ड में जम्पर सेटिंग के द्वारा उसकी साउंड पोर्ट को डिसेबल करें। इसके बाद ही मदरबोर्ड से नया या अलग साउंड कार्ड जोड़े।

⇨ यहां पर आप यह सोच रहे होंगे कि जब ये तीनों कार्ड पहले से मदरबोर्ड में होते हैं तो इनकी अलग से लगाने की क्या जरूरत है। वास्तव में जो कार्ड या पोर्ट (लैन, डिस्प्ले, साउंड) मदरबोर्ड में होती है वह ज्यादा शक्तिशाली नहीं होती है और बेसिक होती है। जब हमें कम्प्यूटर से ऐसे काम लेने होते हैं जो ज्यादा जटिल हैं तो इसके लिये ज्यादा सक्षम कार्डों की जरूरत होती है। उदाहरण के लिये ज्यादा सक्षम डिस्प्ले कार्ड की जरूरत तब होती है जब मल्टीमीडिया का कार्य करना हो या फिर वीडियो एडीटिंग करनी हो। वैसे तो प्लग-एंड-प्ले तकनीक आज की तारीख में बहुत ज्यादा सक्षम हो गयी है क्योंकि इस तकनीक में निम्न तीन तत्वों का समावेश होता है
⇨ PnP (प्लग एंड प्ले) हार्डवेयर
⇨ PnP (प्लग एंड प्ले) BIOS
⇨ PnP ऑपरेटिंग सिस्टम
जब उपरोक्त तीनों कम्पोनेन्ट मिलते हैं तो एक अच्छे और सम्पूर्ण प्लग एंड प्ले सिस्टम का निर्माण होता है। इसका अर्थ यह है कि आपके मदरबोर्ड में यह तकनीक हो, विंडोज़ भी इस तकनीक से लैस हो और आप जिस कार्ड को लगा रहे हैं उसमें भी इस तकनीक का समावेश हो। मदरबोर्ड में जो बॉयोस लगी होती है, उसमें यह तकनीक इनबिल्ट होती है। इसलिये मदरबोर्ड की बॉयोस की जांच जरूर करें कि उसमें यह तकनीक है या नहीं। प्लग एंड प्ले तकनीक की वजह से ही ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर को पहचान लेता है और उसके ड्राइवर को इंस्टॉल कर देता है। यदि सिस्टम में ड्राइवर नहीं होता है तो आपसे इसकी डिस्क की मांग करता है या फिर इंटरनेट से ड्राइवर को डाउनलोड करने की मांग करता है।
वर्तमान समय में कम्प्यूटर सिस्टम में निम्न पोर्ट ऐसी होती हैं जो प्लग एंड प्ले तकनीक से युक्स होती हैं। इनमें आपको केवल डिवाइस जोड़ने की जरूरत होता है, इसके बाद सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन और उसे कॉन्फीगर करने का कार्य ये खुद ही करने में सक्षम होती हैं और आपको ऐसे निर्देश उपलब्ध कराती हैं जो ऐसी डिवाइसों को आसानी से इंस्टॉल करने में सहायक होते हैं-
⇨ IEEE 1394 (FireWire)
⇨ PCI or Mini PCI
⇨ PCI Express or Mini PCI Express
⇨ PCMCIA, PC Card, Express Card
⇨ USB (Universal Serial Bus)
उपरोक्त वर्णित समस्त पोर्ट से जब आप किसी भी उपकरण जैसे कि प्रिंटर, स्कैनर, डिजिटल कैमरे या मोबाइल फोन को जोड़ते हैं तो प्लग एंड प्ले तकनीक की वजह से ये पोर्ट डिवाइस को पहचान लेती हैं और पहले तो खुद ही उसके लिये ड्राइव को खोजती हैं। ड्राइवर को खोजने का काम या तो आपके कम्प्यूटर सिस्टम में किया जाता है या फिर इंटरनेट पर। यदि आप कम्प्यटर सिस्टम में जोडी गयी डिवाइस का ड्राइवर उपलब्ध नहीं है तो यह तकनीक आपसे कहेगी कि इस उपकरण की ड्राइवर डिस्क (सीडी/डीवीडी) को सिस्टम में लगायें जिससे कि ड्राइवर को इंस्टॉल किया जा सके। यदि आपको पास डिवाइस ड्राइवर की सीडी या डीवीडी नहीं है तो प्लग एंड प्ले विजार्ड का प्रयोग करते हुए आप इंटरनेट से ड्राइवर को डाउनलोड करके अपने सिस्टम में इंस्टॉल कर सकते हैं। ड्राइवर को इंस्टॉल करने के बाद उसे ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कॉन्फीगर करने का काम प्लग एंड प्ले तकनीक खुद ही कर लेती है और आपके कम्प्यूटर से जुड़े उपकरण को वर्किंग कंडीशन में लाती है।

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