Answer for सूती धागे कैसे होते है

सिलाई में प्रायः 40 नम्बर से 80 नम्बर तक का धामा प्रयोग किया जाता है। 40 नम्बर का धागा आमतौर पर मोटा होता है, और मोटा कपड़ा सिलने के काम आता है। जैसे लट्ठा, पॉपलीन, मार्कीन, टसर आदि। 50 नम्बर का धागा बढ़िया पॉपलीन, बढ़िया शर्टिंग, रूबिया, वायल आदि सिलने के काम आता है। 60 नम्बर से 80 नम्बर का धागा बारीक तथा रेशमी कपड़े सिलने के काम आता है। धागे तो 80 नम्बर से अधिक भी होते हैं, किन्तु वे रेशमी होते हैं। 80 नम्बर से 100 नम्बर का धागा नाईलॉन, शिफान, जार्जेट, आरकंडी आदि की सिलाई में प्रयोग किया जाता है। किन्तु इसके साथ ही साथ मशीन की कढ़ाई के काम में 150 नम्बर का धागा प्रयोग किया जाता है। कढ़ाई के लिए यह रेशम ही होता है तथा लकड़ी की गिट्टियों पर लिपटा होता है। धागा व उसके रंग दोनों ही बहुत पक्के होते हैं। यह बटा हुआ (twisted) धागा होता है। ऊनी कपड़ों की सिलाई करने के लिए 30 व 40 नम्बर का धागा, जोकि थोड़ा सा मोटा ही होता है, का प्रयोग करते हैं। काज बनाने के काम 8 नम्बर से 20 नम्बर का धागा हर रंग में उपलब्ध होता है। प्रायः सूती, टैरीकॉट तथा ऊनी कपड़ों के काज 20 नम्बर से बनाते हैं। यह धागा बहुत मोटा होता है। इससे काज बहुत सुन्दर बनता है। 20 नम्बर के धागे से इकहरे धागे से ही काज बनाते हैं। रेशमी कपड़ों के काज इससे भी या 8 नम्बर के धागे से भी बनाए जा सकते हैं। यह रेशमी भी होता है। यह सब नलकियों तथा गोलों में भी आते हैं। नलकियों का धागा अधिक अच्छा रहता है। उसमें गांठे कम निकलती हैं। नलकियों में 150 मीटर से लेकर 500 मीटर तक, या कुछ में 1000 मीटर तक धागा होता है। 1000 मीटर की नलकी केवल सफेद में होती

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