Answer for सेशन लेयर क्या होता है

यह लेयर कम्प्यूटरों के बीच कम्युनिकेशन को कंट्रोल करती है। इसके अलावा लोकल और रिमोट एप्लीकेशनों के बीच कनेक्शन बनाना, उन्हें मैनेज करना और काम हो जाने पर कनेक्शन समाप्त करने जैसे काम भी यही लेयर करती है।

– यह लेयर फुल डुप्लेक्स, हाफ डुप्लेक्स और सिम्पलेक्स कम्युनीकेशन में सक्षम होती है। इसमें डिस्ट्रीब्यूशन कंट्रोल प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता है जिससे सभी सेशन भली भांति सम्पन्न हो जाते हैं।

इस लेयर का प्रयोग उन एप्लीकेशन इनवॉयरमेंट में बहुत होता है जहां पर रिमोट कॉल का प्रयोग किया जाता है।

प्रजेन्टेशन लेयरः
यह लेयर, एप्लीकेशन लेयर की इकाइयों के बीच रिफरेंश स्थापित करती है। इसमें ऊपरी लेयर की इकाइयां अलग-अलग सिंटेक्स का प्रयोग कर सकती हैं लेकिन शर्त यह होती है कि प्रजेन्टेशन सर्विस दोनों के बीच मानचित्रण करने में समर्थ हो।

प्रजेन्टेशन सर्विसेज डेटा यूनिटों को फिर से सेशन प्रोटोकॉल डेटा यूनिट में परिवर्तित किया जा सकता है और इसे नीचे तक पहुंचाया जा सकता है। इस लेयर की वजह से एप्लीकेशन और नेटवर्क में अदला-बदली करने से रिप्रजेन्टेशन में कोई अंतर नहीं आता है।

प्रजेन्टेशन लेयर डेटा को ऐसे रूप में प्रस्तुत करती है जिसमें एप्लीकेशन लेयर उसे स्वीकार कर पाये। यह लेयर, नेटवर्क में भेजे जाने वाले डेटा का प्रारूपण और इनक्रिप्शन करता है जिससे विसंगति की दिक्कत न आये। इसे अक्सर सिंटेक्स लेयर भी कहते हैं।

एप्लीकेशन लेयर:
यह लेयर, यूजर के सबसे करीब होती है। इसमें यूजर, एप्लीकेशन से सीधे-सीधे सम्पर्क करता है। इसके कार्यों में प्रमुख हैं संचार भागीदारों को पहचानना, संसाधनों की उपलब्धता का पता लगाना और संचार को समकालीन बनाना।

– संचार भागीदारों का पता लगाते समय एप्लीकेशन लेयर को यह सुनिश्चित करना होता है कि जिसे एप्लीकेशन डेटा भेजा जा रहा है उसके लिये सम्पर्क भागीदार कौन है और वह उपलब्ध है या नहीं। संसाधन की उपलब्धता का पता करते समय एप्लीकेशन लेयर को यह निर्णय करना होता है कि रिक्वेस्ट कम्युनिकेशन के लिये नेटवर्क रिसोर्सेज उपल्बध है या नहीं।

– संचार को समकालीन बनाने, एप्लीकेशन के बीच सभी संचार के लिये सहयोग की जरूरत होती है जिसे एप्लीकेशन लेयर ही मैनेज करती है। इसके प्रमुख उदाहरण हैं – टेलेनट, HTTP, FTP और सिम्पल मेल प्रोटोकॉल (SMTP)।

→ जहां OSI मॉडल में सात लेयरें होती हैं वहीं TCP/IP मॉडल में केवल पांच लेयरें ही होती हैं। इसमें सेशन लेयर और प्रजेन्टेशन लेयर नहीं होती है।

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