Answer for हमे रंगों की क्या -क्या जानकारी होनी चाहिए

प्योर रंगों की छटा मनमोहक होती है। प्रकाश की किरणों के कारण ही हम रंगों को देखते हैं। जो प्रकाश पुंज उस वस्तु पर पड़ता है – प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, उसमें से वस्तु कुछ को ग्रहण कर लेती है और कुछ वापिस भेज देती है। जो प्रकाश वापिस होता है उसी रंग व उसके गुण नज़र आते हैं। वह दर्शक के अक्षपटल (Eye) पर पड़ते हैं। अक्षपटल के अन्दर की जो सूक्ष्म ग्रन्थियां होती हैं, उसी में वस्तु की परावर्तित तरंगों को हम महसूस करते हैं जबकि तरंगों में कोई रंग नहीं होता है। पोशाकों को सजाने में रंगों का एक अनोखा स्थान है। क्योंकि पोशाक को आकर्षित बनाने के लिए रंगों को कलात्मक रंग से सजाते हैं। रंगों का ही प्रभाव होता है कि मोटा व लम्बा व्यक्ति दुबला दिखने लगे तथा दुबला व छोटा व्यक्ति बढ़िया व मंहगे वस्त्र पहनने पर भी ढीले-ढाले व्यक्तित्व से दिखाई देने लगते हैं। क्योंकि उनके वस्त्रों का रंगों के साथ सामंजस्य (मिलाप) नहीं हो पाया है। किसी भी परिधान में रंगों की गहराई, त्वचा के रंग से मेल, आयु तथा आकार व्यक्तित्व को निखारने में मदद करते हैं और पोशाक ही उचित रंग सहित व्यक्तित्व तथा आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली होती है। रंग अनुरूपता डिज़ाइनिंग के सिद्धान्तों के द्वारा निर्धारित होती है। पोशाक में रंगों का वह आपसी सुखद सम्बन्ध निहित है जिसे हम अनुरूपता यानि harmony का नाम देते हैं। यह कहना अत्यन्त कठिन है कि निश्चित रूप से किस पर कौन सा रंग अच्छा लगेगा। यह तो पदवी, कार्य स्थल, व्यक्ति की कार्य प्रणाली तथा स्वभाव पर विशेष असर डालता है। इसी के साथ-साथ ही रंगों का समय, स्थान व अवसर से भी गहरा नाता है।

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