Answer for Fashion Influencing the Human Figure क्या होता है

आप जानते हैं कि प्रारम्भ में मानव ने कपड़ा बनाना सीखा। कपड़ा बना कर तन ढांकना भी होने लगा, क्योंकि सर्दी, गर्मी, बरसात के मौसम में शरीर को सुरक्षित रखने का उपाय स्वयं ही मनुष्य मस्तिष्क की खोज थी। धीरे-धीरे सुई के अविष्कार के साथ सिलाई का भी प्रचलन हुआ। और वही सुई धागे की करामात आज के समय में फैशन के नाम से प्रसिद्ध है। इसी फैशन का ही मानव शरीर पर अत्यधिक प्रभाव हो गया है। हर व्यक्ति स्वयं को सभ्य, समाज में अग्रणी दिखाने के उद्देश्य से फैशन के दौर में आगे से आगे बढ़ता जा रहा है। आज पहनने के वस्त्र विभिन्न तरीकों से तथा अनेकों प्रकार की मशीनों के प्रयोग द्वारा बनाए जा रहे हैं। प्रारम्भ में तो कपड़ा बाज़ार से खरीद कर पहले हाथ से, फिर मशीन से सिला जाने लगा था और जिनको स्वयं सिलना नहीं आता था वे सिलाई पर बाहर सिलवा लेते थे। अब बाज़ार में ही सिला सिलाया वस्त्र मिलने से तैयार वस्त्र ही खरीदा जाने लगा। अब अच्छे से अच्छे वस्त्र सिले-सिलाए ऋतु के अनुसार, रीति-रिवाजों के अनुसार, व्यक्तित्व अर्थात् कद-काठी के अनुसार तथा परम्पराओं के मुताबिक सब प्रकार के अर्थात् सस्ते, मंहगे सभी तरह के मिलने लगे हैं। वस्त्र तो सभी पहनते हैं। वस्त्र पहनने से मनुष्य तो सुन्दर लगते ही हैं और मनुष्यों से वस्त्र भी सुन्दर लगते हैं। अर्थात् जब दोनों एक दूसरे के अनुरूप होते हैं तभी मनुष्य आकृति पर वह वस्त्र या परि पान फबता है और तभी उसका व्यक्तित्व अच्छा दिखाई देता है। वस्त्र में देखने वाले की दृष्टि सर्वप्रथम रंग पर जाती है। फिर उसके बाद देखने वाले का ध्यान व्यक्ति तथा ड्रैस की बाह्य आकृति (Silhouette or outine) पर जाता है। तत्पश्चात् उस ड्रैस के नमूने पर अर्थात् डिज़ाइन पर जाता है। नमूने के बाद उस वस्त्र के रंग तथा पहनने वाले के रंग पर ध्यान जाता है। रंग से वस्त्र की बाह्य रेखा यानि silhouette भी फैशन अनुकूल बदलती रहती है। फैशन में एक बड़ा योगदान ट्रिमिंग (Trimming) का होता है। अर्थात् कैसे-कैसे सजावटी सामान का ड्रैस में उपयोग किया गया है। ड्रैस की ड्राफ्टिग एवं कटिंग का तो फिटिंग में योगदान है ही, साथ ही ड्रैस कैसे अलंकृत हो, किस सामान के द्वारा, अर्थात् गोटा, पाइपिंग, लेस, झालर आदि किया गया है, इसका भी बहुत प्रभाव पड़ता है। वस्त्र रचना में यह ध्यान रखना ज़रूरी होता है कि नमूने बनाते समय डिज़ाइन की आधारभूत रेखाओं को त्यागा नहीं जा सकता है। अतःउन सबका प्रयोग करते समय यह ध्यान रखें कि डिज़ाइन में ट्रिमिंग या नमूना कुछ भी अधिक न बनाया जाए जिससे डिज़ाइन अजीब (Over) लगने लगे। वस्त्र की self designing में लाइनदार कपड़ों का भी प्रमुख हाथ है। खड़ी, आड़ी व तिरछी लाइनों से बने वस्त्र अपने आप में हो बहुत सुन्दर लगते हैं। खड़ी लाइनें पहनने वाले की लम्बाई को बढ़ाती हुई प्रतीत होती है, जबकि आड़ी लाईनें धारण करने वाले की चौड़ाई को बढ़ाती हुई प्रतीत होती हैं। तिरछी रेखाएं, आंखों को नीचे ऊपर ले जाने के लिए ही लगती हैं और तिरछे ‘V’ shape में करके स्कर्ट टॉप आदि में सुन्दर दिखाई देती हैं। नियमावली के अनुसार बनाया गया वस्त्र शारीरिक निरीक्षण किए हुए शरीर पर एकदम सुन्दर लगता है। तथा अलग-अलग तरीकों से बना हुआ जब उसी व्यक्ति को पहनाते हैं तो उसका व्यक्तित्व हर पोशाक में अलग ही दिखाई देता है।

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