Answer for Interchangeability (Limits, Fits and Tolerance) क्या होता है ?

प्रायः हम देखते हैं कि ट्रैक्टरों में बहुत से पार्ट्स लगे होते हैं। कुछ पार्ट्स के अन्दर दूसरे पार्ट्स भी फिट होते हैं। यदि एक पार्ट के अन्दर दूसरा पार्ट घूमता है तो कुछ समय पश्चात् उसे बदलने की आवश्यकता पड़ जाती है या फिर अचानक वाहन में टूट-फूट होने पर कोई पार्ट बदलना पड़ सकता है। इसके लिए यदि हमारे पास पहले से ही सही माप में पार्ट मौजूद हैं तो हम उनको बदल सकते हैं। अन्यथा उसके अनुरूप पार्ट बनाने में बहुत समय लगेगा तथा तब तक ट्रैक्टर प्रचालन सम्भव नहीं हो पाएगा। इससे कार्य-व्यवधान की स्थिति भी बनेगी। अत:- कारखानों में स्टोर के अन्दर ऐसे सभी पार्ट्स सही माप में रहने चाहिए जिनके टूटने या घिसने की सम्भावना रहती है, जिससे उन्हें आवश्यकता पड़ने पर तुरन्त ट्रैक्टरों में बदला जा सके। पार्ट्स का यह गुण जिसके कारण उन्हें ट्रैक्टरों में आवश्यकता पड़ने पर तुरन्त फिट किया जा सके, अन्तर्परिवर्तनीयता (interchangeability) कहलाता है। पार्ट्स के इस गुण से हमें निम्न लाभ मिलते हैं।
1. ट्रैक्टर के निष्क्रिय समय (idle time) में कमी आती है, क्योंकि पार्ट को बदलने में बहुत कम समय लगता है।
2. पार्ट्स का साइज पहले से निर्धारित होने से उन्हें अधिक संख्या में बनवाकर रखा जा सकता है। इससे पार्ट की कीमत में कमी आती है।
3. बनाते समय पार्ट्स खराब हो जाने की सम्भावना कम हो जाती है।
4. अधिक खपत वाले पार्ट्स बाजार में बने बनाये या तैयार (readymade) मिल सकते हैं।

लिमिट्स Limits
जब भी कोई पार्ट मशीन शॉप में बनने के लिए दिया जाता है तो उसकी परिवर्तनीयता (changeability) को ध्यान में रखते हुए उसके मूल साइज में Zero lineकुछ छूट दी जाती है। यह छूट अधिकतम रहती है, परन्तु यह ध्यान रखा जाता है कि पार्ट्स की फिटिंग पर कोई बुरा अर्थात् प्रतिकूल प्रभाव न पड़े, इसलिए पार्ट को उसके मूल साइज से एक सीमा (limit) में ही कम या अधिक बनाया जा सकता है। यह छूट जितनी अधिक होगी, पार्ट्स को बनाने में उतना ही कम Tolerance zone समय लगेगा तथा रिजेक्शन (rejection) भी उतना ही कम होगा। “किसी मूल साइज (basic size) में स्वीकृत (permissible) वह अधिकतम छूट जिस पर पार्ट्स बनाए जा सकते हैं, उस साइज की लिमिट्स (limits) कहलाती है।”

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