Answer for LCD के कितने प्रकार होते है

आज के समय में LCD मॉनीटरों में मुख्य रूप से दो तकनीकों को प्रयोग किया जाता है। इन तकनीकों के नाम हैं – एक्टिव मैट्रिक्स एनालॉग कलर और एक्टिव मैट्रिक्स डिजिटल। LCD तकनीक के शरुआती दिनों सिंगल कलर तकनीक का भी प्रयोग किया गया लेकिन आज के समय में इसका प्रयोग नहीं होता है। कुछ समय पहले तक जिस तकनीक को प्रयोग किया जाता था उसका नाम पैसिव मैट्रिक्स डुएल स्कैन तकनीक था। लेकिन अब इसे इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस समय जिस एक्टिव मैट्रिक्स डिस्प्ले तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है उसमें प्रत्येक पिक्सेल को डिस्प्ले करने के लिये तीन ट्रांसिस्टरों को इस्तेमाल किया जाता है। ये ट्रांसिस्टर एक कंडक्टिव मैटीरियल की ग्रिड के रूप में होते हैं और प्रत्येक पिक्सेल के लिये इनमें इलेक्ट्रॉड के जरिये स्लेक्टेड करेंट पास किया जाता है।

⇨ एक्टिव मैट्रिक्स स्क्रीन को आप एक ग्राफ पेपर की तरह से समझ सकते हैं। ज्यादातर एक्टिव मैट्रिक्स डिस्प्ले एक पतली फिल्म ट्रांसिस्टर अर्थात TFT एरे को प्रयोग करते हैं।

⇨ TFT वास्तव में एक पैकेजिंग सिस्टम होता है जिसमें प्रत्येक पिक्सेल के लिये एक से तीन (Mono to RGB) ट्रांसिस्टरों को प्रयोग करते हैं। इसीलिये प्रत्येक पिक्सेल के लिये प्रयोग किये जाने वाले सभी ट्रांसिस्टर लिक्विड क्रिस्टल सेल्स के एकदम पीछे होते हैं और इन्हें कंट्रोल करते हैं।

⇨ वर्तमान समय में दो मैनुफैक्चरिंग प्रोसेस को TFT के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है, इनमें से एक को हाइड्रोजेनेटेड एमॉर्फस सिलिकॉन अर्थात (a – Si) और दूसरे को लो-टेम्प्रेचर पॉलीसिलीकॉन (p – Si) कहते हैं। दोनों प्रोसेस की कीमतों में काफी अंतर होता है। इसीलिये आज की तारीख में p – Si तकनीक का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

⇨ LCD डिस्प्ले में हॉरीजोन्टल व्यूइंग कोण को और ज्यादा उन्नत बनाने के लिये निर्माता लगातार प्रयासरत रहते हैं। इसके लिये अलग-अलग तरह की परिष्कृत तकनीकों को प्रयोग करते हैं।

⇨ इन तकनीकों में हिटाची की इन-प्लेन स्विचिंग जिसे STFT के नाम से जाना जाता है प्रमुख है। इसमें प्रत्येक सेल को LCD के समानान्तक ग्लास पर एलाइन किया जाता है और विद्युत करेंट को साइडों से छोड़ा जाता है जिसकी वजह से सेल घूमता है और ज्यादा बेहतर व्यू दिखाई देता है।

⇨ फिजुत्सु ने भी इसी तरह की तकनीक को लांच किया है, इसका नाम मल्टीडोमेन वर्टिकल एलाइनमेंट है। इसे संक्षेप में MVA के नाम से भी जाना जाता है। एक कलर TFT डिस्प्ले में 4,410000 से ज्यादा ट्रांसिस्टर होते हैं। जोकि 1400 x 1050 ppi का रेजोल्यूशन पैदा करते हैं।

⇨ यदि रेजोल्यूशन को सरल शब्दों में समझा जाये तो कहा जा सकता है मॉनीटर पर दिखाई देने वाले किसी भी ऑब्जेक्ट की जो डिटेल हमें दिखाई देती है उसे रेजोल्यूशन कहते हैं।

⇨ डिटेल की मात्रा को हॉरीजोन्टल और वर्टिकल पिक्चर ऐलीमेंट, जिसे पिक्सेल कहते हैं में मापा जाता है। जितने ज्यादा पिक्सेल होते हैं रेजोल्यूशन उतना ही ज्यादा होता है।

⇨ करेक्टरों को डिस्प्ले होने के लिये ज्यादा रेजोल्यूशन की जरूरत नहीं होती है, ग्राफिक्स को स्पष्ट रूप से डिस्प्ले होने के लिये ज्यादा से ज्यादा रेजोल्यूशन की जरूरत होती है।

⇨ मॉनीटर की स्क्रीन का रेजोल्यूशन ज्यादा से ज्यादा रहे इसके लिये अनेक डिस्ले तकनीकों का विकास किया गया। इन तकनीकों को डिस्प्ले स्टैंडर्ड कहते हैं।

⇨ आपके कम्प्यूटर में जितनी ज्यादा वीडियो रैम होगी कम्प्यूटर की LCD का डिस्प्ले उतना ही ज्यादा होगा। कम्प्यूटर में कितनी वीडियो रैम है, इसका पता लगाने के लिये पॉवर ऑन सेल्फ टेस्ट को देखें या फिर डेस्टॉप पर बने माई कम्प्यूटर आइकन को क्लिक करें और सिस्टम प्रॉपर्टीज को खोलें और उसमें दिये डिवाइस मैनेजर नामक विकल्प को क्लिक करें

।⇨ डिवाइस मैनेजर में आपको Display adapters नामक एक विकल्प दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें। इससे स्क्रीन पर कम्प्यूटर में लगे वीडियो कार्ड का नाम आ जायेगा।

⇨ इस वीडियो कार्ड में कितनी वीडियो रैम है और यह कितना शक्तिशाली इत्यादि तथ्यों का पता लगाने के लिये इस पर माउस प्वाइंटर ले जायें और राइट क्लिक करें।

⇨ राइट क्लिक करते ही स्क्रीन पर एक शार्ट कट मीनू आयेगा, इस मीनू में दिये Proiperties नामक विकल्प को क्लिक करें। इससे आपको यह पता चल जायेगा कि कम्प्यूटर का वीडियो कार्ड सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं और यह भी पता चल जायेगा कि इसका ड्राइवर सही ढंग से इंस्टॉल है या नहीं।

⇨ स्क्रीन का रेजोल्यूशन बदलने के लिये कंट्रोल पैनल के डिस्प्ले आइकन का प्रयोग करें। स्क्रीन की ब्राइटनेस और कंट्रॉस्ट को आप LCD पैनल में लगे स्विचों और विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम में दिये विकल्पों से परिवर्तित कर सकते हैं।

⇨ कम्प्यूटर के LCD डिस्प्ले में रेजोल्यूशन के अलावा एक और विशेष तथ्य होता है जिसे रिस्पांस टाइम कहते हैं।
– LCD का रिस्पांस टाइम कम से कम होना चाहिये तभी आप इस पर स्पष्ट मोशन वीडियो देख सकते हैं। यदि आप मूवी, एनीमेशन और 3D गेम्स खेलना चाहते हैं तो LCD का रिस्पांस टाइम 8ms से कम होना चाहिये।

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