Answer for Non Woven Cloth क्या होता है

साधारण बुनाई के अतिरिक्त कुछ कपड़े नॉनबूवन भी बनाए जाते हैं। इस प्रक्रिया को करने के लिए एक पतली चादर में के रूप में दबाकर (Pressed) बनाए जाते हैं। कभी-कभी इसे जालयुक्त (Webs) रूप में भी बनाया जाता है। इस क्रिया में रेशे एक प्लास्टिक adhesive के द्वारा आपस में सटाए जाते हैं। इस क्रिया में प्रायः रेयोन कपास, पोलिस्टर आदि को मिक्स करके बनाते हैं। इन कपड़ों को मजबूती देने के लिए प्रायः लम्बे धागों का प्रयोग किया जाता हैं। रेशों को पहले अच्छी प्रकार से धुनाई कर लेते हैं ताकि वे जाल के रूप में आसानी से फैलाए जा सके इसी Stage को Card lap कहा जाता है।

1. Method of bonding: जो रेशे पिघलने योग्य होते हैं उन्हें पिघला लिया जाता है जैसे नाइलॉन, ऐसीटेट, विनयान। अब पिघले हुए रेशों में , जो पिघल नहीं सकते हैं जैसे कपास, रेयॉन, उनको मिला लिया जाता है। और जितना ताप ये सह सकें, उतना देकर इनको आपस में भली-भांति मिल सकें, मिला लेते हैं। पिघले हुए रेशों में कपास जैसे न पिघलने वाले रेशे भी नरम पड़ जाते हैं और सब रेशे जाल पर फैलाने से चिपक जाते हैं।

2. दूसरी विधि में इन मिश्रित रेशों से बने जाल पर प्लास्टिक बाइंडर का छिड़काव किया जाता है जिससे रेशे आपस में चिपक जाते हैं। रंग को बाइंडर में मिला दिया जाता है। तो साथ की साथ ये कलरफुल भी बन जाते हैं।

3. स्पीनीरेट से निकले रेशों को वैद्युत प्रभाव से युक्त बनाकर पुनः सांचे पर घिसते हुए रेशों को ढीला छोड़ते हुए एयर जेट में संग्राहक तल पर तेजी से फैलाकर बिछाया जाता है। विद्युत प्रभाव के कारण रेशों का जाल आपस में बंध जाता है। अब इस पर एक घोल, जिससे यह सब रेशे भली-भांति चिपक जाएं, डाला जाता है जो खुले रेशों को और भी भली-भांति चिपका देता है। इस विधि को ही “Bond” विधि के नाम से पुकारते है।

4. इससे अतिरिक्त एक और विधि में, जिसे स्पॉट वेल्डिंग विधि कहते हैं, पोलीथायलीन को लंबाई में फैलाया जाता है जिससे रेशे की आण्विक श्रृंखला को ठीक किया जा सके। अब यह रेशेयुक्त रचना में एक सूक्ष्म व बारीक रेशों का जाल-सा बनता है। इससे रेशे समानांतर हैं। इसी तरह दो तीन तहों को एक साथ तैयार किया जाता है। आजकल इन Non-wooven कपड़ों की उपयोगिता व लोकप्रियता बढ़ रही है। ये कपड़े Wooven कपड़ों से सस्ते भी होते हैं और चलने में भी काफी समय तक चलते हैं।

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