Answer for Principles of Colours क्या होता है

रंगों के दो सिद्धान्त हैं –
(क) परांग रंग व्यवस्था (Parang Colour System)
(ख) मनशेल रंग व्यवस्था (Munshel System of Colour Notation)
इन दोनों रंग व्यवस्थाओं के विषय में अनेक विद्वानों के अलग-अलग मत हैं, जिनको यहां संक्षेप में समझना होगा। परांग मत : परांग के अनुसार तीन बेसिक रंग होते हैं – लाल, पीला, नीला। इनको मिलाने से द्वितीय प्रकार के अर्थात् बाइनरी (Binary) रंग बनते हैं। बाइनरी रंग नारंगी, हरा और बैंगनी। फिर एक प्रारम्भिक तथा एक द्वितीयक रंग मिलाने से मध्यवर्ती रंग बनता है। दो बाइनरी रंग मिलाने से तृतीय श्रेणी का मध्यवर्ती रंग बनता है। दो तृतीयक रंगों को मिलाने से एक चतुर्थ श्रेणी का रंग बनता है। इस प्रकार रंगों के पांच वर्ग होते हैं –(1) प्राथमिक वर्ण, (2) द्विअंगी वर्ण, (3) मध्यवर्ती रंग, (4) तृतीयक वर्ण, (5) चतुर्थक वर्ण। प्रत्येक वर्ग में अनेकों टिंट तथा शेड प्राप्त किए जा सकते हैं। किन्तु अन्य विचारकों के अनुसार और भी अलग-अलग मत हैं, वर्ण सिद्धान्तों के अनुसार

मनोवैज्ञानिक : चार प्रारम्भिक रंग मानते हैं – लाल, पीला, हरा व नीला।
भौतिक शास्त्री : चार रंग – लाल, हरा, नीला तथा बैंगनी को प्रारम्भिक रंग मानते हैं।
पिगमैंट : तीन ही रंगों को – पीला, नीला तथा लाल को ही प्रारम्भिक रंग मानते हैं।

किन्तु चाहे कितने भी प्रारम्भिक रंग माने जाएं फिर भी कितने ही मिश्रणयुक्त रंग आप बना सकते हैं। रंग वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक रंग में मुख्य रंग की प्रतिशत मात्रा को ही अलग-अलग करने पर अनेकों रंग बनते हैं। सम्पूर्ण चक्र में 200 रंग तक बनते हैं। चाहे अथाह संख्या रंगों की हो, किन्तु परिधान में सुचारु रूप से समझदारी से जब रंगों का प्रयोग किया जाएगा तभी परिधान सबको देखने में अत्यन्त प्यारा लगेगा वरना चाहे गर्म उष्ण रंग हों अथवा ठंडे (cool) हों, यदि संयोजन उचित नहीं हो तो कुछ भी नहीं है। एक ही परिधान में तमाम रंगों को भर देना गड़बड़ी एवं भ्रम उत्पन्न करना ही है। जो रंग मेल खाते हों उन्हीं का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए रंगों का या वर्गों का ज्ञान गूढ़तम करने की आवश्कयता होती है। यदि रंग योजना व्यवस्थित नहीं होगी तो व्यक्तित्व का ह्रास ही होगा। जबकि समाज में हर व्यक्ति को, चाहे छोटा हो अथवा बड़ा हो, सुन्दर दिखाई देने की मन में अभिलाषा रहती है। अतः रंग योजनाओं का गूढ़तम ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत है। परिधानों में सफल रंग योजना तैयार करने हेतु रंगों की तीव्रता एवं उनके मल्य को जरूरत के अनुसार घटाने व बढ़ाने के लिए अच्छे shades का प्रयोग करना चाहिए। परिधान तथा अन्य वस्तुओं के लिए मार्गदर्शन करने वाले कुछ आधारभूत सिद्धान्त हैं, जिनका ध्यान रखने पर रंग संयोजना में पूर्णतः सफलता मिल सकती है।

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