Answer for Qualities of Readymade Garments क्या होता है

जब हर व्यक्ति की पसन्द सिले-सिलाए वस्त्रों की ही है तो हर प्रकार की पसन्द के कपड़े ही हर कम्पनी बनाती है, ताकि हर एक व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार उनको खरीद सके। अतः रैडीमेड वस्त्रों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता हैं –
(i) अति मंहगे वस्त्र
(ii) मध्यम श्रेणी के वस्त्र
(iii) निम्न श्रेणी के वस्त्र

(i) अति मंहगे वस्त्र (Expensive garments) : उच्च विशेष वर्ग यानि अभिजात्य वर्ग की पसन्द के अनुकूल ये वस्त्र बनते हैं। ये बहुत कीमती होते हैं। अच्छी श्रेणी का trimming material का प्रयोग तथा इसमें कपड़ा भी महंगी किस्म का प्रयोग किया जाता है। इन परिधानों में देसी व विदेशी दोनों ही प्रकार के नमूनों का प्रभाव दिखाई देता है। उच्च श्रेणी के सजावटी सामानों द्वारा सजे हुए यह वस्त्र बिगड़ते सुकड़ते नहीं हैं। इनका प्रयोग प्रायः सिने स्टार, उच्च अभिजात्य वर्ग, उद्योगपति वर्ग करते हैं तथा विशेष प्रसिद्ध डिज़ाइनर इनको डिज़ाइन करते हैं तथा . सिलने वाले भी प्रशिक्षित विशेषज्ञ होते हैं।

(ii) मध्यम श्रेणी के वस्त्र (Medium priced garments) : इन वस्त्रों को बनाने के लिए भी अच्छे कारीगर तो होते ही हैं किन्तु म यम वर्ग की जेब को ध्यान में रख कर ही बनाए जाते हैं। इस वर्ग में प्रायः अच्छे किस्म का कपड़ा व सहायक सामान (trimming material) का प्रयोग किया जाता है। इन वस्त्रों में अस्तर, चेन, बटन आदि भी मध्यम क्वालिटी के प्रयोग किए जाते हैं। जिससे वस्त्र देखने में सुन्दर व आकर्षित लगते हैं और हाथों-हाथ बिक जाते हैं।

(iii) निम्न श्रेणी के वस्त्र (Low priced garments) : ग्रामीण वर्ग व निम्न श्रेणी के लोगों को ध्यान में रखकर ही यह वस्त्र बनाए जाते हैं। कीमत न बढ़ने देने के चक्कर में कुछ सहायक सामान (trimming material) भी सस्ते ही लगा देते हैं। यही कारण है कि कीमत कम रखने के हिसाब के कारण उन कपड़ों में कुछ न कुछ कमियां भी रह जाती हैं – कुछ कपड़ों की, कुछ सिलने वालों की, कुछ फैंसी सजावटी सामान की। इसके बावजूद भी गृहणियां इन्हीं वस्त्रों को खरीदने के लिए बाध्य हैं क्योंकि कम मूल्य में इतने अच्छे वस्त्र या इससे अच्छे वस्त्र कपड़ा लेकर भी नहीं बनवा सकते हैं। इस प्रकार आज का बाजार ग्राहकों के कई मुद्दों को ध्यान में रख कर ही बनाया जा रहा है। आज अधिकतर महिलाएं सिलाई के झंझट से दूर रहना चाहती हैं और तैयार सिले सिलाए वस्त्रों को अपने उद्देश्य, प्रयोजन के हिसाब से बाजार से खरीद लाती हैं। विदेशी लेखिका Collier ने लिखा है, “Whena customer buys a readymade article, the choice will probably be largely based on colours, appearance and style. However, one should also consider how it will perform in use, whether it is right for the job, and how it can be restored to cleanliness.” अतः महिलाओं को वस्त्र खरीदते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वस्त्र खरीदने का उद्देश्य क्या है, किस अवसर के लिए है, पहनने वाला इसको पहन कर कैसा लगेगा अर्थात पहनने वाले पर खिलेगा या नहीं, रंग डिज़ाइन लगा हुआ मैटीरियल आदि धुल कर खराब तो नहीं होगा और सबसे बड़ी बात कि इस वस्त्र की धुलाई का क्या तरीका होगा। यह शुष्क धुलाई (dry cleaning) या गीली धुलाई (wet cleaning) तथा कौन से साबुन से धुल सकेगा। लेखक Lyle लिखते हैं कि “The consumer should consider the following facts, when purchasing textiles, budgeting for upkeep, life expectancy of garments or household textiles and subsequent performance in wear and tear.” आजकल के समय में जो वस्त्र खरीदा जा रहा है वह पहना हुआ अच्छा भी लगेगा या नहीं। अतः रैडीमेड वस्त्र को खरीदने के लिए भी बहुत सी बातें ध्यान में रखनी चाहिएं जो कि निम्नांकित हैं :

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