Answer for Ready-made Garments and their Selection क्या होता है

• आज के युग में सिले-सिलाए वस्त्रों से हर व्यक्ति परिचित ही है। सबको नया वस्त्र पहनने की जल्दी होती है। अत: दुकान से कपड़ा खरीदना व दर्जी से सिलवाना कोई नहीं चाहता है। तैयार वस्त्रों की दुकानों पर जाकर अपने नाप का, व्यक्ति अपनी जेब के अनुसार तैयार वस्त्र खरीद कर पहन लेता है। चाहे नित्य-प्रति पहनने के लिए ज़रूरत हो, चाहे त्यौहार के उत्सव पर अथवा स्कूली बच्चों की वर्दी ही क्यों न हो, हर व्यक्ति की हर साइज की कोई भी ड्रैस बाजार में मिल जाती है। तरह-तरह के नमूनों में, अलग-अलग रंगों में, हर एक स्टाइल में आजकल ड्रैस बन-बन कर बिकने लगी हैं। यहां तक कि रैडीमेड वस्त्रों का निर्यात भी कई बड़ी कम्पनियां करने लगी हैं। जिस प्रकार निर्यात हेतु श्रेष्ठ क्वालिटी बना कर बाहर भेजी जाती है उसी प्रकार अपने देश में हर शहर तथा हर प्रान्त में भी रैडीमेड वस्त्र बना कर बिकने लगे हैं। बच्चे, बूढ़े व जवान सभी की इच्छानुसार और रंगों से मेल खाते हुए अनेक वस्त्र आज मार्किट में खूब धड़ल्ले से बिक रहे हैं। पहले रेडीमेड में केवल अधोवस्त्र (under garments) ही बिकते थे और वे ही खरीदे जाते थे, किन्तु अब तो हर तरह के ऊपर पहने जाने वाले वस्त्र जैसे ब्लाउज़, नाइटी, कर्ता-पायजामा, ड्रैसिंग गाऊन, हाऊस कोट, लेडीज सट व जैन्ट्स सूट भी मार्किट में आ गए हैं। सभी लोगों की यह पसन्द बन चुकी है। शहरों में, नगरों में, प्रान्तों में सब जगह यह वस्त्र जाते हैं और खूब बिकते हैं और अब तो गांव वाले भी रैडीमेड के असर से नहीं बच सके हैं। गांव की दुकानें तथा गलियों में व घूम-घूम कर वस्त्रों को बेचने वाले विक्रेता भी हर गांव में इन कपड़ों को बेचते हुए मिल जाते हैं क्योंकि खरीदने वाले बहुत चाव से इनकी खरीदारी करते हैं। गांव में जो तीज त्यौहार पर मेले लगते हैं उनमें भी उनकी बिक्री होती है। गांव वाले व्यक्ति भी सोचते हैं शहरी फैशन का वस्त्र है, यहां दरवाजे पर ही मिल रहा है तो शहर जाने का समय, पैसा सब बचत करना ही समझदारी है।

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