Answer for Wired/Wir-Fi का नेटवर्क कैसा होता है

– कम्प्यूटर नेटवर्क में सबसे पहले वायर या तारों का प्रयोग करके ही नेटवर्क बनाया गया था। यह प्रक्रिया आज भी जारी है। आज के समय में वायर के द्वारा नेटवर्क बनाना में ईथरनेट तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसके तहत एक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड को कम्प्यूटर सिस्टम में लगाते हैं और इस कार्ड से तार या वायर के द्वारा दूसरे कम्प्यूटर से इसे जोड़ते हैं।

– यहां पर आपको इस बात का ख्याल रखना है कि दूसरे कम्प्यूटर में भी यही नेटवर्क इंटरफेस कार्ड होना अनिवार्य है। इसे कार्ड को आम बोल-चाल की भाषा में लैन कार्ड भी कहा जाता है।

– जहां तक ईथरनेट जैसे शब्द का सवाल है तो आपके मष्तिष्क में यह प्रश्न उठना स्वभाविक है कि यह ईथरनेट क्या है? इसका जबाब है कि कम्प्यूटर से लोकल एरिया नेटवर्क तैयार करने में प्रयोग किया जाने वाला यह एक प्रोटोकॉल है। इसका चलन 70 के दशक से प्रारम्भ हुआ था। वास्तव में यह एक विश्वसनीय नेटवर्किंग उपलब्ध कराने वाली सेवा है।

– इसका विकास बॉब मेटकॉफ के प्रयासों हुआ था। आज यह डिजिटल, इंटेल, और जीरॉक्स जैसी कम्पनियों के सहयोग से और विकसित हो गया है तथा लोकल एरिया नेटवर्क का एक मानक प्रतिरुप बन गया है।

ईथरनेट प्रोटोकॉल पर आधारित लोकल एरिया नेटवर्क में केबलों या तारों का प्रयोग किया जाता है। इन्हीं केबलों के माध्यम से इसका विस्तार भी होता है।

– इस नेटवर्किंग में जिन तारों या केबलों को प्रयोग करते हैं उनमें CTA3, CAT5, CATSE और CAT6 जैसी केबलें सबसे अधिक प्रयोग की जाती हैं। इनकी डिजाइन इनके प्रयोग पर निर्भर होती है और इनकी कीमत गुणवत्ता के अनुसार बढ़ती जाती है।

– ईथरनेट तारों का प्रयोग प्राय: उच्च गति वाले कम्प्यूटर नेटवर्क के लिये किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग ब्रॉडबैंड के लिये भी होता है। कम्प्यूटर के साथ लैन/ईथरनेट को जोड़ने के लिये कम्प्यूटर में ईथरनेट कार्ड की जरूरत होती है।

वायर/तारों या केबलों से जुड़कर बनने वाले लोकल एरिया नेटवर्क में कुछ चीजें अनिवार्य होती हैं। इनमें दो या दो से अधिक कम्प्यूटर होने चाहिये। प्रत्येक कम्प्यूटर में एक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड, ईथरनेट केबल या तार, नेटवर्क ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिये एक नेटवर्किंग हब और एक सपोर्ट सॉफ्टवेयर होना चाहिये।

– वायर/तारों या केबलों से जुड़कर बनने वाले लोकल एरिया नेटवर्क में प्रयोग किये जा रहे प्रत्येक कम्प्यूटर में एक नेटवर्क इंटरफेस को लगाने के बाद उसके लिये एक विशेष एड्रेस आबंटित किया जाता है। प्रत्येक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड एक ईथरनेट केबल के द्वारा केन्द्रीय हब से जुड़ा होता है। इस हब में लोकल एरिया नेटवर्क के समस्त डेटा को रिसीव करके रिडायरेक्ट किया जाता है। इस तरह से वायर पर आधारित ईथरनेट नेटवर्क में डेटा स्टोरेज, डेटा शेयरिंग के साथ ही प्रिंटर और स्कैनर जैसी डिवाइसों को भी नेटवर्क का हिस्सा बनाकर प्रयोग किया जाता है।

– ईथरनेट सिस्टम में जब नेटवर्क का विस्तार करते हैं तो तारों को एक बड़ी मात्रा में व्यवस्थित ढंग से सोर्स से डेस्टीनेशन तक पहुंचाना होता है। इन्हें व्यवस्थित करने का ढंग ऐसा होना चाहिये कि जब नेटवर्क में कोई समस्या आये तो तारों की आसानी से पहचान हो सके और उनमें सुधार किया जा सके।

– वर्तमान समय में ईथरनेट तकनीक को वायरलेस तरीके से भी प्रयोग किया जा रहा है। इसी वजह से अनेक ऐसे नेटवर्क इंटरफेस कार्ड कम्प्यूटर से साथ प्रयोग हो रहे हैं तो वाइ-फाइ तकनीक से लैस होते हैं। वायरलेस ईथरनेट इंटरफेस कार्ड में एक एंटीना लगा होता है जिससे निकलने वाली तरंगें दूसरे कम्प्यूटर के वायरलेस नेटवर्क कार्ड से सम्पर्क स्थापित करती हैं। इस सम्पर्क की वजह से नेटवर्क में जुड़ाव आता है। आम बोल चाल की भाषा में इसे वाइ-फाई नेटवर्किंग कहते हैं।

आजकल इस वायरलेस नेटवर्क को वायर वाले नेटवर्क से जोड़कर प्रयोग किया जाता है। इसमें एक निश्चित प्वाइंट तक तार या केबल के द्वारा सिगनल आता है। इस केबल को एक ऐसे मॉडेम-राउटर से जोड़ते हैं जिसमें वाइ-फाई सिगनल उत्पन्न करने की क्षमता होती है। केबल से इस तरह की डिवाइस के जुड़ने की वजह से वाइ-फाई नेटवर्किंग के लिये जरूरी सिगनल पैदा होता है और इसे दूसरा कम्प्यूटर जो इस वाइ-फाइ क्षमता से लैस है उसे कैच करके एक नेटवर्क का निर्माण कर देता है।

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